Credit Cards

Satyendar Jain: AAP नेता सत्येंद्र जैन पर ED का शिकंजा, बेनामी जांच मामले में ₹7.44 करोड़ की संपत्ति कुर्क

Satyendar Jain News: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत दिल्ली के पूर्व मंत्री सत्येंद्र कुमार जैन के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने उनसे संबंधित कंपनियों की 7.44 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियां अस्थायी रूप से अटैच की हैं

अपडेटेड Sep 23, 2025 पर 8:28 PM
Story continues below Advertisement
Satyendar Jain News: ED ने 31 मार्च 2022 को भी सत्येंद्र जैन से जुड़ी 4.81 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच की थी

Satyendar Jain News: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने PMLA मामले में आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता और दिल्ली के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन से जुड़ी 7.44 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क कर ली है। प्रवर्तन निदेशालय ने मंगलवार (23 सितंबर) को एक बयान में कहा कि उसने मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत आम आदमी पार्टी के नेता एवं दिल्ली के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन के लाभकारी स्वामित्व एवं नियंत्रण वाली कंपनियों की करीब 7.44 करोड़ रुपये की संपत्तियां कुर्क की हैं।

केंद्रीय जांच एजेंसी ने एक बयान में कहा कि उसने अचल संपत्तियों को कुर्क करने के लिए 15 सितंबर को मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत एक अनंतिम आदेश जारी किया है। यह जांच जैन, उनकी पत्नी पूनम जैन और अन्य के खिलाफ बेनामी संपत्ति रखने के एक कथित मामले और आय से अधिक संपत्ति रखने के एक अलग मामले से संबंधित है।

मनी लॉन्ड्रिंग का यह मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की एक FIR और आरोपपत्र से उत्पन्न हुआ है। जैन पर 14 फरवरी, 2015 से 31 मई, 2017 के बीच दिल्ली सरकार में मंत्री रहते हुए आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप है। ED ने 2022 में जैन की 4.81 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की थी।

यह ताजा जब्ती तब हुई जब दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में कहा था कि जैन के करीबी सहयोगी अंकुश जैन और वैभव जैन उनके बेनामी धारक थे। उन्होंने आय प्रकटीकरण योजना (आईडीएस), 2016 के तहत एडवांस टैक्स के रूप में बैंक ऑफ बड़ौदा, भोगल शाखा में 7.44 करोड़ रुपये कैश जमा किए थे

पिछले महीने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा एक क्लोजर रिपोर्ट पेश करने के बाद AAP नेता को भ्रष्टाचार के एक मामले में अदालत से राहत मिली थी। यह मामला लोक निर्माण विभाग मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान एक निजी कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट देने से संबंधित था।

क्या है पूरा मामला?


ED ने यह मनी लॉन्ड्रिंग जांच सीबीआई की उस FIR के आधार पर शुरू की थी, जो 24 अगस्त 2017 को दर्ज की गई थी। इसमें आरोप था कि सत्येंद्र जैन ने 14 फरवरी 2015 से 31 मई 2017 के बीच मंत्री रहते हुए अपनी आय से अधिक संपत्ति अर्जित की।

CBI ने 3 दिसंबर 2018 को सत्येंद्र जैन, उनकी पत्नी पूनम जैन और अन्य के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। जांच में सामने आया कि नोटबंदी के बाद नवंबर 2016 में जैन के करीबी सहयोगी और बेनामी धारक अंकुश जैन व वैभव जैन ने बैंक ऑफ बड़ौदा, भोगल शाखा में 7.44 करोड़ रुपये कैश आयकर एडवांस के रूप में जमा किए।

ये भी पढ़ें- Bihar Chunav 2025: बिहार के मंत्री अशोक चौधरी ने प्रशांत किशोर को भेजा 100 करोड़ का मानहानि नोटिस

यह राशि आय घोषणा योजना (IDS), 2016 के तहत घोषित की गई थी। उन्होंने दावा किया था कि 2011 से 2016 के बीच मिली 16.53 करोड़ रुपये की आय संबंधित चार कंपनियों अकिनचन डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, प्रयास इन्फोसॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, मंगलायतन प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड और इन्डो मेटल इम्पेक्स प्राइवेट लिमिटेड की है।

रिपोर्ट के मुताबिक, ये सभी कंपनियां वास्तव में सत्येंद्र जैन के नियंत्रण में थीं। आयकर विभाग और दिल्ली हाईकोर्ट ने अंकुश और वैभव जैन को सत्येंद्र जैन के बेनामी धारक करार दिया। सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी विशेष अनुमति याचिका और पुनर्विचार याचिकाएं खारिज कर दीं।

Akhilesh Nath Tripathi

Akhilesh Nath Tripathi

First Published: Sep 23, 2025 7:48 PM

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।