Attack on CJI BR Gavai: राकेश किशोर नाम के जिस सुप्रीम कोर्ट के वकील ने सोमवार (6 अक्टूबर) चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बीआर गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की थी बॉर काउंसिल ऑफ इंडिया ने उनका लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने सोमवार को एक बयान जारी कर बताया कि खुली अदालत में CJI गवई पर हमला करने का प्रयास करने के बाद वकील राकेश किशोर को तत्काल प्रभाव से सभी अदालतों में वकालत करने से निलंबित कर दिया गया है। वह अब देश की किसी भी अदालत में वकालत नहीं कर पाएंगे।
किशोर को कारण बताओ नोटिस जारी कर 15 दिनों में जवाब मांगा गया है। उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही भी शुरू हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को कार्यवाही के दौरान 71 वर्षीय एक वकील ने CJI बीआर गवई की ओर कथित तौर पर जूता उछालने की कोशिश की।
घटना के बाद सीजीआई ने अपना संयम बनाए रखा। उन्होंने अदालत कक्ष में उपस्थित वकीलों से अपनी दलीलें जारी रखने का आग्रह किया। CJI ने हमले के बाद कहा, "इन सब बातों से विचलित मत होइए। हम विचलित नहीं हैं। इन बातों का मुझ पर कोई असर नहीं पड़ता।"
वकीलों के अनुसार, यह घटना उस समय घटी जब चीफ जस्टिस और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की पीठ वकीलों द्वारा उल्लेख किए गए मामलों की सुनवाई कर रही थी। आरोपी वकील की पहचान बाद में मयूर विहार निवासी 71 वर्षीय राकेश किशोर के रूप में की गई है। वह मंच के पास पहुंचा, अपना जूता निकाला और उसे जजों की ओर उछालने का प्रयास किया।
सीनियर वकीलों ने की हमले की निंदा
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस हमले को दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय बताया। उन्होंने इसे गलत सूचना का परिणाम और सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का प्रयास बताया। उन्होंने पीटीआई से कहा, "चीफ जस्टिस की अदालत में आज की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है और इसकी निंदा की जानी चाहिए। यह सोशल मीडिया पर गलत सूचना का परिणाम है। यह संतोषजनक है कि भारत के प्रधान न्यायाधीश ने दरियादिली के साथ प्रतिक्रिया व्यक्त की... मैं केवल यही आशा करता हूं कि इस दरियादिली को अन्य लोग संस्था की कमजोरी के रूप में न देखें।"
मेहता ने कहा, "मैंने व्यक्तिगत रूप से CJI को सभी धर्मों के धार्मिक स्थलों पर पूरी श्रद्धा के साथ जाते देखा है। चीफ जस्टिस ने भी इस स्थिति को स्पष्ट किया है। यह समझ से परे है कि एक उद्दंड व्यक्ति ने आज जो किया, उसके पीछे क्या कारण था। ऐसा लगता है कि यह उसने ध्यान आकर्षित करने के लिए किया, जो सस्ती लोकप्रियता हासिल करना चाहता है।" वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने इस घटना को पूरी संस्था पर हमला करार दिया।
उन्होंने कहा, "मैं इस घटना की प्रत्यक्षदर्शी नहीं हूं। मुझे जो पता है, वह मीडिया की खबरों से पता चला है। इसकी जांच जरूरी है। मैं इसे सिर्फ़ CJI पर नहीं, बल्कि पूरी संस्था पर हमला मानती हूं।" जयसिंह ने कहा, "मैं इसे चीफ जस्टिस के खिलाफ जातिवादी टिप्पणी मानती हूं....इस पर भारत के सर्वोच्च न्यायालय से कानूनी प्रतिक्रिया की आवश्यकता है।"
यह घटना पिछले महीने खजुराहो में विष्णु भगवान की मूर्ति की पुनर्स्थापना के संबंध में हुई सुनवाई के दौरान सीजेआई की टिप्पणियों पर आरोपी वकील की अप्रसन्नता से जुड़ी हो सकती है। सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ ने मध्य प्रदेश में यूनेस्को विश्व धरोहर खजुराहो मंदिर परिसर के जवारी मंदिर में भगवान विष्णु की सात फुट की मूर्ति के पुनर्निर्माण और उसे पुनः स्थापित करने के निर्देश देने का अनुरोध करने वाली याचिका को खारिज कर दिया था।
चीफ जस्टिस ने कहा था, "यह पूरी तरह से प्रचार पाने के लिए दायर याचिका है... जाकर स्वयं भगवान से कुछ करने के लिए कहिए। अगर आप कह रहे हैं कि आप भगवान विष्णु के प्रति गहरी आस्था रखते हैं, तो प्रार्थना करें और थोड़ा ध्यान लगाएं।" अपनी टिप्पणियों की सोशल मीडिया पर हुई आलोचना के बाद सीजेआई ने कहा था कि वह सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा, "किसी ने मुझे बताया कि मैंने जो टिप्पणियां की थीं, इन्हें सोशल मीडिया पर गलत ढंग से चित्रित किया गया है... मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं।"