KCR की BRS में फैमिली ड्रामा! कौन हैं हरीश राव और संतोष कुमार, जिनके खिलाफ बोलना के कविता को पड़ा भारी, बाप की पार्टी से ही कटा पत्ता
Telangana Politics:C के कविता ने उन पर “मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के साथ मिलीभगत” और उनके पिता BRS प्रमुख और पूर्व CM के चंद्रशेखर राव (KCR) के खिलाफ 'गंभीर साजिस रचने" का आरोप लगाया। मंगलवार को, भारत राष्ट्र समिति (BRS) की नेतृत्व ने केविता को “पार्टी विरोधी गतिविधियों” के कारण पार्टी से निलंबित कर दिया
KCR की BRS में परिवारिक ड्रामा! कौन हैं हरीश राव और संतोष कुमार, जिनके खिलाफ बोलना के कविता को पड़ा भारी, बाप की पार्टी से ही कटा पत्ता
कांग्रेस के नेतृत्व वाली तेलंगाना सरकार ने सोमवार को कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना (KLIP) में कथित घोटाले की जांच CBI को सौंपने का फैसला किया था। इसके तुरंत बाद भारत राष्ट्र समिति (BRS) MLC के कविता ने अपने चचेरे भाइयों और पार्टी नेताओं, पूर्व मंत्री टी हरीश राव और पूर्व राज्यसभा सांसद संतोष कुमार पर निशाना साधा। कविता ने उन पर “मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के साथ मिलीभगत” और उनके पिता BRS प्रमुख और पूर्व CM के चंद्रशेखर राव (KCR) के खिलाफ 'गंभीर साजिस रचने" का आरोप लगाया।
मंगलवार को, भारत राष्ट्र समिति (BRS) की नेतृत्व ने केविता को “पार्टी विरोधी गतिविधियों” के कारण पार्टी से निलंबित कर दिया। इस पूरे मामले में जो दो नाम सबसे ज्यादा चर्चाओं में हैं- हरीश राव और संतोष कुमार, आइए उनके बारे में जानते हैं।
कौन हैं हरीश राव?
हरीश राव, 53 साल के हैं। वे 2001 में राजनीति में एक युवा नेता के रूप में जुड़े, जब केसीआर ने भारत राष्ट्र समिति (पहले तेलंगाना राष्ट्र समिति) बनाई थी। हरीश, जो KCR की बहन के बेटे हैं, पहली बार 2004 में अविभाजित आंध्र प्रदेश के सिद्धिपेट से विधायक बने थे और तब से लगातार इसी सीट पर बने हुए हैं।
2009-2010 में तेलंगाना आंदोलन के चरम के दौरान, वह BRS विधायकों और सांसदों में से एक थे, जिन्होंने अलग तेलंगाना राज्य की मांग को आगे बढ़ाने के लिए इस्तीफा दे दिया था।
अलग तेलंगाना राज्य के निर्माण के बाद 2014 के विधानसभा चुनावों में बीआरएस के सत्ता में आने के बाद, हरीश को KCR के पहले मंत्रिमंडल में सिंचाई और विधायी मामलों के मंत्री के रूप में शामिल किया गया था।
2018 में जब BRS की दूसरी बार सरकार बनी, तब शुरू में हरीश राव को कैबिनेट से बाहर कर दिया गया और उन्हें पार्टी संगठन में एक जिम्मेदारी दी गई। इसके बाद इसी बात को लेकर यह अटकलें उठने लगीं कि हरीश को उनके चचेरे भाई और BRS के कार्यकारी अध्यक्ष के टी रामाराव (KCR के बेटे) के चलते पार्टी में कम महत्व दिया जा रहा है।
हालांकि, पूरे राज्य में उनकी मजबूत जमीनी पकड़ को देखते हुए, हरीश राव को फिर से केसीआर की कैबिनेट में शामिल किया गया और उन्हें वित्त, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण जैसे महत्वपूर्ण विभाग सौंपे गए।
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए BRS MLC दासोजू श्रवण ने दावा किया, "हरीश राव सिर्फ हमारी पार्टी के वफादार सैनिक नहीं हैं, बल्कि वे केसीआर की नेतृत्व क्षमता और BRS आंदोलन की रीढ़ हैं, जिसे शुरू से ही उन्होंने संभाला है। जिस तरह उन्होंने कांग्रेस सरकार की ओर से KCR और कालेश्वरम परियोजना के खिलाफ लगाए गए झूठे और राजनीतिक प्रेरित आरोपों का खंडन किया, उसने पार्टी के कार्यकर्ताओं को उत्साहित किया, आलोचकों को चुप कर दिया और जनता को भरोसा दिलाया है। उनकी स्पष्टता, दृढ़ विश्वास और जवाब ने विधानसभा में कांग्रेस के झूठ को बेनकाब कर दिया है।"
