Infosys News: आईटी सेक्टर की दिग्गज कंपनी इंफोसिस के मैसूर कैंपस में 30-45 ट्रेनी और टेस्ट में फेल हो गए हैं। मनीकंट्रोल को सूत्रों के हवाले से जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक इंफोसिस के इंटर्नल एसेसमेंट को ये पास नहीं कर पाए। हालांकि इन्हें निकाला नहीं गया है बल्कि दूसरा कैरियर विकल्प दिया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक इन ट्रेनीज को इंफोसिस बिजनेस प्रोसेस मैनेजमेंट (BPM) में जॉब के लिए 12 हफ्ते की ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके अलावा कंपनी ने यह भी कहा कि बीपीएम कोर्स में शामिल होने वाले कैंडिडेट्स की ट्रेनिंग को यह स्पांसर करेगी यानी पूरा खर्च उठाएगी। इससे पहले फरवरी में 350 ट्रेनीज को तो कंपनी ने टेस्ट में फेल होने पर निकाल ही दिया था। ये लोग ढाई साल से अधिक की देरी के बाद कंपनी में शामिल हुए थे।
फेल हुए ट्रेनीज के सामने अब ये हैं विकल्प
इंफोसिस ने ट्रेनीज को जो मेल भेजे हैं, उसमें लिखा है कि तैयारी के लिए अतिरिक्त समय दिए जाने, डाउट-क्लियरिंग सेशंस और कुछ मॉक एसेसमेंट्स अपॉर्च्यूनिटीज के बावजूद 'फाउंडेशन स्किल ट्रेनिंग प्रोग्राम' में क्वालिफाईंग क्राइटेरिया पार नहीं कर पाए। ऐसे में उन्हें कंपनी एक महीने के एक्स-ग्रेशिया पेमेंट के साथ-साथ रिलीविंग लेटर दे रही है। वहीं बीपीएम में जाने का मौका दिया जा रहा है लेकिन जो इसमें नहीं जाना चाहते हैं, उन्हें कंपनी मैसूर से बंगलुरू और उनके घर तक जाने का खर्च दिया जाएगा। इसके अलावा कंपनी ने उन्हें मैसूर में अपने जाने तक एंप्लॉयी केयर सेंटर में रहने की भी मंजूरी दी है। कंपनी ने कहा है कि जो लोग जाना चाहते हैं, उन्हें 27 मार्च 2025 तक अपना ट्रैवल और एकॉमेडेशन प्रिफरेंसेज सबमिट करना है।
ट्रेनीज को निकाले जाने के मामले में Infosys को मिल चुकी है क्लीन चिट
पिछले महीने 27 फरवरी को कर्नाटक के लेबर डिपार्टमेंट ने दस्तावेजी सबूतों के आधार पर ट्रेनीज को निकालने के मामले में लेबर लॉ से जुड़े किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं पाया। एक सूत्र के मुताबिक वे सभी ट्रेनीज थे और कुछ ने तीन महीने की ट्रेनिंग ली थी तो इसे छंटनी नहीं कह सकते, इसलिए लेबर लॉ ऐसे मामलों में लागू नहीं होते हैं। छंटनी के नियम केवल तभी लागू होते हैं, जब किसी रेगुलर एंप्लॉयी को निकाला गया हो।
इससे पहले कर्नाटक के लेबर डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने ट्रेनीज को निकाले जाने की रिपोर्ट पर इंफोसिस के बेंगलुरु और मैसूर कैंपसों का दौरा किया था। इसे लेकर इससे पहले केंद्रीय लेबर मिनिस्ट्री ने मेल करके कर्नाटक लेबर कमिश्नर और लेबर सेक्रेटरी को मामले की जांच को भी कहा था और मामले को सुलझाने के लिए जरूरी कदम उठाने को कहा था। इस मामले में इंफोसिस का कहना है कि वह अपनी मौजूदा नीतियों पर बनी हुई है और मूल्यांकन में फेल होने वाले फ्रेशर्स कंपनी में नहीं रह सकते हैं।