सनातन परंपरा में दीपों के पंचमहापर्व दिवाली का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व है। जिसकी शुरुआत कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी के दिन होती है। यह पर्व शुभ-लाभ के देवता भगवान श्री गणेश, धन की देवी मां लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर के साथ आरोग्य का वरदान प्रदान करने वाले भगवान धन्वंतरी की पूजा का बहुत ज्यादा महत्व है। मान्यता है कि इसी दिन समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरी का अमृत कलश के साथ प्राकट्य हुआ था। धन्वंतरी देव देवताओं के वैद्य हैं। धन्वंतरी देव को औषधि का देवता भी कहा गया है। हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है।
कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि के दिन धन प्राप्ति के लिए माता लक्ष्मी और कुबेर महाराज की पूजा पाठ करने पर धन के भंडार भर जाते हैं। वैसे ही निरोग रहने के लिए देवताओं के वैद्य धन्वंतरी देव की पूजा पाठ करने से सभी शारीरिक रोग और कष्ट दूर हो जाते हैं। लोकल 18 से बात करते हुए हरिद्वार के ज्योतिषाचार्य पंडित श्रीधर शास्त्री ने कहा कि साल 2024 में कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 29 अक्टूबर की सुबह 10:32 से शुरू होगी। 30 अक्टूबर की दोपहर 1:15 तक मनाई जाएगी।
भगवान धन्वंतरि की पूजा का महत्व
भगवान धन्वंतरि आरोग्यता प्रदान करने वाले देवता माने गए हैं। जिस समय भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए तो उनके हाथ में एक पीतल का कलश था। जिसमें अमृत भरा था। उसी अमृत का पान करके सभी देवता अमर हो गए। मान्यता है कि धनतेरस के दिन विधि-विधान से अगर भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाए तो रोगों से मुक्ति मिलती है। सभी रोगों के कष्ट दूर हो जाते हैं। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि अगर हमारा शरीर निरोगी रहेगा। तभी हमारी कार्यक्षमता बेहतर होगी। हम किसी भी दिशा में अच्छा काम कर सकेंगे। इससे घर में सफलता और समृद्धि आएगी। कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धन्वंतरी देव के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
भगवान धन्वंतरि की पूजा विधि
धनतेरस के दिन सायंकाल होते ही स्नान-ध्यान करने के बाद पूजा करें। सबसे पहले भगवान श्री गणेश की और उसके बाद मां लक्ष्मी और कुबेर देवता के बाद भगवान धन्वंतरि की विधि-विधान से पूजा करें। इसके लिए सबसे पहले एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान धन्वंतरि की मूर्ति या चित्र को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखें। उसके बाद उनका फल-फूल, रोली, अक्षत, सुगंध, चंदन, पान, पुष्प आदि चढ़कार उन्हें खीर का भोग लगाएं। इसके बाद भगवान धन्वंतरि से सुख एवं आरोग्य का आशीर्वाद पाने के लिए कमलगट्टे या फिर क्रिस्टल की माला से ‘ॐ धन्वंतराये नमः’ मंत्र का जप करें।
भगवान धन्वंतरी का पौराणिक मंत्र
ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये: अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