हिंदू धर्म में कई ऐसे त्योहार हैं जो बेहद ही महत्वपूर्ण हैं। इन्हें बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। उन्हीं त्योहारों में से एक छठ पूजा का त्योहार है। पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से छठ पूजा की शुरुआत हो जाती है। यह महापर्व पूरे चार दिनों तक चलता है। छठ पूजा का मुख्य व्रत कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को रखा जाता है। इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और भविष्य के लिए सूर्य देव और छठी मैया की पूजा-अर्चना करती है। इस दौरान महिलाएं 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं।
यही वजह है कि इस व्रत को सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। पहले दिन नहाय-खाय के साथ छठ पूजा की शुरुआत होती है। दूसरे दिन लोहंडा और खरना होता है। वहीं तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ व्रत का पारण किया जाता है। इसी के साथ इस पर्व का समापन हो जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं इस साल छठ पूजा कब से शुरू हो रही है।
छठ पूजा की कब से हो रही है शुरुआत
वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 07 नवंबर को देर रात 12.41 बजे होगी। यह 08 नवंबर को देर रात 12.34 पर खत्म हो जाएगी। 7 नवंबर को संध्याकाल का अर्ध्य दिया जाएगा। इसके अगले दिन यानी 08 नवंबर को सुबह का अर्घ्य दिया जाएगा।
नहाय खाय से छठ पूजा की शुरुआत होती है। इस दिन श्रद्धालु नदी या तालाब में स्नान करते हैं। अगर नदी में नहाना संभव न हो ते घर पर भी नहा सकते हैं। इसके बाद व्रती महिलाएं भात, चना दाल और लौकी का प्रसाद बनाकर ग्रहण करती हैं। इस दिन शुद्ध और सात्विक भोजन किया जाता है।
छठ पूजा के दूसरे दिन को लोहंडा या खरना कहा जाता है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को खरना का प्रसाद बनाया जाता है। इस दिन माताएं दिनभर व्रत रखती हैं और पूजा के बाद खरना का प्रसाद खाकर 36 घंटे के निर्जला व्रत का आरंभ करती है। इस दिन मिट्टी के चूल्हे में आम की लकड़ी से आग जलाकर प्रसाद बनया जाता है।
संध्या अर्घ्य (7 नवंबर 2024)
तीसरे दिन, व्रती सूर्यास्त के समय नदी या तालाब के किनारे जाकर सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं। यह छठ पूजा का सबसे अहम दिन होता है। इसके साथ ही बांस के सूप में फल, गन्ना, चावल के लड्डू, ठेकुआ सहित अन्य सामग्री रखकर पानी में खड़े होकर पूजा की जाती है।
प्रातःकालीन अर्घ्य (8 नवंबर 2024)
चौथे दिन, उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन व्रती अपने व्रत का पारण करते हैं। साथ ही अपनी संतान की लंबी उम्र और अच्छे भविष्य की कामना करते हैं। इसी दिन प्रसाद वितरण किया जाता है।
छठ पूजा का प्रसाद भी है विशेष
छठ पूजा में ठेकुआ, मालपुआ, चावल के लड्डू, फलों और नारियल का प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। सबसे पहले ये सारी चीजें सूर्यदेव और छठी मैय्या को अर्पित किया जाता है।