दिल्ली चुनाव 2025: बीजेपी ने केजरीवाल नहीं आतिशी को चक्रव्यूह में फंसाया, कालकाजी सीट पर आएंगे चौंकाने वाले नतीजे!
Delhi Assembly Election 2025: कहा जा रहा है कि इन दोनों नेताओं को केजरीवाल और आतिशी के सामने उतारकर बीजेपी ने बड़ा दांव खेला है। कहा जा रहा है कि बीजेपी ने आप के दोनों दिग्गजों को चुनावी रण में फंसाने की कोशिश की है। लेकिन अगर नई दिल्ली सीट पर देखें तो क्या वाकई केजरीवाल के लिए कोई मुश्किल पैदा होने वाली है
दिल्ली चुनाव 2025: बीजेपी ने केजरीवाल नहीं आतिशी को चक्रव्यूह में फंसाया
केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने दिल्ली चुनाव के लिए शनिवार को अपनी लिस्ट जारी कर दी। इस लिस्ट में बीजेपी ने कुल 29 प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारा है। इन 29 सीटों में AAP मुखिया अरविंद केजरीवाल और दिल्ली की वर्तमान CM आतिशी की सीट भी शामिल हैं। केजरीवाल की नई दिल्ली विधानसभा सीट पर बीजेपी ने पूर्व सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा को प्रत्याशी बनाया है, तो वहीं कालकाजी सीट पर आतिशी के सामने दक्षिणी दिल्ली के पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी को उतारा है। कहा जा रहा है कि इन दोनों नेताओं को केजरीवाल और आतिशी के सामने उतारकर बीजेपी ने बड़ा दांव खेला है। कहा जा रहा है कि बीजेपी ने आप के दोनों दिग्गजों को चुनावी रण में फंसाने की कोशिश की है। लेकिन अगर नई दिल्ली सीट पर देखें तो क्या वाकई केजरीवाल के लिए कोई मुश्किल पैदा होने वाली है?
केजरीवाल साल 2013 से लगातार नई दिल्ली विधानसभा सीट से ही चुनाव लड़ते आ रहे हैं। अन्ना आंदोलन के बाद की ‘सुनामी’ में हुए 2013 के चुनाव में अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को चुनाव हरा दिया था। इसके बाद केजरीवाल 2015 में बीजेपी की नूपुर शर्मा तो 2020 में बीजेपी के सुनील कुमार यादव को चुनाव हरा चुके हैं। लेकिन इन तीनों जीत में केजरीवाल के नाम एक नायाब रिकॉर्ड बन गया है।
50 प्रतिशत से ज्यादा वोट हासिल कर जीते केजरीवाल
तीनों ही चुनाव के दौरान केजरीवाल को हर बार 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट हासिल हुए हैं। वोटिंग की राजनीति का सामान्य गणित है कि अगर किसी को 50 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल होते हैं, तो उसे हराना नामुमकिन होता है। नई दिल्ली सीट पर अब तक अरविंद केजरीवाल की स्थिति ऐसी ही रही है। 2013 के चुनाव में कजरीवाल को 53.46 %, 2015 में 64.34%, 2020 में 61.10% वोट हासिल हुए थे। यानी पिछले तीन चुनावों में कोई प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशी अरविंद केजरीवाल बराबरी के मुकाबले में भी नहीं ला सका है।
इसलिए बीते तीन चुनाव का इतिहास देखते हुए कह सकते हैं कि नई दिल्ली सीट पर अरविंद केजरीवाल को ज्यादा दिक्कत नहीं होने जा रही है। हालांकि, यह सिर्फ आंकलन है और चुनावी खेल में बाजी किसी के भी हाथ से कभी भी छूट सकती है।
प्रवेश वर्मा की कर्मभूमि रही पश्चिमी दिल्ली
दूसरी तरफ बीजपी ने जिन प्रवेश वर्मा को टिकट दिया है, अब तक उनकी कर्मभूमि पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट का इलाका रहा है। प्रवेश वर्मा के नाम भी एक अनोखा रिकॉर्ड है। उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान पश्चिमी दिल्ली सीट से राज्य के इतिहास में सबसे बड़ी जीत हासिल की थी। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी महाबल मिश्रा को 5.78 लाख वोटों से मात दी थी।
हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने प्रवेश वर्मा को प्रत्याशी नहीं बनाया था। उसी वक्त से माना जा रहा था कि प्रवेश वर्मा को दिल्ली की राजनीति में लाया जा सकता है। वैसा ही हुआ। हालांकि प्रवेश की दिल्ली की राजनीति में प्रवेश की वापसी की राह काफी मुश्किल लग रही है। सामने अरविंद केजरीवाल हैं, जो अब तक अपने प्रतिद्वंद्वियों को चुनावी रण में बुरी तरह धूल चटाते आ रहे हैं। प्रवेश वर्मा 2013 में भी महरौली सीट से विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। तब उन्हें हार मिली थी। अब इस बार के विधानसभा चुनाव उनके लिए बड़ी चुनौती हैं।
कालकाजी सीट पर क्यों मुश्किल हुई आतिशी की राह
दूसरी तरफ वर्तमान सीएम आतिशी मार्लेना की सीट है। इस सीट पर बीजेपी ने रमेश बिधूड़ी को उतारकर आतिशी के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर दी है। कांग्रेस ने इस सीट पर पहले से महिला प्रत्याशी के रूप में अल्का लांबा को उतारा हुआ है। ऐसे में महिला वोटों में अगर सेंध लगाने में अल्का लांबा कामयाब हुईं, तो आतिशी के लिए बड़ी मुश्किल पैदा हो सकती है।
इससे पहले आतिशी ने दिल्ली में दो चुनाव लड़े हैं। एक चुनाव में उऩ्हें बुरी तरह हार मिली थी, तो वहीं दूसरे मकाबले में वह करीबी फाइट में जीती थीं। पहला मुकाबला था 2019 का लोकसभा चुनाव। इस चुनाव में आतिशी ने पूर्वी दिल्ली सीट से बीजेपी प्रत्याशी गौतम गंभीर के खिलाफ चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में आतिशी को 4.77 लाख वोटों से हार मिली थी। वह तीसरे स्थान पर रही थीं।
दूसरा मुकाबला था 2020 का विधानसभा चुनाव। सीट थी कालकाजी। इस सीट पर आतिशी के सामने लड़ रहे बीजेपी के धरमबीर ने 44,504 वोट हासिल किए थे। वहीं आतिशी को 55,897 वोट मिले थे। दोनों के बीच जीत का फासला महज 11 हजार वोटों का था। वहीं इसी सीट पर 2015 में आप के प्रत्याशी ने करीब 20 हजार वोटों से जीत हासिल की थी। जब आतिशी ने चुनाव जीता तब आप की जीत का अंतर कम हुआ था।
बीजेपी के जमीनी नेता बिधूड़ी, बदल सकते हैं खेल
अब इस बार के चुनाव में बीजेपी ने जमीनी पकड़ वाले नेता रमेश बिधूड़ी को मैदान में उतार दिया, जिससे आतिशी के लिए मुश्किल बढ़ सकती है। रमेश बिधूड़ी की दक्षिणी दिल्ली में गुर्जर वोटों पर बहुत अच्छी पकड़ मानी जाती है। वह तीन बार तुगलकाबाद सीट से विधायक रहने बाद 2014 और 2019 में दो बार लगातार दक्षिणी दिल्ली लोकसभा सीट से सांसद भी रह चुके हैं।
2019 के लोकसभा चुनाव में बिधूड़ी ने आप उम्मीदवार राघव चड्ढा और कांग्रेस उम्मीदवार विजेंद्र सिंह को बड़े अंतर से चुनाव हराया था। बिधूड़ी के कालकाजी सीट पर आने के बाद अब आतिशी को अपनी सीट पर ज्यादा वक्त देना होगा। शायद यही बीजेपी की रणनीति भी है।
मुस्लिम और महिला वोट बंटे तो...
दूसरी तरफ कांग्रेस इस वक्त मुस्लिम वोटों को लेकर आप के साथ आमने-सामने है। कांग्रेस ने आप से ज्यादा संख्या में मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। ऐसे में कालकाजी सीट पर मुस्लिम वोट का रुख कांग्रेस की तरफ हुआ, तो आप के लिए बड़ी मुश्किल हो सकती है। अल्का लांबा अगर महिला और मुस्लिम वोट काटने में सफल रहीं, तो इस सीट पर चौंकाने वाले नतीजे आ सकते हैं।