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Rajasthan Election 2023: भारतीय आदिवासी पार्टी राजस्थान में बढ़ा सकती है BJP, कांग्रेस की मुश्किलें, समर्थन जुटाने में लगे दिग्गज

Rajasthan Election 2023: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित अन्य लोगों ने अपने दलों का समर्थन आधार मजबूत करने के प्रयास में आदिवासी क्षेत्रों के कई दौरे किये हैं। राजस्थान में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं। प्रधानमंत्री सोमवार को चित्तौड़गढ़ जिले का दौरा करेंगे, जहां आदिवासियों की बड़ी आबादी है। वह वहां एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करेंगे

अपडेटेड Oct 01, 2023 पर 5:20 PM
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Rajasthan Election 2023: भारतीय आदिवासी पार्टी राजस्थान में बढ़ा सकती है BJP, कांग्रेस की मुश्किलें

Rajasthan Election 2023: भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) में विभाजन के बाद आदिवासी नेताओं के बनाए गए एक नए राजनीतिक संगठन ‘भारतीय आदिवासी पार्टी’(Bharatiya Adivasi Party) ने राजस्थान (Rajasthan) के आदिवासी इलाके में भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस (Congress) के लिए चुनौती खड़ी कर दी है। इसी के चलते दोनों राष्ट्रीय दलों के वरिष्ठ नेता विधानसभा चुनावों (Assembly Elections) से पहले समर्थन जुटाने की अपनी कोशिशों के तहत लगातार दौरे करने के लिए मजबूर हो गए हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित अन्य लोगों ने अपने दलों का समर्थन आधार मजबूत करने के प्रयास में आदिवासी क्षेत्रों के कई दौरे किये हैं। राजस्थान में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं।

प्रधानमंत्री सोमवार को चित्तौड़गढ़ जिले का दौरा करेंगे, जहां आदिवासियों की बड़ी आबादी है। वह वहां एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करेंगे।


राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के उपनेता सतीश पूनिया ने इस इलाके पर ध्यान केंद्रित किया और बीजेपी की प्रदेश इकाई के प्रमुख के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान आदिवासी क्षेत्रों का लगातार दौरा किया था।

पार्टी के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी एक ब्राह्मण चेहरा हैं और चित्तौड़गढ़ से पार्टी के लोकसभा सांसद हैं।

राज्य के दक्षिण-पूर्व में बांसवाड़ा, डूंगरपुर और प्रतापगढ़ पूर्णतया आदिवासी जिले हैं, जबकि उदयपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, सिरोही, पाली आंशिक रूप से आदिवासी क्षेत्र हैं।

गुजरात स्थित ‘भारतीय ट्राइबल पार्टी’ की तरह ही ‘भारतीय आदिवासी पार्टी’ का कामकाज युवाओं के हाथों में है। बीटीपी ने 2018 के विधानसभा चुनावों में दो सीट जीती थीं।

भारतीय आदिवासी पार्टी के गठन के साथ ही BTP में पूरी तरह विभाजन हो गया। अविभाजित बीटीपी के ज्यादातर समर्थक और नेता नए संगठन में चले गए। नई पार्टी के गठन की घोषणा सितंबर में विधायक राजकुमार रोत और रामप्रसाद डिंडोर ने की थी। दोनों ने 2018 का विधानसभा चुनाव ‘भारतीय ट्राइबल पार्टी’ के टिकट पर जीता था।

राज्य इकाई प्रमुख वेलाराम घोघरा समेत कुछ ही नेता बीटीपी के साथ रह गए हैं।

नया संगठन पहले से ही अपनी बैठकों में आदिवासी लोगों की भारी भीड़ आकर्षित कर रहा है, जो इलाकों में उसके प्रभाव को दिखाता है।

बीजेपी भी मानती है आदिवासियों का ताकत

स्थानीय बीजेपी नेता भी मानते हैं कि भारतीय आदिवासी पार्टी अब आदिवासी क्षेत्र में अग्रणी ताकत है।

विधायक रोत ने न्यूज एजेंसी PTI को बताया, "हमने आदिवासी लोगों के हित में काम करने के लिए एक नया संगठन बनाया है। हम क्षेत्र की लगभग 18 सीट पर भारतीय आदिवासी पार्टी के उम्मीदवार उतारेंगे।"

उन्होंने दावा किया कि भारतीय ट्राइबल पार्टी अपेक्षा के अनुरूप काम नहीं कर रही थी, इसलिए इसमें विभाजन हो गया। उन्होंने कहा, "हम कांग्रेस और BJP दोनों को हराने की कोशिश करेंगे।"

