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Jharkhand Chunav 2024: झारखंड में बांग्लादेशी शरणार्थियों का मुद्दा यूं ही नहीं उठा रही बीजेपी! तैयार है आगे का भी एक्शन प्लान?

BJP के सह प्रभारी और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने यहां तक कह दिया कि यह चुनाव झारखंड की संस्कृति और अस्मिता को बचाने के लिए है। यानी बीजेपी ने बांग्लादेशी घुसपैठियों के मुद्दे को राज्य की संस्कृति और अस्मिता का सवाल बनाने की पूरी कोशिश इस चुनाव में की है

Arun Tiwariअपडेटेड Nov 12, 2024 पर 2:15 PM
Jharkhand Chunav 2024: झारखंड में बांग्लादेशी शरणार्थियों का मुद्दा यूं ही नहीं उठा रही बीजेपी! तैयार है आगे का भी एक्शन प्लान?
Jharkhand Chunav 2024: झारखंड में बांग्लादेशी शरणार्थियों का मुद्दा यूं ही नहीं उठा रही बीजेपी!

झारखंड विधानसभा चुनाव में विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) प्रमुख रूप में बांग्लादेशी घुसपैठियों के मुद्दे को उठा रही है। पूरी बीजेपी टॉप लीडरशिप और विशेष रूप से राज्य में पार्टी के सह प्रभारी और असम सीएम हिमंता बिस्व सरमा लगभग हरदिन आक्रामक बयान दे रहे हैं। वे इस मुद्दे पर लगातार हेमंत सोरेन सरकार को घेरते हैं। हिमंता ने यहां तक कह दिया कि यह चुनाव झारखंड की संस्कृति और अस्मिता को बचाने के लिए है। यानी बीजेपी ने बांग्लादेशी घुसपैठियों के मुद्दे को राज्य की संस्कृति और अस्मिता का सवाल बनाने की पूरी कोशिश इस चुनाव में की है।

हिमंता ने संथाल परगना में आदिवासी आबादी को लेकर भी एक स्टेटमेंट दिया, जिस पर खूब चर्चा हो रही है। उन्होंने कहा, "1951 में झारखंड के संथाल परगना में आदिवासियों की आबादी 44 प्रतिशत थी, जो 2011 में घटकर 28 प्रतिशत हो गई। झारखंड में आदिवासियों की जमीन घुसपैठिए लूट रहे हैं और घुसपैठियों को कौन संरक्षण दे रहा है? एक नंबर हेमंत सोरेन और दो नंबर राहुल गांधी।" हिमंता ने एक बयान से सत्ताधारी गठबंधन के दोनों प्रमुख दलों पर निशाना साध दिया है।

पांच प्रमंडल में घुसपैठ की समस्या सबसे ज्यादा कहां?

दरअसल इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी जिस बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे पर चुनाव लड़ रही है, वह समस्या राज्य में हर जगह नहीं है। झारखंड कुल पांच प्रमंडल में विभाजित है। ये हैं- दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल, उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल, संथाल परगना प्रमंडल, कोल्हान प्रमंडल, पलामू प्रमंडल। इनमें संथाल परगना ऐसा प्रमंडल है, जहां पर बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा सबसे अहम है। दिलचस्प बात यह है कि यही वो इलाका है, जहां से झारखंड मुक्ति मोर्चा के फाउंडर शिबू सोरेन और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ताल्लुक रखते हैं।

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