भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गोल्ड रिजर्व का 65% हिस्सा अब देश में ही मौजूद है। यह प्रतिशत 4 साल पहले के मुकाबले लगभग दोगुना है। यूक्रेन पर हमले के बाद पश्चिमी देशों ने जिस तरह रूस के भंडार को फ्रीज किया, उसके बाद RBI की ओर से अपने सोने को स्वदेश वापस लाने में तेजी आई है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय रिजर्व बैंक वित्त वर्ष 2026 के पहले 6 महीनों यानि कि अप्रैल-सितंबर में लगभग 64 टन सोना वापस लाया। यह बात RBI ने मंगलवार को विदेशी मुद्रा भंडार पर अपनी अर्धवार्षिक रिपोर्ट में कही।
वैल्यू के मामले में इस साल सितंबर के आखिर तक RBI के कुल रिजर्व में सोने की हिस्सेदारी 13.92% थी। मार्च 2025 के आखिर तक यह हिस्सेदारी 11.70% थी। RBI आमतौर पर अपने सोने का एक हिस्सा विदेश में रखता है। इसे बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स में रखा जाता है। सितंबर 2025 के अंत तक, RBI के पास 880 टन सोना था। इसमें से 576 टन सोना देश में ही जमा था।
4 सालों में लगभग 280 टन सोना स्वदेश लाया RBI
RBI ने अब भारत के अंदर ही ज्यादा सोना रखने के पीछे का कोई कारण नहीं बताया है। लेकिन कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यह कदम देश की सर्राफा संपत्तियों पर नियंत्रण बढ़ाने के उद्देश्य से हो सकता है। इसकी वजह है कि अमेरिका और यूरोपीय संघ सहित 7 देशों के समूह ने 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद रूस के गोल्ड रिजर्व को जब्त कर लिया था। पिछले 4 सालों में RBI लगभग 280 टन सोना स्वदेश लेकर आया है।
ब्लूमबर्ग के मुताबिक, इंडसइंड बैंक लिमिटेड के मुख्य अर्थशास्त्री गौरव कपूर का कहना है, "क्योंकि हमारे पास गोल्ड स्टोर करने की क्षमता है, तो इसे वापस क्यों न लाया जाए? कई केंद्रीय बैंक ऐसा कर रहे हैं। इस अनिश्चित समय में अपना सोना अपने हाथों में रखना समझदारी है।"
डॉलर पर निर्भरता कम कर रहा है RBI
अमेरिकी डॉलर और संबंधित एसेट्स पर निर्भरता कम करने के लिए RBI सोना खरीद रहा है। यह वैश्विक स्तर पर सोने के टॉप खरीदारों में से एक है। केंद्रीय बैंक ने अमेरिकी ट्रेजरी में अपनी हिस्सेदारी लगातार कम की है। 17 अक्टूबर तक भारत का कुल विदेशी मुद्रा भंडार 702.3 अरब डॉलर था, जो दुनिया का चौथा सबसे बड़ा भंडार है।