रोत ने कहा कि अगर बीटीपी उन 17-18 सीट पर हस्तक्षेप नहीं करेगी, जहां उनकी पार्टी चुनाव लड़ेगी, तो भारतीय आदिवासी पार्टी भी गुजरात में हस्तक्षेप नहीं करेगी।

उन्होंने कहा, "हम सभी क्षेत्रीय दलों से अपील करते हैं कि (हम) सभी का एक ही मकसद है और हमें आपस में नहीं लड़ना चाहिए। हमने भारतीय ट्राइबल पार्टी से राजस्थान विधानसभा चुनावों में हस्तक्षेप नहीं करने के लिए कहा है और हम गुजरात में हस्तक्षेप नहीं करेंगे।"

डूंगरपुर के चोरासी से विधायक ने कहा, "अगर वे इस पर विचार नहीं करते हैं, तो स्पष्ट दृष्टि और मजबूत विचारधारा वाली हमारी पार्टी आगे बढ़ेगी। हमारा दृष्टिकोण साफ है और विचारधारा मजबूत है और हम आगे बढ़ेंगे।'

भारतीय आदिवासी पार्टी के उभार को भी बीजेपी एक चुनौती के तौर पर देखती है।

BJP नेताओं का मानना है कि वे इस क्षेत्र में केवल सत्ता-विरोधी लहर पर भरोसा नहीं कर सकते हैं, जहां भारतीय आदिवासी पार्टी के शिक्षित आदिवासी युवा सक्रिय हैं और लोगों को इसके प्रति एकजुट कर रहे हैं।

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स्थानीय BJP नेता और पूर्व मंत्री सुशील कटारा ने कहा कि 'क्षेत्र में कांग्रेस का अस्तित्व खत्म होने की कगार पर है। भारतीय आदिवासी पार्टी इस क्षेत्र में आगे चल रही है, जबकि (आदिवासी क्षेत्र में) विधानसभा चुनाव में कांग्रेस तीसरे नबंर पर रहेगी।"

उन्होंने कहा कि भारतीय आदिवासी पार्टी आदिवासियों की भावनाओं का फायदा उठा रही है।

साल 2018 के चुनावों में कटारा बीटीपी के रोत से हार गए थे। उन्होंने (कटारा ने) बताया, "वे शिक्षित हैं, सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं और आदिवासी लोगों को अपने पक्ष में लामबंद कर रहे हैं।"

रोत और डिंडोर, दोनों ने तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बगावत के कारण 2020 में राज्य में पैदा हुए राजनीतिक संकट के दौरान गहलोत सरकार का समर्थन किया था।

उन्होंने (दोनों विधायकों ने) राज्यसभा चुनाव में भी कांग्रेस उम्मीदवारों का समर्थन किया था।

हालांकि, भारतीय ट्राइबल पार्टी की राजस्थान इकाई के प्रमुख घोघरा ने कहा कि आदिवासी क्षेत्र को इससे कुछ भी हासिल नहीं हुआ। उन्होंने पार्टी में विभाजन के लिए कुछ नेताओं के 'अहंकारी दृष्टिकोण' को जिम्मेदार ठहराया। जाहिर तौर पर उनका इशारा रोत और डिंडोर और उनके समर्थकों की ओर था।

कांग्रेस को है खुद पर भरोसा

हालांकि, बांसवाड़ा जिले के एक कांग्रेस नेता ने कहा कि राज्य सरकार ने क्षेत्र के विकास के लिए काम किया है और पार्टी को चुनाव में बढ़त मिलेगी।

कांग्रेस नेता ने कहा, "मुख्यमंत्री ने हाल ही में बांसवाड़ा में आदिवासी लोगों के एक पवित्र स्थान मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक के रूप में विकसित करने के वास्ते एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। उन्होंने अगस्त माह में 100 करोड़ रुपये की लागत से 'धाम' में विकास कार्यों की भी घोषणा की।’’

स्थानीय नेताओं ने कहा कि रोजगार के अवसर, बुनियादी ढांचे का विकास और आदिवासी आबादी के संबंध में संवैधानिक प्रावधानों का उचित कार्यान्वयन प्रमुख चुनावी मुद्दे होंगे।

राजस्थान के आदिवासी क्षेत्र में वागड़ और मेवाड़ क्षेत्र शामिल हैं। इसमें 37 विधानसभा सीट हैं। वर्ष 2018 के चुनाव में इनमें से 20 पर BJP और 11 पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी, जबकि तीन सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार विजयी रहे थे।

वर्तमान विधायक गुलाब चंद कटारिया को इस साल की शुरुआत में असम का राज्यपाल नियुक्त किये जाने के बाद से उदयपुर में एक सीट खाली है। रोत और डिंडोर इस क्षेत्र से विधानसभा के दो और सदस्य हैं।

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