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हमने मुशर्रफ को खरीद लिया था, अमेरिका को तानाशाह नेताओं के साथ काम करना पसंद है: CIA के पूर्व अधिकारी

किरियाकू ने ये भी बताया कि मुशर्रफ पाकिस्तानी सेना को खुश रखने के लिए दिखावे में अमेरिका के साथ आतंक के खिलाफ समर्थन करते थे, लेकिन पीछे से भारत के खिलाफ आतंक फैलाने की छूट देते थे। सेना को अल-कायदा की उतनी चिंता नहीं थी, वे सिर्फ भारत को लेकर चिंतित थे

MoneyControl Newsअपडेटेड Oct 25, 2025 पर 7:00 PM
हमने मुशर्रफ को खरीद लिया था, अमेरिका को तानाशाह नेताओं के साथ काम करना पसंद है: CIA के पूर्व अधिकारी
हमने मुशर्रफ को खरीद लिया था, अमेरिका को तानाशाह नेताओं के साथ काम करना पसंद है: CIA के पूर्व अधिकारी

पूर्व CIA अधिकारी जॉन किरियाकू ने कहा है कि अमेरिका ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को करोड़ों डॉलर की मदद देकर, सीधे-सीधे 'खरीद' लिया था। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान में भ्रष्टाचार बहुत गहरा है और वहां के नेता विदेशों में ऐशो-आराम की जिंदगी जीते हैं, जबकि आम जनता गरीबी में परेशान रहती है।

अपनी 15 साल की CIA सर्विस में किरियाकू ने बताया, "हमारे पाकिस्तान सरकार से बहुत अच्छे संबंध थे। उस वक्त मुशर्रफ राष्ट्रपति थे। सच कहें तो, अमेरिका को तानाशाह नेताओं के साथ काम करना पसंद है, क्योंकि वहां जनता या मीडिया का दबाव नहीं होता। हमने मुशर्रफ को खरीद लिया था। वह हमें पाकिस्तान में कोई भी काम करने देता था, चाहे सैन्य मदद हो या विकास की मदद। हम मुशर्रफ से हर हफ्ते कई बार मिलते थे, और वे हमें पूरी छूट देते थे।"

किरियाकू ने ये भी बताया कि मुशर्रफ पाकिस्तानी सेना को खुश रखने के लिए दिखावे में अमेरिका के साथ आतंक के खिलाफ समर्थन करते थे, लेकिन पीछे से भारत के खिलाफ आतंक फैलाने की छूट देते थे। सेना को अल-कायदा की उतनी चिंता नहीं थी, वे सिर्फ भारत को लेकर चिंतित थे।

उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान साल 2002 में युद्ध के करीब थे। 2001 में संसद पर हमला हुआ था। CIA को डर था कि पाकिस्तानी राजनीतिक संकट सड़क पर आ सकता है और बड़े प्रदर्शनों, नेताओं पर हमलों तक बढ़ सकता है, क्योंकि वहां राजनीति में उथल-पुथल आम बात है।

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