Stray Dogs News: दिल्ली में नहीं है एक भी डॉग शेल्टर होम! आखिर कहां रखे जाएंगे लाखों आवारा कुत्ते? SC के आदेश के बाद टेंशन में अधिकारी

Stray Dogs News: दिल्ली में आधिकारिक तौर पर कुत्तों को समर्पित कोई डॉग शेल्टर होम नहीं है। साथ ही राजधानी में केवल 20 नसबंदी केंद्र हैं, जिनकी संयुक्त क्षमता एक समय में लगभग 2,500 कुत्तों का ऑपरेशन करने की है। उनकी आबादी को नियंत्रित करने के लिए आवारा कुत्तों की कम से कम 70 फीसदी आबादी की नसबंदी करनी होगी

अपडेटेड Aug 11, 2025 पर 7:41 PM
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Stray Dogs News: शीर्ष अदालत ने कहा है कि आवारा कुत्ते सड़कों पर वापस नहीं आने चाहिए

Stray Dogs News: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (11 अगस्त) को नगर निगम के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) के इलाकों से सभी आवारा कुत्तों को उठाएं और नसबंदी करके उन्हें स्थाई डॉग शेल्टर होम में रखें। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि कुत्ते सड़कों पर वापस नहीं आने चाहिए। पशु प्रेमियों को फटकार लगाते हुए कोर्ट ने उनसे पूछा कि क्या वे रेबीज के शिकार हुए बच्चों को वापस ला पाएंगेइसके साथ ही शीर्ष अदालत ने दिल्ली-NCR की गलियों से सभी आवारा कुत्तों को हटाने का निर्देश दिया।

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि दिल्ली नगर निगम और सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन कैसे करेगी। 'इंडिया टुडे' के अनुसार, दिल्ली में आधिकारिक तौर पर कुत्तों को समर्पित कोई डॉग शेल्टर होम नहीं है। साथ ही राजधानी में केवल 20 नसबंदी केंद्र हैं, जिनकी संयुक्त क्षमता एक समय में लगभग 2,500 कुत्तों का ऑपरेशन करने की है। सूत्रों ने 'इंडिया टुडे' को बताया कि आबादी को नियंत्रित करने के लिए आवारा कुत्तों की कम से कम 70 फीसदी आबादी की नसबंदी करनी होगी। लेकिन मौजूदा सुविधाओं के कारण यह लक्ष्य पूरा होना मुश्किल है।

सिर्फ दिल्ली में आवारा कुत्तों की अनुमानित आबादी लगभग 6 लाख है। इस संख्या को कम करने के लिए, हर साल 4.5 लाख कुत्तों की नसबंदी करनी होगी। सूत्रों ने बताया वेबसाइट को बताया कि मौजूदा क्षमता के साथ सालाना केवल करीब 1.25 लाख कुत्तों की ही नसबंदी की जा सकती है।


सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश

सोमवार को, शीर्ष अदालत ने दिल्ली, नोएडा और गुरुग्राम के अधिकारियों को आवारा कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए पांच-सूत्रीय निर्देश जारी किया। शीर्ष अदालत ने कुत्तों द्वारा लोगों को काटे जाने की घटनाओं पर स्वत: संज्ञान लिया था। इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने पशु प्रेमियों के किसी भी हस्तक्षेप आवेदन पर विचार करने से इनकार कर दिया। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में इस स्थिति को अत्यंत गंभीर बताया।

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आवारा कुत्तों द्वारा लोगों को काटने की समस्या के खिलाफ कुछ किए जाने की मांग की। उन्होंने कहा, "हम अपने बच्चों की बलि सिर्फ इसलिए नहीं दे सकते क्योंकि कुछ लोग मानते हैं कि वे पशु प्रेमी हैं।"

शीर्ष अदालत ने कहा कि पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम शहर के बाहरी इलाकों सहित सभी इलाकों से आवारा पशुओं को उठाना और उन्हें दूरदराज के स्थानों पर शिफ्ट करना है। दिल्ली-एनसीआर के अधिकारियों को आवारा कुत्तों को पकड़ने, उनकी नसबंदी करने, उनका टीकाकरण करने तथा उन्हें शेल्टर होम में रखने का आदेश दिया गया।

सभी संवेदनशील स्थानों सहित सड़कों से आवारा पशुओं को तत्काल हटाने पर जोर देते हुए पीठ ने कहा कि इससे बच्चों को यह महसूस होगा कि वे साइकिल चलाते समय, खेलते समय सुरक्षित हैं। साथ ही बुजुर्ग भी सैर पर जाने के दौरान सुरक्षित महसूस करेंगे।

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इस मामले में शीर्ष अदालत ने कई निर्देश जारी किए और आवारा कुत्तों को हटाने के काम में किसी भी तरह की बाधा उत्पन्न होने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी। शीर्ष अदालत ने 28 जुलाई को दिल्ली में कुत्ते के काटने से रेबीज फैलने की घटना की मीडिया में आई खबर पर स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा था कि इसमें कुछ चिंताजनक और परेशान करने वाले आंकड़े हैं।

Akhilesh Nath Tripathi

Akhilesh Nath Tripathi

First Published: Aug 11, 2025 7:31 PM

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