सिंचाई मंत्री के रूप में, हरीश राव ने कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना (KLIP) की निगरानी की और कहा जाता है कि उन्होंने इस परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण को तेजी से पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
तेलंगाना के बंटवारे के बाद पानी के सही बंटवारे के समर्थक के रूप में, उन्होंने सिंचाई परियोजनाओं को फिर से डिजाइन करने की जोरदार वकालत की ताकि राज्य में पानी का अधिकतम इस्तेमाल सुनिश्चित हो सके, खासतौर पर तालाबों की सफाई (डेसिल्टिंग) और टैंक बांधों को मजबूत करने पर फोकस करके।
हरीश राव ने ये भी कहा था कि पार्टी आंध्र प्रदेश की बनकाचर्ला-गोदावरी परियोजना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी। उन्होंने इस परियोजना को चुनौती देने का ऐलान किया था, क्योंकि इसे पहले पर्यावरण और तकनीकी कारणों से अस्वीकार किया जा चुका है।
हरीश राव ने आरोप लगाया था कि बनकाचर्ला परियोजना से तेलंगाना को नुकसान होगा और यह परियोजना बिना जरूरी अनुमतियों के आगे बढ़ रही है। BRS यह मानती है कि यह कदम तेलंगाना के गोदावरी नदी के जल अधिकारों के लिए खतरा है। उन्होंने केंद्र सरकार और तेलंगाना सरकार दोनों से इस मुद्दे को लेकर कड़ी कार्रवाई करने का आग्रह किया था।
हरीश राव BRS कार्यकर्ताओं में बहुत लोकप्रिय नेता हैं। उन्होंने मिशन काकतीय्या के तहत पारंपरिक जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया, जिससे राज्य के कृषि क्षेत्र को लाभ हुआ। मिशन काकतीय्या के तहत लगभग 46,000 छोटी सिंचाई टैंकों का पुनर्निर्माण किया गया, जिससे सिंचाई की क्षमता बढ़ी और किसानों की जमीन की फर्टिलिटी में सुधार हुआ। इससे धान, कपास, और मिर्ची जैसी फसलों की उपज में इजाफा हुआ। इसके अलावा, इस मिशन ने किसानों की आय भी बढ़ाई है और जल स्तर में सुधार भी किया
वित्त मंत्री के रूप में, हरीश राव ने BRS सरकार की मुख्य योजनाएं रयथु बंधु और रयथु बीमा के लिए समय पर फंड रिलीज करने पर जोर दिया। इन योजनाओं को पार्टी को दूसरा कार्यकाल दिलाने की बड़ी वजह माना गया। KCR किट्स योजना, जो गर्भवती महिलाओं को वित्तीय और मेडिकल मदद देती है और बाद में इसमें डिलीवरी के बाद की देखभाल भी शामिल हुई, यह भी राव के दिमाग की ही सोच मानी जाती है।
हरीश राव Covid-19 महामारी के दौरान तेलंगाना के स्वास्थ्य मंत्री रहे। उन्होंने राज्य के सरकारी अस्पतालों में टेस्टिंग की तैयारी और वैक्सीनेशन अभियान की देखरेख की। इसके अलावा, ऑक्सीजन प्रोडक्शन प्लांट की स्थापना भी उनकी देखरेख में की गई। उन्होंने शहरी इलाकों में बस्ती दवाखानाओं (पड़ोस की क्लीनिक) को भी प्रोत्साहित किया, जिससे लोगों को स्थानीय स्तर पर बेहतर स्वास्थ्य सेवा मिल सके। कोविड के दौरान हरीश राव ने डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों की भूमिका की सराहना भी की और कहा कि उनकी मेहनत से ही महामारी से निपटना संभव हुआ।
2023 के विधानसभा चुनावों में BRS के सत्ता से बाहर होने के बाद से, हरीश विधानसभा के भीतर और बाहर अलग-अलग मुद्दों पर रेड्डी सरकार पर हमला करने में सबसे आगे रहे हैं। उन्होंने कथित KLIP घोटाले को लेकर पिछली केसीआर सरकार का बचाव किया, जबकि "यूरिया की कमी" और "फसल नुकसान के मुआवजे की कमी" जैसे किसानों के मुद्दों पर कांग्रेस सरकार पर पलटवार किया।
हरीश राव की राजनीतिक यात्रा विवादों से भी भरी रही है। उन्हें अक्सर BRS के प्रति अपनी निष्ठा साबित करनी पड़ी है, खासकर उनकी पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष के टी रामाराव (KTR) के साथ सत्ता संग्राम के बीच।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "केसीआर के बाद, हरीश राव BRS के सबसे बड़े नेता हैं, लेकिन केसीआर के परिवारिक समीकरणों की वजह से उनकी निष्ठा पर सवाल उठे हैं। इसके बावजूद, वह BRS के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।"
