MP Election 2023: क्या बुधनी के दम पर मुख्यमंत्री पद का दावा ठोक पाएंगे 'मामा' शिवराज चौहान

MP Election 2023: इस कदम से संकेत मिले हैं कि BJP ने राज्य के शीर्ष पद के लिए विकल्प खुले रखे हैं और मध्य प्रदेश के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले चौहान डिफॉल्ट पसंद नहीं हो सकते हैं। शिवराज सिंह चौहान साल 2005 में राज्य के मुख्यमंत्री बने, तब वे विदिशा से लोकसभा सदस्य थे। तब बुधनी से तत्कालीन बीजेपी विधायक राजेंद्र सिंह ने उनके लिए ये सीट खाली की थी

अपडेटेड Nov 03, 2023 पर 2:07 PM
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MP Election 2023: क्या बुधनी के दम पर मुख्यमंत्री पद का दावा ठोक पाएंगे 'मामा' शिवराज चौहान

MP Election 2023: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) अपने गढ़ बुधनी विधानसभा क्षेत्र (Budhni Assembly Seat) में अजेय रहे हैं। उन्होंने 1990 के बाद से यहां से सभी पांच बार चुनाव लड़ा है और 2006 के बाद से 60 प्रतिशत या उससे ज्यादा वोट हासिल किए हैं। हालांकि, इस बार का चुनाव बुधनी के लिए थोड़ा अलग दिखाई दे रहा है। क्योंकि सत्तारूढ़ दल ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, फग्गन सिंह कुलस्ते और प्रह्लाद पटेल और महासचिव कैलाश विजयवर्गीय समेत सात लोकसभा सदस्यों को मैदान में उतारा है।

इस कदम से संकेत मिले हैं कि BJP ने राज्य के शीर्ष पद के लिए विकल्प खुले रखे हैं और मध्य प्रदेश के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले चौहान डिफॉल्ट पसंद नहीं हो सकते हैं।

शिवराज सिंह चौहान साल 2005 में राज्य के मुख्यमंत्री बने, तब वे विदिशा से लोकसभा सदस्य थे। तब बुधनी से तत्कालीन बीजेपी विधायक राजेंद्र सिंह ने उनके लिए ये सीट खाली की थी। उपचुनाव में राज्य की राजधानी से लगभग 65Km दूर और भोपाल संभाग के हिस्से बुधनी से चौहान ने जीत हासिल की थी।


बुधनी सीट का इतिहास

इससे पहले, चौहान ने 1990 में बुधनी से विधानसभा चुनाव जीता था। हालांकि, बीजेपी ने उन्हें 1991 में विदिशा लोकसभा सीट से मैदान में उतारा था, जब पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद के निचले सदन में लखनऊ सीट बरकरार रखने के लिए वहां से इस्तीफा दे दिया था।

2013 में, बीजेपी के एक प्रमुख OBC चेहरे, चौहान ने कांग्रेस के महेंद्र सिंह चौहान को 84,000 से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया था। 2018 में ये अंतर घटकर लगभग 59,000 हो गया, जब कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव, जो कि एक OBC भी हैं, उन्हें मैदान में उतारा।

कांग्रेस ने इस बार चौहान के मुकाबले के लिए बुधनी से टीवी अभिनेता विक्रम मस्तल को मैदान में उतारा है, जिन्होंने एक धारावाहिक में हनुमान की भूमिका निभाई थी।

कांग्रेस ने चौहान के लिए मुकाबला कम कर दिया

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना ​​है कि कांग्रेस ने एक हल्के उम्मीदवार को मैदान में उतारकर चौहान के लिए मुकाबला कम कर दिया है, जो राजनीति और निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं के लिए नया है। ये तब साफ हुआ जब इस हफ्ते की शुरुआत में अपना नामांकन दाखिल करने से पहले चौहान ने बुधनी के मतदाताओं से कहा कि वे "उनके लिए चुनाव लड़ें" क्योंकि वह पूरे राज्य में प्रचार करेंगे।

समाजवादी पार्टी (SP) ने भी वैराग्यानंद गिरि उर्फ ​​'मिर्ची बाबा' को नामांकित करके बुधनी में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, जिन्होंने भोपाल लोकसभा सीट से कांग्रेस के दिग्विजय सिंह की "जीत" के लिए मिर्च का इस्तेमाल करके 'हवन' किया था। 2019 में BJP की प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने भोपाल सीट जीती थी।

चौहान के 'थकान' की चर्चा के बीच, BJP ने इस बार उन्हें अपना सीएम चेहरा बनाने से परहेज किया है। इसका संकेत तब मिला जब, पार्टी ने सात सांसदों और एक पार्टी महासचिव को मैदान में उतारने का फैसला किया।

