दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी अपनी रणऩीति में काफी आक्रामक दिख रही है। चुनावी तैयारी के क्रम में आप ने तारीख की घोषणा होने से पहले ही अब तक 31 सीटों पर कैंडिडेट्स का ऐलान कर दिया है। जहां आप अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर रही है वहीं बीजेपी और कांग्रेस में इसे लेकर कई सुगबुगाहट नहीं दिख रही है।
एंटी इंकंबेंसी हटाने की बड़ी रणनीति
आप की कैंडिडेट लिस्ट को देखें तो इसमें पार्टी ने बड़ी संख्या में सीटिंग विधायकों का टिकट काटा गया है। अब तक जिन 31 सीटों पर कैंडिडेट्स की घोषणा हुई है उसमें 16 सीटिंग विधायकों का टिकट काटा गया है।
मनीष सिसोदिया की सीट बदलने के मायने
दिल्ली के डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसोदिया की सीट भी बदल दी गई है। अब तक उनकी सीट रही पटपड़गंज पर यूपीएससी कोच अवध ओझा को उम्मीदवार बनाया गया है। माना जा रहा है कि अब तक जिस शिक्षा नीति का आप की तरफ से मनीष सिसोदिया प्रचार करते थे, अब आगे उसे अवध ओझा आगे बढ़ा सकते हैं। अवध ओझा सोशल मीडिया और छात्रों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं और पार्टी उनकी इस लोकप्रियता और साफ छवि को भुना सकती है।
इसके अलावा यह भी माना जा रहा है कि सिसोदिया की सीट बदलने के पीछे भी पटपड़गंज में एंटी-इंकंबेंसी को काटने की कोशिश की गई है। 2020 में हुए विधानसभा में मनीष सिसोदिया इस सीट पर मुश्किल से जीत पाए थे। 2015 की तुलना में उनकी जीत का अंतर काफी छोटा हो गया था।
माना जा रहा है कि आप अपनी दस वर्षों की सरकार की एंटी-इंकंबंसी को कम करने के लिए बड़ी संख्या में सीटिंग विधायकों का टिकट काट रही है। इसमें विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल का टिकट भी शामिल है। तिमारपुर विधानसभा सीट से पार्टी के सीनियर लीडर और विधायक दिलीप पांडेय का भी टिकट कट गया है।
...तो ‘हमारी योजनाएं खत्म’ हो जाएंगी का डर
अभी हाल में एक मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यू में अरविंद केजरीवाल ने एक और रणनीतिक पासा जनता के बीच फेंका। केजरीवाल ने सबसे बड़ा मुद्दा इस बात को बताया कि अगर उनकी पार्टी चुनाव में हारी तो राज्य की जनता को मिलने वाली सारी सुविधाएं बंद कर दी जाएंगी। कह सकते हैं कि केजरीवाल ने अपने वोटरों को अपनी योजनाओं के प्रति सचेत भी किया है और डराया भी है।
उन्होंने बीजेपी के ‘डबल इंजन’ सरकार वाले दावों को खतरनाक बताया। दरअसल बीजेपी जनता से चुनावों में इस बात पर वोट मांगती रही है कि अगर राज्य में भी उसकी सरकार बन गई तो केंद्र के साथ मिलकर दोगुना प्रगति होगी। इस ‘डबल इंजन सरकार’ कहा जाता है। लेकिन अरविंद केजरीवाल ने इस डबल इंजन सरकार को खतरनाक बताते हुए कहा है कि इससे राज्य की जनता को मिल रही सुविधाएं खत्म हो जाएंगी।
साफ किया- जीता तो मैं ही बनूंगा सीएम
साथ ही अरविंद केजरीवाल ने यह भी साफ कर दिया कि चुनाव में जीत मिलने पर वो ही राज्य के मुख्यमंत्री बनेंगे। उन्होंने चुनाव को जनता का सर्टिफिकेट करार दिया है। केजरीवाल की तरफ से इस घोषणा के जरिए दिल्ली के वोटरों के बीच किसी भी संशय को खत्म करने की कोशिश की गई है।
ईवीएम में गड़बड़ी के आरोपों पर भी बड़ी तैयारी
हाल के चुनावों में विपक्षी पार्टियां ईवीएम में गड़बड़ी के मुद्दे को लगातार उठाती रही हैं। महाराष्ट्र चुनाव के बाद एक बार फिर यह मुद्दा केंद्र में आ गया है। अब दिल्ली चुनाव से पहले अरविंद केजरीवाल ने इस मुद्दे पर भी बड़ी लड़ाई की तैयारी शुरू कर दी है।
दिग्गज नेता शरद पवार और अन्य नेताओं के साथ हुई एक बैठक में ईवीएम के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट जाने की भी तैयारी कर ली गई है। यानी दिल्ली चुनाव के पहले इंडिया फ्रंट के बैनर तले आप चुनाव आयोग के बहाने बीजेपी को घेरने की तैयारी कर रही है। अगर यह मामला सुप्रीम कोर्ट में जाता है तो इसकी सुनवाइयों पर पूरी देश की निगाहें होंगी।