अब तक चीन के कंटेनर्स ज्यादा इस्तेमाल होते थे। वो भी ज्यादातर एक्सपोर्ट के लिए। लेकिन अब देश में बने बड़े-बड़े कंटेनर्स से ढुलाई होगी और इसकी शुरुआत भी हो चुकी है। डीपी वर्ल्ड के VP अधेनृ जैन का कहना है कि गुजरात के हजीरा और भीमासर से रेल द्वारा कार्गो ढुलाई की नई लाइन खोली जा रही है
देश में रेल कार्गो लगातार बढ़ रहा है। नए रेल कॉरिडोर इसे और गति देंगे और अब स्वदेशी कंटेनर इंडस्ट्री से लेकर मेक इन इंडिया को नई रफ्तार मिलेगी। गुजरात से अब कोलकाता तक दो गुड्स रेल लाइन शुरू हो रही है। कांडला के पास ₹4500 करोड़ की लागत से नया रेल कंटेनर टर्मिनल भी बन रहा है।गुजरात से कोलकाता तक अब ग्रेन, कैमिकल्स, टाइल्स, खाद्य तेल, स्टील और अन्य गुड्स आसानी से भेजे जा सकेंगे। ये पश्चिमी और पूरबी भारत की बिजनेस डिमांड को पूरी करेगी और मेक इन इंडिया कंटेनर्स की डिमांड भी बढ़ाएगी।
अब तक चीन के कंटेनर्स ज्यादा इस्तेमाल होते थे। वो भी ज्यादातर एक्सपोर्ट के लिए। लेकिन अब देश में बने बड़े-बड़े कंटेनर्स से ढुलाई होगी और इसकी शुरुआत भी हो चुकी है। डीपी वर्ल्ड के VP अधेनृ जैन का कहना है कि गुजरात के हजीरा और भीमासर से रेल द्वारा कार्गो ढुलाई की नई लाइन खोली जा रही है।
भारत में अभी रेल कार्गो से सिर्फ 27 फीसदी माल की ढुलाई होती है। 2030 तक देश में इसे डबल करके रेल कार्गो से 3000 मिलियन टन माल ढुलाई का लक्ष्य रखा गया है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर रेलवे राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स में अपनी हिस्सेदारी का लक्ष्य पूरा करना चाहता है, तो उसे राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की तुलना में 1.2-1.5 गुना ग्रोथ दर्ज करनी होगी।
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रोड के बदले रेल से परिवहन सस्ता और पर्यावरण के लिए अच्छा होता है। इसलिए इंडस्ट्री भी इसमें दिलचस्पी ले रही है। लंबी दूरी में माल की ढुलाई में इंडस्ट्री कम लागत का फायदा उठा सके इसके लिए अब कंटेनर्स शेयरिंग का विकल्प भी है। FICCI, गुजरात के प्रेसिडेंट राजीव गांधी का कहना है कि वे भी रेल द्वारा परिवहन बढ़ाकर मिशन गतिशक्ति का हिस्सा बनेंगे।
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