SIR in West Bengal: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मंगलवार (4 नवंबर) को स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के खिलाफ कोलकाता की सड़कों पर उतरीं। सीएम ने वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन के खिलाफ एक विरोध रैली का नेतृत्व किया। इस दौरान ममता बनर्जी ने पूछा कि चुनाव आयोग को यह खुलासा करना चाहिए कि SIR के बाद बिहार में कितने रोहिंग्या और बांग्लादेशी मिले। बनर्जी की पार्टी सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने इस प्रक्रिया को भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और चुवाव आयोग द्वारा की गई हेराफेरी करार दिया है।
अपने भतीजे और तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी के साथ मुख्यमंत्री ने रेड रोड स्थित बी आर आंबेडकर की प्रतिमा से 3.8 किलोमीटर लंबी रैली शुरू की। यह मार्च रवींद्रनाथ टैगोर के पैतृक घर जोरासांको ठाकुर बाड़ी पर समाप्त हुआ। हजारों की संख्या में तृणमूल समर्थक रैली मार्ग पर उमड़ पड़े। वे पार्टी के झंडे लहरा रहे थे। नारे लगा रहे थे। रंग-बिरंगे पोस्टर लिए हुए थे।
अपनी विशेष पहचान सफेद सूती साड़ी और चप्पल पहने बनर्जी ने रैली का नेतृत्व किया। बीच-बीच में बालकनी और फुटपाथों पर खड़े लोगों का अभिवादन करने के लिए रुकीं। मुख्यमंत्री के बाद अभिषेक बनर्जी भी आए। उन्होंने भीड़ की ओर हाथ हिलाकर अभिवादन किया। उनके साथ तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मंत्री भी थे।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि यदि वोटर लिस्ट से एक भी पात्र मतदाता को हटाया गया तो केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सरकार का गिर जाना तय है। उन्होंने बीजेपी और निर्वाचन आयोग पर 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले मतदाताओं को डराने-धमकाने के लिए SIR को राजनीतिक औजार के रूप में इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया। ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाया कि वह बीजेपी शासित राज्यों को छोड़ दे रहा है। जबकि विपक्ष शासित राज्यों में चुनिंदा रूप से वेरिफिकेशन अभियान चला रहा है।
तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने आरोप लगाया, "निर्वाचन आयोग केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में एसआईआर चला रहा है। लेकिन बीजेपी शासित असम में (वह) ऐसा नहीं कर रहा है।" इन चार राज्यों में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। ममता बनर्जी ने मांग की, "निर्वाचन आयोग को यह भी जवाब देना चाहिए कि बीजेपी शासित असम, त्रिपुरा और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में एसआईआर क्यों नहीं कराया जा रहा है?"
उन्होंने इसे केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी की मदद करने के उद्देश्य से किया गया स्पष्ट भेदभाव बताया। TMC प्रमुख ने कहा कि पश्चिम बंगाल में 2002 में हुई पिछले एसआईआर को पूरा होने में कम से कम दो साल लगे थे। उन्होंने आश्चर्य जताया कि इस बार निर्वाचन आयोग इसे सिर्फ एक महीने में पूरा करने की जल्दबाजी क्यों कर रहा है।
बिहार में कितने रोहिंग्या और बांग्लादेशी मिले?
ममता बनर्जी ने मौजूदा प्रक्रिया को जल्दबाजी में और राजनीति से प्रेरित बताया। ममता ने समर्थकों की तालियों की गड़गड़हाट के बीच बीच कहा, "यदि बंगाल में वोटर लिस्ट से एक भी पात्र मतदाता को हटाया गया तो हम BJP सरकार को गिरा देंगे।" पश्चिम बंगाल में अवैध मतदाता होने के BJP के बार-बार के दावे पर मुख्यमंत्री ने कहा, "एसआईआर के बाद बिहार में कितने रोहिंग्या और बांग्लादेशी मिले।"
उन्होंने कहा कि सिर्फ बांग्ला बोलने से कोई बांग्लादेशी नहीं बन जाता। उन्होंने बीजेपी पर बंगालियों को बदनाम करने के लिए फर्जी एवं सांप्रदायिक दुष्प्रचार करने का आरोप लगाया। बीजेपी पर निशाना साधते हुए तृणमूल सुप्रीमो ने कहा, "BJP वोटों के आधार पर नहीं, बल्कि नोटों के बल पर जीतना चाहती है। अगर यह वोटर लिस्ट फर्जी है, तो BJP ने इसी लिस्ट के आधार पर पिछले चुनाव कैसे जीते?"
बनर्जी ने आरोप लगाया कि एसआईआर का मतलब चुपचाप, अदृश्य तरीके से धांधली है। उन्होंने कहा कि बीजेपी मतदाताओं में डर पैदा करने के लिए इसका इस्तेमाल कर रही है। तृणमूल प्रमुख ने सवाल किया, "हमें इस धरती पर जन्म लेने और पले-बढ़े होने के बाद भी क्या बीजेपी के सामने अपनी नागरिकता साबित करनी होगी?" मुख्यमंत्री ने कहा कि जरूरत पड़ने पर तृणमूल कांग्रेस इस लड़ाई को दिल्ली तक ले जाएगी।