नींद हमारे शरीर के लिए उतनी ही जरूरी है जितनी सही खानपान और नियमित व्यायाम। एक अच्छी नींद न केवल थकान मिटाती है बल्कि पूरे दिन की कार्यक्षमता को बढ़ाती है और मानसिक संतुलन बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाती है। जब नींद गहरी और आरामदायक होती है तो शरीर खुद को रिपेयर करता है, इम्यून सिस्टम मजबूत होता है और मूड भी बेहतर रहता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि नींद को खराब करने में सिर्फ़ आपकी दिनचर्या या तनाव ही नहीं, बल्कि आपका गद्दा भी जिम्मेदार हो सकता है? अक्सर लोग गद्दे की उम्र और उसकी गुणवत्ता को नजरअंदाज कर देते हैं, जबकि पुराना गद्दा आपके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
ये आपकी नींद को बाधित कर सकता है और कई शारीरिक व मानसिक समस्याओं की वजह बन सकता है। सही समय पर गद्दा बदलना सिर्फ आराम के लिए नहीं, बल्कि अच्छी सेहत के लिए भी जरूरी है।
जैसे-जैसे गद्दा पुराना होता है, उसकी मजबूती कम हो जाती है। ये रीढ़ को सही सहारा नहीं दे पाता, जिससे पीठ, गर्दन और कमर में दर्द की शिकायत बढ़ने लगती है।
पुराने गद्दे को धोना आसान नहीं होता, इसलिए समय के साथ इसमें धूल और एलर्जी पैदा करने वाले सूक्ष्म कीटाणु जमा हो जाते हैं। ये अस्थमा और अन्य सांस संबंधी परेशानियों का खतरा बढ़ा सकता है।
सपोर्ट न देने वाला गद्दा आरामदायक नींद में बाधा डालता है। नींद पूरी न होने से दिनभर थकान और सुस्ती रहती है। लंबे समय तक ऐसा होने पर हार्ट डिजीज, डायबिटीज और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है।
नींद की कमी सीधे मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। इससे एंग्जायटी, डिप्रेशन और मूड स्विंग जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं, साथ ही याददाश्त पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार गद्दे को हर 7 से 10 साल में बदलना चाहिए। यदि आपके साथ ये लक्षण दिखाई दें तो समझ लें कि अब गद्दा बदलने का समय आ गया है:
सुबह उठते ही पीठ या गर्दन में दर्द।
रात में बार-बार नींद खुलना या नींद न आना।
एलर्जी या अस्थमा की समस्या बढ़ना।
बेड की बजाय सोफे पर सोने की इच्छा होना।
गद्दे की लाइफ़ बढ़ाने के आसान उपाय
हर 3 महीने में गद्दा पलटें, ताकि उसका दबाव समान रहे।
गद्दे पर कवर लगाएं और समय-समय पर इसे साफ करें।
धूप में रखना न भूलें, इससे बैक्टीरिया और बदबू दूर होती है।