महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में जीत से बीजेपी गदगद है। लेकिन, राज्य के नए मुख्यमंत्री को जल्द एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा। नई सरकार को मार्च तक अतिरिक्त 9,000 करोड़ रुपये जुटाने होंगे। अगले वित्त वर्ष के लिए उसे अतिरिक्त 35,000 करोड़ रुपये का इंतजाम करना पड़ेगा। यह पैसा उसे चुनावी वादे पूरा करने के लिए जुटाने होंगे। मनीकंट्रोल के विश्लेषण से यह जानकारी मिली है।
महायुति ने मतदाताओं से किए थे कई वादे
महायुति ने चुनावों के दौरान महाराष्ट्र की सत्ता में लौटने के लिए कई वादे किए थे। महायुति में BJP के अलावा एनसीपी-अजीत और शिवसेना-शिंदे शामिल हैं। बीजेपी की अगुवाई वाले गठबंधन ने नई एंप्लॉयमेंट बेनेफिट स्कीम, महिलाओं को कैश ट्रांसफर बढ़ाने और पीएम किसान योजना के तहत सभी किसानों को 15,000 रुपये ट्रांसफर सहित कई वादे किए थे।
मार्च तक करने होंगे अतिरिक्त 8807 करोड़ खर्च
एक अनुमान के मुताबिक, सभी वादों को पूरा करने पर FY25 के बाकी महीनों में नई सरकार को 8,807 करोड़ रुपये का इंतजाम करना होगा। इसमें से आधा से ज्यादा खर्च सिर्फ लाडली बहन योजना पर होगा। सरकार ने लाडली बहन योजना पर महिलाओं को कैश ट्रांसफर बढ़ाने का ऐलान किया था।
लाडली बहन योजना के तहत ज्यादा पैसे का ट्रांसफर
राजनीति के जानकारों का कहना है कि महायुति के वादों पर लोगों ने भरोसा किया। इससे 23 नवंबर को वोटों की गिनती में इस गठबंधन को 80 फीसदी से ज्यादा सीटें मिली। गठबंधन ने कहा था कि लाडली बहन योजना के तहत हर महीने ट्रांसफर का अमाउंट बढ़ाकर 2,100 रुपये कर दिया जाएगा। अभी इस स्कीम के तहत हर महीने 1,500 रुपये का ट्रांसफर लाभार्थी महिला को किया जाता है। इस स्कीम के तहत ऐसे परिवार की महिला को हर महीने 1,500 रुपये ट्रांसफर किया जाता है जिनकी सालाना इनकम 2.5 लाख रुपये से कम है।
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राज्य का फिस्कल डेफिसिट 2.8 तक पहुंच जाएगा
चुनावी वादे पूरा करने पर नई सरकार का कुल खर्च 0.2 फीसदी बढ़ जाएगा। इससे राज्य का फिस्कल डेफिसिट बढ़कर जीडीपी के 2.8 फीसदी तक पहुंच जाएगा। पहले कभी फिस्कल डेफिसिट इस लेवल तक नहीं गया था। लाडली बहन योजन के तहत 2.5 करोड़ महिलाओं को हर महीने सरकार की तरफ से कैश ट्रांसफर किया जाता है। FY24 में इस स्कीम पर कुल 4,612 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।