आजकल की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में भी लोग पूजा पाठ करने के लिए समय निकाल ही लेते हैं। लेकिन बहुत से लोग भ्रम में रहते हैं कि आखिर किस देवता की पूजा करें। अगर आपके साथ भी कुछ ऐसा ही है तो यहां हम आपको बता रहे हैं कि आखिर कैसे अपने इष्ट देवता की पहचान करें? कई बार लोग बिना किसी ज्योतिषीय सलाह के दूसरों की देखा-देखी किसी भी देवता की पूजा करना शुरू कर देते हैं। लेकिन ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, हर व्यक्ति को अपनी कुंडली के आधार पर ही अपने इष्ट देवता का चयन करना चाहिए। कुंडली के पंचम और नवम भावों में आपको पता चल जाएगा कि किस देवी-देवता की पूजा करना चाहिए?
दरअसल, इष्ट देव का पता लगाने के लिए, जन्म कुंडली के पांचवें भाव यानी कुंडली के सबसे ऊपर पहले खाने में जहां लग्न लिखा हुआ होता है। उससे बाईं और पांचवे खाने तक गिनने पर पांचवा भाव होता है। यानी कुंडली के पंचम भाव से इष्ट देव का पता चलता है।
कुंडली के जरिए अपने इष्ट देव का ऐसे करें चयन
रांची यूनिवर्सिटी से ज्योतिष शास्त्र में गोल्ड मेडलिस्ट ज्योतिष आचार्य संतोष कुमार चौबे का कहना है कि अगर आपकी कुंडली में मंगल ग्रह की स्थिति मजबूत है, तो आपको हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए। मंगल का संबंध साहस और शक्ति से होता है। हनुमान जी की पूजा करने से आप इन गुणों को और बढ़ा सकते हैं। वहीं अगर आपकी कुंडली में बृहस्पति ग्रह प्रधान है। तब ऐसी स्थिति में भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। बृहस्पति ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक है। विष्णु जी की पूजा से आपके जीवन में स्थिरता और खुशहाली आएगी। पीले वस्त्र पहनकर पूजा करने से बृहस्पति और भी बलवान होता है।
देवी मां की पूजा कब करें?
अगर आपकी कुंडली में बुध और शुक्र ग्रह मजबूत हैं। तब ऐसी स्थिति में देवी मां की पूजा करनी चाहिए। शुक्र और बुध का संबंध भोग, सौंदर्य और बुद्धिमता से होता है। और देवी मां की पूजा से आपके जीवन में संतुलन और मानसिक शांति बढ़ेगी।
राशि के अनुसार भी इष्ट देवता की कर सकते हैं पहचान
राशि के अनुसार भी आप अपने इष्ट देवता की पहचान कर सकते हैं। अपनी राशि अनुसार अपने इष्ट देव की पूजा-अर्चना करने से फायदा मिलेगा। जीवन में तरक्की होगी।