Haryana Election: हरियाणा विधानसभा चुनाव में BJP और कांग्रेस के लिए चुनौती बने 'असंतुष्ट नेता’
Haryana Assembly Election 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने वालों में सबसे बड़ा चेहरा एशिया की सबसे अमीर महिला और ओपी जिंदल ग्रुप की अध्यक्ष सावित्री जिंदल हैं। वह हरियाणा के मंत्री और हिसार से मौजूदा विधायक कमल गुप्ता के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं
Haryana Election: हरियाणा विधानसभा चुनाव में BJP और कांग्रेस के लिए चुनौती बने 'असंतुष्ट नेता’
हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस से टिकट पाने के इच्छा में कई उम्मीदवार अपनी अपनी पार्टियों से मौका नहीं दिए जाने के बाद निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं और ‘किंगमेकर’ के रूप में उभरने के लिए जोरदार चुनाव-प्रचार कर रहे हैं। दोनों पार्टियां उनमें से कुछ उम्मीदवारों को अपना नामांकन वापस लेने के लिए मनाने में कामयाब रहीं, हालांकि बड़ी संख्या में ये ‘असंतुष्ट’ नेता पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।
हरियाणा विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने वालों में सबसे बड़ा चेहरा एशिया की सबसे अमीर महिला और ओपी जिंदल ग्रुप की अध्यक्ष सावित्री जिंदल हैं। वह हरियाणा के मंत्री और हिसार से मौजूदा विधायक कमल गुप्ता के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं।
74 साल की जिंदल ने नामांकन पत्र भरने के बाद कहा, "जिंदल परिवार ने हमेशा हिसार की सेवा की है। मैं जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने और उनके विश्वास को कायम रखने के लिए पूरी तरह समर्पित हूं। यह मेरा आखिरी चुनाव है और मैं हिसार की जनता के अधूरे कामों को पूरा करने का मौका चाहती हूं।"
जिंदल कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर हिसार सीट से साल 2005 और 2009 में विधायक चुनी गईं। 2013 में उन्हें भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री बनाया गया था।
सावित्री जिंदल के बेट नवीन जिंदल जब भाजपा में शामिल हो गए थे, तो उन्होंने भी मार्च में कांग्रेस पार्टी से नाता तोड़ लिया था। जिंदल को इस बार BJP से टिकट मिलने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
जब सावित्री जिंदल से उनके बेटे के कुरुक्षेत्र से भाजपा सांसद बने रहने के बावजूद बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ने के बारे में पूछा गया तो जिंदल ने दावा किया, "वह आधिकारिक रूप से BJP में शामिल नहीं हुई थीं और उन्होंने केवल अपने बेटे के लिए चुनाव प्रचार किया था।"
पूर्व PM के बेटे भी बीजेपी से नाराज
पूर्व बिजली मंत्री रणजीत सिंह चौटाला भाजपा से टिकट देने से इनकार किए जाने के बाद सिरसा जिले के रानिया से एक बार फिर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। पूर्व उप प्रधानमंत्री देवी लाल के बेटे रणजीत चौटाला ने टिकट नहीं मिलने पर कैबिनेट मंत्री के पद से भी इस्तीफा दे दिया।
पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा के विश्वासपात्र निर्मल सिंह की बेटी चित्रा सरवारा कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने के बाद अंबाला छावनी से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रही हैं। सरवारा का मुकाबला बीजेपी के अनिल विज (छह बार के विधायक और राज्य के पूर्व गृह मंत्री) और कांग्रेस के परविंदर सिंह परी से है।
BJP की हरियाणा ईकाई के व्यापार प्रकोष्ठ के पूर्व संयोजक नवीन गोयल पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर BJP से अलग हो गए और वह गुरुग्राम से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं।
'बाहरी उम्मीदवार से नाराज मतदाता'
गोयल ने न्यूज एजेंसी PTI से कहा, "हरियाणा में बूथ, मंडल और जिला स्तर के कई प्रमुख पदाधिकारी टिकट नहीं मिलने के कारण BJP छोड़ चुके हैं और आगामी चुनाव में इसका पार्टी की स्थिति पर निश्चित रूप से असर पड़ेगा। मैं लगभग 15 साल से गुरुग्राम के लिए काम कर रहा हूं और पार्टी की ओर से इस निर्वाचन क्षेत्र से एक बाहरी व्यक्ति को उम्मीदवार बनाने से मतदाता भी नाराज हैं।"
उन्होंने कहा, "मेरे समर्थक चाहते हैं कि मैं चुनाव लड़ूं और वे ही मेरे भविष्य का फैसला करेंगे।"
ये नेता भी बन सकते हैं परेशानी
हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा से असंतुष्ट गन्नौर से देवेंद्र कादियान, असंध से जिले राम शर्मा, पृथला से दीपक डागर, हथीन से कहर सिंह रावत, सफीदों से जसबीर देसवाल, सोहना से कल्याण चौहान और अन्य नेता पार्टी के लिए परेशानी बन सकते हैं।
कांग्रेस के लिए चुनौती और भी कठिन है। निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे उसके असंतुष्ट नेताओं की संख्या अधिक है। हरियाणा के 20 निर्वाचन क्षेत्रों में 29 असंतुष्ट उम्मीदवार कांग्रेस प्रत्याशियों के खिलाफ बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं।