Justice Surya Kant: कौन हैं जस्टिस सूर्यकांत? बनेंगे भारत के 53वें चीफ जस्टिस! CJI गवई ने की सिफारिश

New CJI Surya Kant: जस्टिस सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी, 1962 को हरियाणा के हिसार जिले में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। वह 24 मई, 2019 को शीर्ष अदालत में जज बने थे। जस्टिस सूर्यकांत पीठ में दो दशक के अनुभव के साथ देश के शीर्ष न्यायिक पद को ग्रहण करेंगे। CJI बीआर गवई 23 नवंबर को रिटायर होंगे

अपडेटेड Oct 27, 2025 पर 12:30 PM
Story continues below Advertisement
New CJI Surya Kant: जस्टिस सूर्यकांत 24 नवंबर को देश के 53वें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के रूप में पदभार ग्रहण कर सकते हैं

New CJI Surya Kant: चीफ जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने केंद्र सरकार से जस्टिस सूर्यकांत को भारत का अगला चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) नियुक्त करने की सिफारिश की है। वर्तमान CJI बी.आर. गवई के बाद सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे वरिष्ठ जज जस्टिस सूर्यकांत 24 नवंबर को देश के 53वें चीफ जस्टिस के रूप में पदभार ग्रहण कर सकते हैं। CJI गवई 23 नवंबर को रिटायर होंगे। सूत्रों के अनुसार इस साल 14 मई को प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण करने वाले जस्टिस गवई ने अगले CJI के रूप में केंद्रीय कानून मंत्रालय से जस्टिस सूर्यकांत के नाम की सिफारिश की है।

सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में 24 मई, 2019 को प्रमोट हुए जस्टिस सूर्यकांत का CJI के रूप में कार्यकाल एक साल 2 महीने से अधिक होगा। वह 9 फरवरी, 2027 को इस पद से रिटायर होंगे। सुप्रीम कोर्ट के जजों की रिटायरमेंट की आयु 65 वर्ष है।

सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति, ट्रांसफर और प्रमोशन के दिशानिर्देश संबंधी प्रक्रिया ज्ञापन के अनुसार भारत के प्रधान न्यायाधीश के पद पर नियुक्ति के लिए शीर्ष अदालत के सबसे वरिष्ठ जज को चुना जाना चाहिए। जिन्हें पद धारण करने के लिए उपयुक्त माना जाता है।

इसके अनुसार केंद्रीय कानून मंत्री, उचित समय पर, निवर्तमान CJI से उनके उत्तराधिकारी की नियुक्ति के लिए अनुशंसा प्राप्त करेंगे। परंपरागत रूप से यह पत्र वर्तमान चीफ जस्टिस के 65 साल की आयु होने पर रिटायर होने से एक महीने पहले भेजा जाता है।

कौन हैं जस्टिस सूर्यकांत?

जस्टिस सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी, 1962 को हरियाणा के हिसार जिले में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। वह 24 मई, 2019 को शीर्ष अदालत में जज बने। जस्टिस सूर्यकांत पीठ में दो दशक के अनुभव के साथ देश के शीर्ष न्यायिक पद को ग्रहण करेंगे। इसमें आर्टिकल 370 को निरस्त करने, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, लोकतंत्र, भ्रष्टाचार, पर्यावरण और लैंगिक समानता से संबंधित ऐतिहासिक फैसले शामिल हैं।


जस्टिस सूर्यकांत उस पीठ का हिस्सा थे जिसने औपनिवेशिक काल के राजद्रोह कानून पर रोक लगा दी थी। साथ ही निर्देश दिया था कि सरकार की ओर से समीक्षा होने तक इसके तहत कोई नई FIR दर्ज न की जाए। चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता को रेखांकित करने वाले एक आदेश में उन्होंने निर्वाचन आयोग को बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के बाद मसौदा मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख नामों का विवरण देने को कहा था।

जस्टिस सूर्यकांत को यह निर्देश देने का श्रेय भी दिया जाता है कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन सहित बार एसोसिएशनों में एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की जाएं। उन्होंने रक्षा बलों के लिए वन रैंक-वन पेंशन (OROP) योजना को संवैधानिक रूप से वैध बताते हुए उसे बरकरार रखा। साथ ही सेना में स्थायी कमीशन में समानता की मांग करने वाली सशस्त्र बलों की महिला अधिकारियों की याचिकाओं पर सुनवाई जारी रखी।

जस्टिस सूर्यकांत सात जजों की उस पीठ में शामिल थे जिसने 1967 के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के फैसले को खारिज कर दिया था। इससे संस्थान के अल्पसंख्यक दर्जे पर पुनर्विचार का रास्ता खुल गया था। वह पेगासस स्पाइवेयर मामले की सुनवाई करने वाली पीठ का भी हिस्सा थे, जिसने गैरकानूनी निगरानी के आरोपों की जांच के लिए साइबर विशेषज्ञों का एक पैनल नियुक्त किया था।

ये भी पढे़ं- Pan-India SIR: पूरे देश में वोटर लिस्ट की होगी जांच! देशव्यापी SIR का आज होगा ऐलान, पहले चरण में 10-15 राज्य शामिल

इसके अलावा जस्टिस सूर्यकांत उस पीठ का हिस्सा रहे जिसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2022 की पंजाब यात्रा के दौरान सुरक्षा उल्लंघन की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज इंदु मल्होत्रा ​​​​की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति नियुक्त की थी। उन्होंने कहा था कि ऐसे मामलों के लिए न्यायिक रूप से प्रशिक्षित दिमाग की आवश्यकता होती है।

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।