Skin care in rainy season: बारिश शुरू, स्किन पर रैशेज और खुजली का हमला! बचने के लिए ये है इलाज
Skin care in rainy season: मानसून में ठंडक तो मिलती है, लेकिन त्वचा पर रैशेज, लाल दाने और खुजली जैसी समस्याएं भी आम हो जाती हैं। नमी और पसीने के कारण स्किन पर इंफेक्शन बढ़ जाता है। ये परेशानियां मामूली लग सकती हैं, लेकिन नजरअंदाज करने पर गंभीर रूप ले सकती हैं। जानें बचाव के आसान घरेलू उपाय
Skin care in rainy season: मानसून में वातावरण में नमी बढ़ जाती है, जिससे शरीर में पसीना ज्यादा आता है
मानसून का मौसम अपने साथ ठंडक और राहत तो लाता है, लेकिन साथ ही त्वचा से जुड़ी कई समस्याओं की शुरुआत भी करता है। इस मौसम में बढ़ी हुई नमी और पसीने की वजह से अक्सर त्वचा पर लाल चकत्ते, जलन, खुजली और रैशेज जैसी परेशानियां होने लगती हैं। कई बार ये समस्याएं कुछ ही दिनों में ठीक हो जाती हैं, लेकिन कई बार ये इतनी बढ़ जाती हैं कि डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी हो जाता है। बरसात के दौरान हमारे पसीने और गंदगी के कारण स्किन पोर्स बंद हो जाते हैं, जिससे बैक्टीरियल या फंगल इंफेक्शन पनपने लगता है।
खासकर जिनकी स्किन सेंसिटिव होती है या जिन्हें एलर्जी की समस्या होती है, उन्हें इस मौसम में खास सतर्क रहने की जरूरत होती है। इस लेख में जानिए इस समस्या की वजहें, असरदार घरेलू उपाय और कब डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी हो जाता है।
क्यों बढ़ती है ये समस्या?
मानसून में वातावरण में नमी बढ़ जाती है, जिससे शरीर में पसीना ज्यादा आता है और कपड़े जल्दी सूखते नहीं हैं। गीली त्वचा और कपड़े बैक्टीरिया और फंगल इन्फेक्शन के लिए अनुकूल माहौल बना देते हैं। इसके अलावा टाइट कपड़ों की रगड़, ज्यादा पसीना और त्वचा की संवेदनशीलता रैशेज को और बढ़ा देती है।
त्वचा पर रैशेज के मुख्य कारण
फंगल इन्फेक्शन: बरसात में फंगस जैसे कैंडिडा या डर्माटोफाइट्स तेजी से पनपते हैं। ये ज्यादातर गीली जगहों जैसे अंडरआर्म्स, कमर और जांघों के बीच सक्रिय होते हैं।
बैक्टीरियल इन्फेक्शन: स्टैफिलोकोकस जैसे बैक्टीरिया त्वचा पर जलन और दाने पैदा कर सकते हैं, खासकर तब जब त्वचा गंदी या पसीने से भीगी हुई हो।
एलर्जिक रिएक्शन: कुछ लोगों की त्वचा साबुन, डिटर्जेंट या कुछ खास कपड़ों से एलर्जी करती है, जिससे रैशेज और खुजली हो सकती है।
गीले कपड़े पहनना: बरसात में कई बार लोग देर तक गीले कपड़े या अंडरगारमेंट्स पहने रहते हैं, जिससे त्वचा सांस नहीं ले पाती और संक्रमण हो जाता है।
कैसे करें खुद को सुरक्षित?
साफ-सफाई का रखें ध्यान: शरीर को हमेशा सूखा और साफ रखें। नहाने के बाद त्वचा को अच्छी तरह पोंछें।
सूती और ढीले कपड़े पहनें: ऐसे कपड़े पहनें जो पसीना जल्दी सोख लें और हवा आने दें। टाइट कपड़े रगड़ पैदा करके समस्या बढ़ा सकते हैं।
पसीने वाले कपड़े तुरंत बदलें: ज्यादा देर तक पसीने या गीले कपड़े पहनने से बचें। बाहर से आने के बाद कपड़े जरूर बदलें।
एंटीफंगल पाउडर का प्रयोग करें: डॉक्टर की सलाह लेकर टैल्कम या एंटीफंगल पाउडर का इस्तेमाल करें, खासकर उन जगहों पर जहां पसीना ज्यादा आता है।
असरदार घरेलू उपाय
नारियल तेल: नारियल तेल में एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण होते हैं। प्रभावित जगह पर दिन में 2-3 बार इसे लगाने से राहत मिलती है।
नीम की पत्तियां: नीम की पत्तियों को पीसकर उसका पेस्ट बना लें और रैश वाली जगह पर लगाएं। ये संक्रमण को रोकने में मदद करता है।
एलोवेरा जेल: एलोवेरा त्वचा को ठंडक देता है और जलन कम करता है। इसका ताजा जेल लगाने से खुजली और लालपन में राहत मिलती है।
कब जाएं डॉक्टर के पास?
अगर रैशेज ज्यादा फैल जाएं, उनमें पस बनने लगे या दर्द हो तो ये संकेत है कि संक्रमण बढ़ चुका है। ऐसे में घरेलू उपायों की जगह डॉक्टर से सलाह लें। डॉक्टर आपकी त्वचा की जांच कर दवाइयों या मलहम से सही इलाज देंगे।