UP में कांवड़ यात्रा से पहले फिर उठा 'नेम प्लेट' विवाद, मास, मजहब पर सियासी बवाल! शुरू से आखिर तक समझें पूरा माजरा
18 जुलाई 2024 को मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि कांवड़ यात्रा मार्गों पर खाने-पीने की चीजें बेचने वाली हर दुकान पर दुकानदारों को नेम प्लेट लगाना अनिवार्य होगा। इस प्लेट पर दुकानदार का नाम, पता और मोबाइल नंबर साफ-साफ लिखा होना चाहिए। हालांकि, सुप्रीम की रोक बावजूद 25 जून 2025 को एक और आदेश जारी हुआ
UP में कांवड़ यात्रा से पहले फिर उठा 'नेम प्लेट' विवाद, मास, मजहब पर सियासी बवाल!
उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा शुरू होने से पहले ही सियासी और धार्मिक तनाव तेज हो गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली BJP सरकार ने 2024 में यात्रा मार्गों को लेकर जो सख्त नियम लागू किए थे, वही सख्ती अब 2025 में भी दोहराई जा रही है। साफ-सफाई, श्रद्धालुओं की आस्था की रक्षा और खाने पीने की चीजों में मिलावट रोकने के उद्देश्य से सरकार ने कई सख्त कदम उठाए हैं, लेकिन इन आदेशों को लेकर अब विवाद भी गहराता जा रहा है।
2024 में शुरू हुआ ये सिलसिला
18 जुलाई 2024 को मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि कांवड़ यात्रा मार्गों पर खाने-पीने की चीजें बेचने वाली हर दुकान पर दुकानदारों को नेम प्लेट लगाना अनिवार्य होगा। इस प्लेट पर दुकानदार का नाम, पता और मोबाइल नंबर साफ-साफ लिखा होना चाहिए।
सरकार का कहना था कि इससे आस्था की पवित्रता बनी रहेगी और किसी भी तरह की गैरकानूनी गतिविधियों, जैसे भ्रम फैलाने या खाने पीने के सामान में मिलावट करने पर रोक लग सकेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साफ किया था कि अगर कोई दुकानदार हलाल सर्टिफिकेट वाले उत्पाद बेचता पाया गया, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट की रोक और निजता पर सवाल
सरकार के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। 22 जुलाई 2024 को अदालत ने इस आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि दुकानदार सिर्फ अपने भोजनालय में परोसे जाने वाले भोजन की प्रकृति ही प्रदर्शित कर सकते हैं, न कि अपनी निजी जानकारी।
कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकारों से पूछा कि दुकानदारों की व्यक्तिगत जानकारी सार्वजनिक करना क्यों जरूरी है? सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को निजता के अधिकार से जोड़ते हुए गंभीर चिंता जताई थी।
फिर आया नया आदेश
सुप्रीम कोर्ट की रोक के करीब दो महीने बाद, 24 सितंबर 2024 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक और आदेश जारी किया। इस बार आदेश में राज्य भर के सभी रेस्टोरेंट और होटलों में मालिक, मैनेजर और कर्मचारियों के नाम-पते लिखना अनिवार्य कर दिया गया। आदेश में यह भी कहा गया कि खाद्य सामग्री में मिलावट के मामलों पर ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाई जाएगी।
साथ ही सभी रेस्टोरेंट और होटलों में हर कोने में CCTV कैमरे लगाना अनिवार्य कर दिया गया। शेफ और वेटरों को मास्क और ग्लव्स पहनना होगा और सभी कर्मचारियों का पुलिस वेरिफिकेशन भी कराया जाएगा।
योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि दाल, जूस और रोटी जैसे खाद्य पदार्थों में गंदगी या मिलावट की घटनाएं कई राज्यों में सामने आई हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में ऐसी घटनाओं को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
उन्होंने अधिकारियों से कहा कि खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जाए, ताकि दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जा सके।
2025 में फिर वही सख्ती, खुले में मांस पर रोक
