Sabarimala Temple: केरल उच्च न्यायालय ने बुधवार को सबरीमाला मंदिर में भीड़ के खराब प्रबंधन के लिए राज्य सरकार और त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (TDB) की कड़ी आलोचना की है। कोर्ट ने सख्त चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि स्थिति को नियंत्रण में नहीं लाया गया, तो 'एक भयंकर हादसा हो सकता है'। यह गंभीर स्थिति इसलिए पैदा हुई है क्योंकि 17 नवंबर को मंदिर खुलने के 48 घंटे के भीतर लगभग दो लाख श्रद्धालु अयप्पा मंदिर पहुंचे, जिससे TDB और पुलिस, विशेषकर बच्चों सहित विशाल भीड़ को संभालने में बुरी तरह विफल रहे।
हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी कर उठाए गंभीर सवाल
न्यायमूर्ति की पीठ ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि तीर्थयात्रा के मौसम की तैयारियां कम से कम छह महीने पहले शुरू हो जानी चाहिए थीं। कोर्ट ने सवाल किया कि भीड़भाड़ स्पष्ट होने के बावजूद वर्चुअल क्यू स्लॉट की संख्या क्यों कम नहीं की गई। कोर्ट ने पाया कि TDB ने खुद स्वीकार किया था कि स्पॉट बुकिंग के बाद भी 10,000 से अधिक लोग पहाड़ी पर चढ़े, जिससे सबरीमाला मंदिर के गर्भगृह के अंदर और आसपास भीड़ बढ़ गई। पीठ ने प्रबंधन की तर्कहीनता पर सवाल उठाते हुए पूछा, 'श्रद्धालुओं को अंदर धकेलने और बाहर निकालने का क्या मतलब है? क्या हमें प्रति मिनट 80 लोगों के प्रवेश पर जोर देना चाहिए?' कोर्ट ने जोर दिया कि कुप्रबंधन के कारण कोई भी अप्रिय घटना नहीं होनी चाहिए।
विपक्ष ने सरकार पर साधा निशाना
विपक्षी दलों ने भी राज्य सरकार की आलोचना की, आरोप लगाया कि पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं और पर्याप्त पुलिस तैनाती में सरकार विफल रही है। उनका दावा है कि आदर्श आचार संहिता लागू होने से बहुत पहले ही व्यवस्थाएं कर लेनी चाहिए थीं। विपक्ष के नेता वी.डी. सतीशन ने केरल उच्च न्यायालय से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप की मांग की थी। हाईकोर्ट ने अब राज्य सरकार और TDB दोनों से विस्तृत स्पष्टीकरण मांगा है और उन्हें शुक्रवार तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।