Great Nicobar Project: क्या है ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट? कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने किया है विरोध, जानें- भारत सरकार का लक्ष्य

Great Nicobar Project: ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट का विरोध करते हुए सोनिया गांधी ने कहा है कि जब कुछ जनजातियों का अस्तित्व ही दांव पर हो, तो देश की सामूहिक अंतरात्मा चुप नहीं रह सकती। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह आर्टिकल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर किया। उन्होंने भी इस परियोजना को लेकर सवाल उठाए

अपडेटेड Sep 08, 2025 पर 7:19 PM
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Great Nicobar Project: सोनिया गांधी ने कहा है कि इस प्रोजेक्ट के खिलाफ आवाज उठाई जानी चाहिए (Photo- The Hindu)

Great Nicobar Project: कांग्रेस संसदीय दल (CPP) की प्रमुख सोनिया गांधी ने सोमवार (8 सितंबर) को कहा कि ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट एक सुनियोजित दुस्साहस, न्याय का उपहास और राष्ट्रीय मूल्यों के साथ विश्वासघात है। उन्होंने कहा कि इसके खिलाफ आवाज उठाई जानी चाहिए। सोनिया गांधी ने अंग्रेजी अखबार 'द हिंदू' के लिए लिखे एक आर्टिकल में यह भी कहा कि जब कुछ जनजातियों का अस्तित्व ही दांव पर हो, तो देश की सामूहिक अंतरात्मा चुप नहीं रह सकती। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह आर्टिकल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर किया। उन्होंने भी इस परियोजना को लेकर सवाल उठाए।

राहुल गांधी ने कहा कि इस आर्टिकल के जरिए सोनिया गांधी ने इस परियोजना के माध्यम से निकोबार के लोगों के साथ किए जा रहे अन्याय को उजागर किया है। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने लेख में कहा, "पिछले 11 वर्षों में अधूरी और गलत नीतियां बनाई गई हैं। इस सुनियोजित दुस्साहस की श्रृंखला में नवीनतम है 'ग्रेट निकोबार मेगा-इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना'। 72,000 करोड़ रुपये का यह पूरी तरह से गलत खर्च द्वीप के मूल आदिवासी समुदायों के अस्तित्व के लिए खतरा पैदा करता है। यह दुनिया के सबसे अनोखे वनस्पतियों और जीव-जंतुओं के इकोसिस्टम में से एक के लिए खतरा है और प्राकृतिक आपदाओं के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है"

उन्होंने कहा कि इसके बावजूद इसे असंवेदनशीलता के साथ आगे बढ़ाया जा रहा है, जिससे सभी कानूनी और सुविचारित प्रक्रियाओं का मज़ाक उड़ाया जा रहा हैसोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि इस परियोजना के माध्यम से आदिवासियों को उजाड़ा जा रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, "ग्रेट निकोबार द्वीप दो मूल समुदायों, निकोबारी जनजाति और शोम्पेन जनजाति (एक विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूह) का घर है। निकोबारी आदिवासियों के पैतृक गांव परियोजना के प्रस्तावित भू-क्षेत्र में आते हैं। 2004 में हिंद महासागर में आई सुनामी के दौरान निकोबारी लोगों को अपने गांव छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था"


सोनिया गांधी के अनुसार, यह परियोजना अब इस समुदाय को स्थायी रूप से विस्थापित कर देगीइससे उनके अपने पैतृक गांवों में लौटने का सपना टूट जाएगाउनका दावा है कि शोम्पेन समुदाय को और भी बड़े खतरे का सामना करना पड़ रहा है। सोनिया गांधी ने कहा, "शोम्पेन समुदाय को एक और भी बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। द्वीप की शोम्पेन नीति, जिसे केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा अधिसूचित किया गया है, विशेष रूप से अधिकारियों से यह अपेक्षा करती है कि वे 'बड़े पैमाने पर विकास प्रस्तावों' पर विचार करते समय इस जनजाति की भलाई और 'अखंडता' को प्राथमिकता दें।"

उन्होंने कहा, "अंततः शोम्पेन खुद को अपनी पैतृक भूमि से कटा हुआ पाएंगे और अपने सामाजिक और आर्थिक अस्तित्व को बनाए रखने में असमर्थ पाएंगे। फिर भी, सरकार हठधर्मिता और हैरान करने वाली जिद पर अड़ी हुई है।" उन्होंने आरोप लगाया कि स्थानीय समुदायों की सुरक्षा के लिए स्थापित उचित प्रक्रिया और नियामक सुरक्षा उपायों की अवहेलना की गई है।

कांग्रेस की शीर्ष नेता ने दावा किया कि देश के कानूनों का खुलेआम मजाक उड़ाया जा रहा है। देश के सबसे कमजोर समूहों में से एक को इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है। सोनिया गांधी ने कहा, "जब शोम्पेन और निकोबारी जनजातियों का अस्तित्व ही दांव पर हो, तो हमारी सामूहिक अंतरात्मा चुप नहीं रह सकती और न ही उसे चुप रहना चाहिए।"

उन्होंने इस बात पर जोर दिया, "भावी पीढ़ियों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता, एक अत्यंत विशिष्ट इसोसिस्टम के इतने बड़े पैमाने पर विनाश की अनुमति नहीं दे सकती। हमें न्याय के इस उपहास और हमारे राष्ट्रीय मूल्यों के साथ इस विश्वासघात के खिलाफ आवाज उठानी होगी।"

क्या है ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट?

ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट बंगाल की खाड़ी में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के सबसे दक्षिणी द्वीप ग्रेट निकोबार द्वीप समूह (Great Nicobar Island) के लिए मोदी सरकार द्वारा प्रस्तावित एक बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास योजना है। यह ग्रेट निकोबार द्वीप पर एक बंदरगाह, एयरपोर्ट, बिजली और टाउनशिप सुविधाओं के निर्माण के लिए अरबों डॉलर की एक रणनीतिक और इंफ्रास्ट्रक्चर प्लान है। इससे भारत की समुद्री सुरक्षा और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।

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इस परियोजना को 2022 में (शर्तों के साथ) पर्यावरण और वन मंजूरी प्राप्त हुई थी। इस प्रोजेक्ट की कुल लागत लगभग 81,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। नीति आयोग के नेतृत्व में और ANIIDCO (Andaman and Nicobar Islands Integrated Development Corporation) के माध्यम से कार्यान्वित इस परियोजना का उद्देश्य ग्रेट निकोबार को सामरिक, आर्थिक और पर्यटन महत्व के केंद्र में बदलना है।

Akhilesh Nath Tripathi

Akhilesh Nath Tripathi

First Published: Sep 08, 2025 7:18 PM

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