हाल ही में एल्काथुर्थी में हुए BRS अधिवेशन के दौरान भी हरीश विवादों में घिरे रहे। हालांकि शुरुआत में उन्हें इस आयोजन का प्रभारी बनाया गया था, लेकिन बाद में पार्टी नेताओं से मतभेद के चलते उनसे यह जिम्मेदारी वापस ले ली गई।
कार्यक्रम को लेकर पार्टी के बैनर पोस्टर से उनकी तस्वीरों का गायब होना और TDP सुप्रीमो और आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू के साथ उनकी मुलाकात की चर्चा ने BRS में उनके बने रहने पर सवालिया निशान लगा दिया है।
पार्टी सूत्रों ने कहा, "यह कोई रहस्य नहीं था कि वह नाराजा थे, लेकिन उन्होंने नायडू से मुलाकात की या नहीं, यह अभी भी साफ नहीं है। यह बहुत संभव है कि उन्होंने बीआरएस के साथ बने रहने का फैसला इसलिए किया, क्योंकि उन्हें पर्याप्त विधायकों का समर्थन नहीं मिल सका।"
हरीश का नाम अवैध फोन टैपिंग मामले में भी आया था, जहां आरोप लगाया गया था कि सत्ता में रहते हुए उन्होंने, BRS के वरिष्ठ नेताओं के साथ मिलकर, अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों की गैरकानूनी तरीक से निगरानी का आदेश दिया था। मार्च में, इस संबंध में उनके खिलाफ एक FIR दर्ज की गई थी, जिसे बाद में तेलंगाना हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया था।
संतोष कुमार कौन हैं?
KCR के "दाहिने हाथ" कहे जाने वाले 48 साल के संतोष कुमार BRS के एक वरिष्ठ नेता हैं और पार्टी की स्थापना के समय से ही इससे जुड़े रहे हैं। वह KCR की पत्नी की बहन के बेटे हैं।
संतोष वर्तमान में तेलुगु दैनिक "नमस्ते तेलंगाना" के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। कहा जाता है कि पुणे में छात्र जीवन के दौरान KTR के साथ रहने के बाद उनकी KCR से नजदीकी बढ़ी।
BRS के महासचिव संतोष कुमार 2016 से 2022 तक राज्यसभा के सदस्य रहे। पार्टी के एक अंदरूनी सूत्र के अनुसार, "संतोष कुमार पार्टी के प्रमुख सदस्य हैं, लेकिन वे 2014 में BRS के सत्ता में आने से पहले राजनीति में ज्यादा सक्रिय नहीं थे। इसके बाद उनकी पार्टी में स्थिति लगातार मजबूत हुई। KTR सहित किसी को भी KCR की उपलब्धता के बारे में संतोष से पूछना चाहिए। BRS सरकार के पहले कार्यकाल से ही वह महत्वपूर्ण बैठकों का हिस्सा रहे हैं और पार्टी की कई नियुक्तियों में उनका योगदान रहा है।"
इसके अलावा कहा जाता है कि संतोष कुमार केसीआर के निजी सचिव के रूप में चारों तरफ से उनसे जुड़े रहते हैं।
एक और BRS नेता ने कहा कि संतोष का “समर्पण और निष्ठा” और KCR और पार्टी का “निडर बचाव” करना ही उन्हें “सबसे विश्वसनीय BRS नेताओं में से एक” बनाता है।
संतोष कुमार ने सक्रिय राजनीति में आने से पहले ग्रीन इंडिया चैलेंज की शुरुआत की, जो एक राष्ट्रीय वृक्षारोपण अभियान है। इस अभियान की प्रेरणा उन्हें तब KCR सरकार के हरिता हरम कार्यक्रम से मिली थी। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण में अपनी योगदान के लिए पिछले साल "ग्रीन आइडल अवार्ड" भी हासिल किया था। संतोष कुमार पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी और जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए इस अभियान के माध्यम से लाखों पौधे लगाने और संरक्षण का काम कर रहे हैं।
पिछले साल, हैदराबाद पुलिस ने कुमार पर जमीन हड़पने का मामला दर्ज किया था, जिसमें उन पर शहर में 904 वर्ग गज जमीन पर अवैध कब्जा करने का आरोप लगाया गया था। उन्होंने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि खरीद कानूनी थी और संपत्ति को लेकर कोई विवाद नहीं था।
BRS खेमे में एक प्रमुख नेता होने के बावजूद, KCR परिवार में चल रही कलह ने संतोष की राजनीतिक स्थिति को भी प्रभावित किया है। सूत्रों ने कहा, "केसीआर को इन मतभेदों से निपटने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, इसलिए संभावना है कि या तो हरीश राव या केटीआर किस एक को पार्टी में ज्यादा महत्व दिया जाए।"