प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 नवंबर को एक नया डेवलपमेंट मिशन लॉन्च करेंगे, जो खासकर आदिवासी समूह के कमजोर तबके (PVTGs) के लिए होगा। इस मिशन पर 24,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसके तहत आदिवासियों में सबसे कमजोर समूह की पहुंच शिक्षा, हेल्थ और न्यूट्रिशन तक सुनिश्चित करने के उपाय किए जाएंगे। साथ ही सड़क और टेलीकॉम कनेक्टिविटी जैसी बुनियादी सुविधाओं को बेहतर बनाने पर भी जोर होगा। प्रधानमंत्री इस मिशन की शुरुआत आदिवाली नेता बिरसा मुंडा की जन्मभूमि उलिहाटु में करेंगे। यह झारखंड में है। इस बार मुंडा की 100वीं जयंती जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाई जा रही है। देश की आबादी में 705 अनुसूचित जनजाति (ST) समुदाय की 8.6 फीसदी हिस्सेदारी है।
कई राज्यों में आदिवासी समुदाय की अच्छी आबादी
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, देश में 28 लाख पीवीटीजी हैं जो देश के 18 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 22,544 गांवों में हैं। इनमें से ज्यादातर दूरदराज इलाकों में रहते हैं, जहां सड़क, बिजली, पीने का पानी, जल निकासी और रोजगार के मौकों का अभाव है। माना जा रहा है कि इस मिशन से भाजपा आदिवासी समुदाय के बीच पैठ बनाने की कोशिश कर रही है। देश के मध्य स्थित कुछ राज्यों में आदिवासी समुदाय की अच्छी आबादी है।
आदिवासी समुदाय के हितों पर जोर देते रहे हैं प्रधानमंत्री
अभी जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, उनमें भी आदिवासी समुदाय अच्छी संख्या में हैं। प्रधानमंत्री मोदी अपनी रैलियों में कई बार इस समूह के विकास की बात कर चुके हैं। इस महीने की शुरुआत में उन्होंने भगवान राम के ईश्वरीय स्वरूप का श्रेय आदिवासी लोगों को दिया था। उन्होंने यह भी कहा था कि जहां एक तरफ भाजपा आदिवासी समुदाय का सम्मान करती है वहीं कांग्रेस को उनके हितों की कोई परवाह नहीं है।
प्रधानमंत्री ने आदिवासियों के हितों का ध्यान रखने का दावा किया
बरवानी में अपनी रैली में प्रधानमंत्री ने 15 नवंबर के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि यह केंद्र सरकार के लिए सम्मान की बात है कि वह मुंडा के जन्मदिवस को जनजातीय गौरव दिवस घोषित कर रही है। उन्होंने कहा कि आदिवासी समूह जिसकी हमेशा से उपेक्षा होती रही है उसके साथ भाजपा ने सामाजिक न्याय किया है। भाजपा ने इस समुदाय को सम्मान दिया है। उन्होंने मतदाताओं को यह भी याद दिलाने की कोशिश की कि पहली बार प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में केंद्र में अलग आदिवासी मामलों का मंत्रालय बनाया गया था।