प्याज काटना रसोई की सबसे आम और रोजमर्रा की आदत है। लेकिन जैसे ही आप प्याज काटते हैं, आंखों से अचानक आंसू बहने लगते हैं। ऐसा लगता है जैसे प्याज जानबूझकर हमें रुला रहा हो, लेकिन सच में ऐसा बिल्कुल नहीं है। इसके पीछे एक साइंटिफिक कारण छुपा है। प्याज अपने आप को नुकसान और कीड़ों से बचाने के लिए एक खास केमिकल मैकेनिज्म इस्तेमाल करता है। जब प्याज के सेल्स टूटते हैं, तो उनमें मौजूद एंजाइम्स एक्टिव हो जाते हैं और एक गैस बनाते हैं, जिसे वैज्ञानिक भाषा में सिन-प्रोपेनेथियल एस-ऑक्साइड कहते हैं।
ये गैस हमारी आंखों तक पहुंचकर जलन पैदा करती है, और आंखें अपने डिफेंस सिस्टम के तहत ज्यादा आंसू बनाती हैं ताकि गैस और जलन पैदा करने वाले केमिकल्स बाहर निकल जाएं। यानी, प्याज का “रोना” दरअसल हमारी आंखों की सुरक्षा का नेचुरल तरीका है।
जब आप प्याज काटते हैं, तो इसके सेल्स टूट जाते हैं। इन टूटे हुए सेल्स में छिपे एंजाइम्स सक्रिय हो जाते हैं। ये एंजाइम्स सल्फर से रासायनिक प्रतिक्रिया शुरू करते हैं। इस प्रतिक्रिया के कारण एक गैस बनती है, जिसे वैज्ञानिक भाषा में सिन-प्रोपेनेथियल एस-ऑक्साइड कहते हैं। यही गैस हमारी आंखों में जलन पैदा करती है और आंसू बहाने का कारण बनती है।
जैसे ही ये गैस हवा में फैलती है, ये हमारी आंखों तक पहुंचती है। आंखों में एक पतली तरल परत होती है, जिसे tear film कहते हैं। जब ये गैस इस परत से टकराती है, तो हल्की जलन पैदा करती है। यही जलन हमारी आंखों को अलर्ट करती है।
आंखों का नेचुरल डिफेंस सिस्टम
हमारी आंखें बहुत सेंसिटिव होती हैं। जब उन्हें किसी खतरे या जलन का अहसास होता है, तो वे तुरंत tear glands को एक्टिव कर देती हैं। ये ग्रंथियां ज्यादा आंसू बनाने लगती हैं, ताकि जलन पैदा करने वाले केमिकल को बाहर निकाला जा सके। यानी प्याज के आंसू हमारी आंखों की सुरक्षा का नेचुरल तरीका हैं, ठीक वैसे ही जैसे धूल या धुआं आंख में जाए तो हमारी आंखें उसे बाहर निकालती हैं।
प्याज के आंसू और हमारा फायदा
सोचिए, प्याज काटते ही जो आंसू आते हैं, वही हमारी आंखों की सुरक्षा कर रहे हैं। इससे कोई नुकसान नहीं, बल्कि आंखें सुरक्षित रहती हैं। ये एक नेचुरल अलार्म है, जो हमें बताता है कि हमारी आंखें काम कर रही हैं।
कैसे कम करें प्याज के आंसू
अगर आप ज्यादा परेशान नहीं होना चाहते, तो प्याज को फ्रिज में थोड़ी देर रखें। ठंडी प्याज काटने से गैस कम बनती है। साथ ही, तेज़ हवा में काटें या पंखे के नीचे काटें। कुछ लोग चश्मा पहनकर भी काटते हैं, इससे गैस सीधे आंखों तक नहीं पहुंचती।