इस साल अगस्त में मीडिया से बातचीत के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से जब पूछा गया कि अगर चुनाव के बाद BJP सत्ता बरकरार रखती है, तो क्या चौहान सीएम बने रहेंगे? तो उन्होंने सीधा जवाब देने से इनकार कर दिया था।

शाह ने कहा, “आप पार्टी का काम क्यों कर रहे हैं? हमारी पार्टी अपना काम करेगी। शिवराज जी सीएम हैं और हम चुनाव में हैं...मोदी जी और शिवराज जी के विकास कार्यों को जनता तक ले जाएं। ये भी बताएं कि क्या कांग्रेस ने कोई विकास किया है।”

भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार और बुधनी के मूल निवासी राघवेंद्र सिंह ने कहा कि कांग्रेस ने पिछले दो दशकों में चौहान के सामने चुनौती पेश करने के लिए इस निर्वाचन क्षेत्र में शायद ही अपना जुझारू चेहरा प्रदर्शित किया है।

उन्होंने कहा, “इस क्षेत्र ने यहां मतदाताओं के बीच पैठ बनाने के लिए कोई बड़ा कांग्रेस आंदोलन नहीं देखा है। इसके अलावा, कांग्रेस एक स्थानीय राजनीतिक चेहरा विकसित करने में विफल रही है, जो चौहान का सामना कर सके।"

सिंह ने कहा, पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने चौहान के खिलाफ इस सीट से बाहरी व्यक्ति पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव को मैदान में उतारा था। सिंह ने कहा, "इस बार भी लड़ाई केवल चौहान की जीत के अंतर के लिए लगती है, क्योंकि कांग्रेस ने उनके खिलाफ एक कम प्रसिद्ध अभिनेता को उम्मीदवार बनाया है।"

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क्योंकि राज्य के मुख्यमंत्री ने पिछले दो दशकों में इस सीट का प्रतिनिधित्व किया है। इसलिए निर्वाचन क्षेत्र के लोग भी विशेषाधिकार प्राप्त महसूस करते हैं और सत्तारूढ़ दल से जुड़े हुए हैं, हालांकि मतदाता अपने मन की बात नहीं कहते हैं।

प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता और बुधनी निर्वाचन क्षेत्र के प्रभारी संतोष सिंह गौतम ने दावा किया कि चौहान ने खुद को एक मुश्किल स्थिति में पाया है, जब उनकी पार्टी ने मस्तल को मैदान में उतारा है, जो एक सेलिब्रिटी चेहरा हैं और इस निर्वाचन क्षेत्र से हैं। उन्होंने कहा कि मस्तल लंबे समय से क्षेत्र में काम कर रहे हैं।

गौतम ने कहा, "इस इलाके में नर्मदा नदी से गैरकानूनी तरीक से रेत के खनन का एक बड़ा मुद्दा है। ये पिछले कई सालों से हो रहा है और मुख्यमंत्री चौहान ये होने दे रहे हैं। इसका का क्या कारण है?"

कांग्रेस पदाधिकारी ने कहा कि चौहान इस बार इतने चिंतित हैं कि उनकी पत्नी और बेटों समेत उनका पूरा परिवार बुधनी में डेरा डाले हुए है। उन्होंने कहा कि चौहान खुद रात में इस निर्वाचन क्षेत्र का दौरा करते हैं।

प्रदेश बीजेपी सचिव रजनीश अग्रवाल ने कहा कि चौहान के जमीन से जुड़े व्यक्तित्व ने न केवल बुधनी में बल्कि पूरे राज्य में उनके लिए एक परिवार जैसी भावना पैदा की है।

उन्होंने कहा, “बुधनी के लोग चौहान को परिवार का हिस्सा मानते हैं। जीत के अंतर में उतार-चढ़ाव अलग-अलग कारणों पर निर्भर करता है, लेकिन उनके निर्वाचन क्षेत्र में मतदाता उन्हें पसंद करते हैं।''

अवैध खनन के कांग्रेस के आरोपों के बारे में अग्रवाल ने कहा कि प्रतिद्वंद्वी पार्टी तब कार्रवाई कर सकती थी, जब वो 15 महीने तक सत्ता में थी। उन्होंने आगे कहा, "अगर उनके पास सबूत था, तो उन्होंने इसे रोका क्यों नहीं?" उन्होंने कहा कि उनकी छवि खराब करने के लिए ऐसे आरोप लगाए जा रहे हैं और इनमें कोई दम नहीं है।

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