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ट्रंप का टैरिफ इंडिया के लिए 1991 जैसा मौका पेश करता है, रिफॉर्म्स की दिशा में बड़े कदम बढ़ाने का यह सही वक्त

इतिहास बताता है कि भारत के सामने जब-जब चुनौतियां आईं, तब-तब देश ने उनका मुकाबला किया। मुश्किलों के बीच आगे बढ़ने के रास्ते बनाए। रिफॉर्म्स को अपना हथियार बनाया। इन कोशिशों ने दुनिया में भारत की पहचान तेजी से बढ़ने वाले देश के रूप में बनाने में मदद की

Gaurav Chowdhryअपडेटेड Jul 31, 2025 पर 6:40 PM
ट्रंप का टैरिफ इंडिया के लिए 1991 जैसा मौका पेश करता है, रिफॉर्म्स की दिशा में बड़े कदम बढ़ाने का यह सही वक्त
इंडिया का सफर जारी रहेगा। अनुमान बताते हैं कि 2028 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।

यह साल 2013 की बात है जब मॉर्गन स्टैनली के एक प्रमुख फाइनेंशियल एनालिस्ट ने एक विवादित शब्द 'फ्रैजल फाइव' दिया था। इसका मतलब उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों-तुर्की, ब्राजील, इंडिया, दक्षिण अफ्रीका और इंडोनेशिया से था। इन्हें कमजोर देश माना गया था।

फ्रैजल फाइव शब्द इस धारणा पर आधारित था कि करंट अकाउंट डेफिसिट को पूरा करने और महत्वाकांक्षी ग्रोथ प्रोजेक्ट्स के लिए ये देश विदेशी पोर्टफोलियो इनवेस्टमेंट पर काफी ज्यादा निर्भर हैं, जिसमें उतारचढ़ाव होता रहता है। इससे इनके लिए वैश्विक वित्तीय झटकों और कैपिटल आउटफ्लो का खतरा बन रहता है।

सिर्फ 10 साल बाद 2023 तक इंडिया ने अपनी इकोनॉमी में नाटकीय बदलाव किया। यह दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी बन गया। अब इंडिया यूनाइटेड किंग्डम से आगे निकल गया है, जिसका कभी इंडिया पर राज था। इसमें डोमेक्सिटक कंजम्प्शन, बढ़ते डिजिटाइजेशन और PLI जैसी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने वाली स्कीमों का हाथ है।

आगे हालात में और नाटकीय बदलाव के आसार दिखते हैं। इसके बावजूद 30 जुलाई, 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इंडियन गु्ड्स पर 25 फीसदी का टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया। उन्होंने भारत के बढ़ते प्रभाव को रोकने के मकसद से इसे 'मृत' अर्थव्यवस्था तक कह दिया।

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