
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में स्थित मशहूर बृजघाट श्मशान में इस हफ्ते एक ऐसा अजीब मामला सामने आया जिसने स्थानीय लोगों को भी चौंका दिया। गुरुवार दोपहर शोक का माहौल अचानक तमाशे में बदल गया, जब लोगों को पता चला कि अंतिम संस्कार के लिए लाया गया “शव” असल में इंसान नहीं, बल्कि कफ़न में लिपटा एक दुकान का पुतला था। इस अनोखी घटना ने सभी को हैरानी में डाल दिया।
श्मशान घाट पर घटी अजीब घटना
गवाहों के मुताबिक, चार लोग HR नंबर वाली i20 कार से श्मशान पहुंचे और पूरे सम्मान के साथ खुद को अंतिम संस्कार कराने वालों की तरह पेश किया। उन्होंने घी, लकड़ी और बाकी जरूरी सामान भी बिना किसी शक पैदा किए खरीद लिया। श्मशान के कर्मचारी नितिन भी शुरू में यही मान बैठे कि ये लोग अपने किसी प्रिय का अंतिम संस्कार करने पहुंचे हैं और काफी दुखी हैं।
ऐसे हुआ शक
मामला तब संदिग्ध लगने लगा जब उस ग्रुप ने कफन में लिपटी हुई चीज को सीधे चिता पर रख दिया। लोगों ने चेहरे को आखिरी बार दिखाने की मांग की, लेकिन वे बार-बार बात टालते रहे, जिससे शक और गहरा गया। भीड़ बढ़ने पर जब आखिरकार कफन खोला गया, तो सब हैरान रह गए—अंदर इंसान की जगह एक प्लास्टिक का पुतला रखा हुआ था।
फौरन पुलिस को बुलाया गया, लेकिन चार में से दो लोग मौके से भाग निकले। अधिकारियों ने दिल्ली के दो कपड़ा व्यापारियों—कमल सोमानी और आशीष खुराना को पकड़ लिया। जब उनकी कार की तलाशी ली गई, तो उसमें से दो और पुतले मिले। इससे मामला और भी उलझ गया और श्मशान घाट पर सामने आया यह अजीब घटना अब शक के आधार पर एक संभावित वित्तीय धोखाधड़ी की जांच में बदल गई है।
फिर खुला ये राज
पूछताछ में पुलिस के मुताबिक, सोमानी ने कबूल किया कि वह 50 लाख रुपये के कर्ज में फंसा हुआ था। जांचकर्ताओं का मानना है कि यह पूरा मामला एक बीमा कंपनी को ठगने की योजना का हिस्सा था। आरोप है कि सोमानी ने अंशुल नाम के एक परिचित के निजी दस्तावेज़ अपने पास रख लिए और उन्हीं का इस्तेमाल करते हुए टाटा AIA से 50 लाख की लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी ली, जिसमें उसने खुद को नॉमिनी बनाया। शक न हो, इसलिए वह नियमित रूप से प्रीमियम भी जमा करता रहा।
अधिकारियों के अनुसार, सोमानी की योजना अंशुल की झूठी मौत दिखाकर पुतले का अंतिम संस्कार करने, फिर डेथ सर्टिफिकेट हासिल कर बीमा का पैसा लेने की थी। पूछताछ में उसने बताया कि पुतला उसकी अपनी कपड़ों की दुकान से लिया गया था और नदी किनारे ले जाने से पहले जल्दबाज़ी में उसे कफ़न में लपेट दिया गया था।
श्मशान के कर्मचारी नितिन के मुताबिक, यह ग्रुप शुरू से ही घबराया हुआ लग रहा था और मरने वाले की पहचान से जुड़े सामान्य सवालों से बचता रहा। जैसे ही कफ़न के अंदर पुतला निकला, नितिन ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। जांच के दौरान पुलिस ने मौके पर मिले मोबाइल से अंशुल को वीडियो कॉल की। कॉल पर वह पूरी तरह सुरक्षित मिला और बताया कि वह कई दिनों से प्रयागराज में अपने परिवार के साथ था और उसे अंदाज़ा भी नहीं था कि उसका नाम किसी धोखाधड़ी में इस्तेमाल किया जा रहा है।
जांच की कमान संभाल रहे इंस्पेक्टर मनोज बाल्यान ने बताया कि सोमानी और खुराना के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाज़ी और आपराधिक साज़िश के आरोप में मामला दर्ज किया गया है। वहीं, मौके से फरार हुए दो अन्य आरोपियों की तलाश अभी भी जारी है।
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