मानसून का मौसम जितना सुकूनदायक होता है, उतना ही खतरनाक भी हो सकता है। इस मौसम में नमी और बारिश के कारण सांपों की सक्रियता बढ़ जाती है। कई बार ये जहरीले जीव सूखे और सुरक्षित ठिकाने की तलाश में घरों या आस-पास के इलाकों में पहुंच जाते हैं। ऐसे में उनके इंसानों से टकराने की संभावना भी ज्यादा हो जाती है। खेतों, बगीचों या पानी भरे इलाकों में काम करने वाले लोग सबसे ज्यादा खतरे में रहते हैं। अगर गलती से किसी को सांप काट ले, तो घबराने की जरूरत नहीं है। सही समय पर सही इलाज या घरेलू उपाय जान लेना बहुत जरूरी है।
आयुर्वेद में एक ऐसी खास जड़ी-बूटी का जिक्र है, जो सांप के जहर को बेअसर कर सकती है और समय रहते दी जाए तो जान भी बचा सकती है। आइए जानते हैं इस जड़ी-बूटी के बारे में और इसे कैसे इस्तेमाल किया जाता है।
इस जड़ी-बूटी का नाम है ककोड़ा, जिसे कई जगहों पर कंटोला या कट्रोल भी कहा जाता है। यह पौधा गर्म और नम स्थानों पर आसानी से पाया जाता है, खासकर खेतों की मेड़ों और झाड़ियों में। जंगलों में उगने वाला यह पौधा न सिर्फ औषधीय गुणों से भरपूर है, बल्कि इसके फल की सब्जी भी बनाई जाती है जो स्वादिष्ट होती है।
सांप के जहर को करता है बेअसर
लोक मान्यताओं और आयुर्वेदिक जानकारों के मुताबीक, ककोड़ा में हर तरह के जहर को निष्क्रिय करने की क्षमता होती है। कहा जाता है कि अगर समय रहते इस पौधे का सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए, तो व्यक्ति को सिर्फ 5 मिनट में सांप के जहर से राहत मिल सकती है।
अगर किसी को सांप ने काट लिया है, तो सबसे पहले ककोड़े की जड़ लें और उसे अच्छी तरह धोकर दो दिन तक धूप में सुखाएं। फिर इस सूखी जड़ को पीसकर उसका पाउडर बना लें।
अब इस पाउडर का एक चम्मच मात्रा दूध में मिलाकर सांप काटे हुए व्यक्ति को पिलाएं। माना जाता है कि ऐसा करने से 5 मिनट के भीतर ही जहर का असर कम होने लगता है और व्यक्ति की जान बच सकती है।
आयुर्वेद में भी है इसकी चर्चा
ककोड़ा को आयुर्वेद में विषनाशक पौधों की श्रेणी में रखा गया है। इसका प्रयोग पुराने समय से ग्रामीण इलाकों में जहर उतारने के लिए किया जाता रहा है।
ये उपाय पारंपरिक ज्ञान पर आधारित है, लेकिन सांप काटने की स्थिति में तुरंत नजदीकी अस्पताल या डॉक्टर के पास जाना सबसे जरूरी होता है। घरेलू उपाय प्राथमिक राहत के तौर पर किए जा सकते हैं, लेकिन मेडिकल इलाज को नजरअंदाज न करें।