25 जून 2025 को एक और आदेश जारी हुआ, जिसमें कहा गया कि 11 जुलाई से शुरू हो रही कांवड़ यात्रा से पहले सभी कांवड़ मार्गों पर खुले में मांस बेचने पर पूरी तरह से रोक लगाई जाएगी। साथ ही हर दुकानदार को अपने नाम, पते और मोबाइल नंबर भी लिखने होंगे।
आदेश में यह भी कहा गया कि यात्रा मार्ग पर प्रतिबंधित जानवरों का प्रवेश पूरी तरह से रोका जाएगा। इसके अलावा खाद्य वस्तुओं की कीमतें तय की जाएंगी, ताकि श्रद्धालुओं से मनमानी वसूली न हो।
यह पहली बार नहीं है जब योगी सरकार ने कांवड़ यात्रा के दौरान सख्ती दिखाई हो। जुलाई 2022 में मांस और शराब की बिक्री पर रोक लगाई गई थी, 2023 में खुले में मांस बेचने पर पाबंदी लगी, और 2024 में नेम प्लेट का विवादित आदेश आया। अब 2025 में यात्रा से पहले सरकार ने फिर से पुराने तेवर दिखाए हैं। हालांकि, अभी तक इस पर कोई बड़ा राजनीतिक बयान सामने नहीं आया, लेकिन जैसे-जैसे यात्रा की तारीख नजदीक आएगी, प्रतिक्रियाएं तेज हो सकती हैं।
मुस्लिम लीग का विरोध और सियासी टकराव
वहीं इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने योगी सरकार पर मुस्लिम विरोधी एजेंडा चलाने का आरोप लगाया है। पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मौलाना कौसर हयात खान ने कहा, "कांवड़ यात्रा पर जो लोग निकलते हैं, वे हमसे ज्यादा गोश्त खाते हैं।" उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह धार्मिक आयोजनों की आड़ में मुसलमानों को निशाना बना रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि नमाज पढ़ने पर आपत्ति जताई जाती है, लेकिन कांवड़ यात्रा के नाम पर सार्वजनिक जगहों को बंद कराया जाता है। मौलाना ने सवाल किया कि जब शराब पीकर सबसे ज्यादा हुड़दंग होता है, तो शराब की दुकानें क्यों नहीं बंद करवाई जातीं? सिर्फ गोश्त की दुकानों को ही निशाना क्यों बनाया जा रहा है?
उनका आरोप था कि सरकार एक समानांतर हिंदू संगठन आधारित प्रशासन चला रही है। उन्होंने कहा कि किसी भी हिंदू संगठन को पहचान पत्र जांचने का अधिकार नहीं है, फिर भी वे खुलेआम यह कर रहे हैं, और उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती। उन्होंने चेतावनी दी कि जब यह सरकार नहीं रहेगी, तब ऐसे संगठनों की हिम्मत नहीं होगी कि वे इस तरह की हरकत करें।
इसके अलावा ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी ने भी ऐसे नियमों पर सवाल उठाते हुए कहा, "पहले यूपी सरकार, फिर दिल्ली सरकार और अब उत्तराखंड सरकार ने भी इसी तरह के आदेश जारी किए हैं। इन आदेशों में कांवड़ यात्रा के रास्ते में पड़ने वाली दुकानों को अपना नाम, पहचान पत्र देना होगा और उन्हें बंद रखना होगा। यह बहुत ही अजीब और परेशान करने वाली स्थिति है।"
मौलाना रशीदी ने आगे कहा, "दुकानें बंद करने की धमकी देना और 10-15 दिन के लिए जुर्माना लगाना बहुत बड़ी परेशानी का कारण बनता है। यह कैसा न्याय है? हमारा संविधान धर्मनिरपेक्ष है और हमारी सरकारें धर्मनिरपेक्ष हैं। हमारे देश का संविधान धर्मनिरपेक्ष है। अधिकारी धर्मनिरपेक्षता को बनाए रखने और किसी के साथ भेदभाव न करने की शपथ लेते हैं। तो फिर सरकारें एक धर्म के पक्ष में क्यों काम कर रही हैं? सरकारें सबकी होती हैं - हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी की..."
पुलिस की तैयारियां और सुरक्षा व्यवस्था
सरकार की सख्ती के साथ-साथ पुलिस प्रशासन ने भी कांवड़ यात्रा के लिए पुख्ता इंतजाम किए हैं। मेरठ, बागपत, हापुड़ और बुलंदशहर जैसे चार बड़े जिलों में खास तैयारी की गई हैं। कुल 57 जोन और 155 सेक्टर बनाए गए हैं और करीब 15,000 पुलिसकर्मी तैनात किए जाएंगे। 540 किलोमीटर लंबे यात्रा मार्ग पर 119 बैरियर और 10 टोल प्वाइंट्स होंगे।
यात्रा के दौरान किसी भी कांवड़िये की कांवड़ खंडित होने पर हर पुलिस चौकी और चेकपोस्ट पर हरिद्वार से लाया गया गंगाजल दिया जाएगा। सुरक्षा की दृष्टि से प्रमुख मंदिरों पर ATS और STF की टीम भी तैनात की जाएगी। प्रशासन यात्रा को शांतिपूर्ण और व्यवस्थित बनाने के लिए पूरी तरह सतर्क है।