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Kailash-Mansarovar Yatra: कैलाश-मानसरोवर यात्रा कब शुरू होगी? भारत-चीन ने 6 बड़े फैसलों पर जताई सहमति

Kailash-Mansarovar Yatra: रिपोर्ट के मुताबिक भारत और चीन ने दोनों पक्षों के बीच एक विशेष प्रतिनिधि बैठक के दौरान सीमा पर वर्षों से चले आ रहे तनाव के बाद भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने पर सहमति जताई है। भारत और चीन छह सूत्री आम सहमति पर पहुंचे हैं, जिनमें सीमाओं पर शांति बनाए रखने और मानसरोवर यात्रा पर भी कदम उठाना शामिल हैं

अपडेटेड Dec 19, 2024 पर 6:01 PM
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Kailash-Mansarovar Yatra: कैलाश-मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने के लिए केंद्र कूटनीतिक रूप से चीनी अधिकारियों से बातचीत कर रहा है

Kailash-Mansarovar Yatra: भगवान शिव के भक्तों के लिए एक बड़ी खुशखबरी आई है। द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देते हुए भारत और चीन ने सीमा पार आदान-प्रदान को मजबूत करने और कैलाश-मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने की दिशा में ठोस कदम उठाने पर सहमति जताई है। कोविड-19 महामारी और चीनी सरकार द्वारा व्यवस्थाओं का नवीनीकरण न किए जाने के कारण 2020 से कैलाश-मानसरोवर यात्रा स्थगित है। यात्रा को फिर से शुरू करने के लिए केंद्र कूटनीतिक रूप से चीनी अधिकारियों से बातचीत कर रहा है।

कैलाश-मानसरोवर यात्रा एक चुनौतीपूर्ण तीर्थयात्रा है जो राजसी तिब्बती पठार से होकर गुजरती है। हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म में सबसे पवित्र यात्राओं में से एक मानी जाने वाली यह यात्रा कैलाश पर्वत के इर्द-गिर्द घूमती है। कैलाश-मानसरोवर को भगवान शिव का निवास माना जाता है। कैलाश पर्वत चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में स्थित है। भारत और चीन ने दोनों पक्षों के बीच एक विशेष प्रतिनिधि बैठक के दौरान सीमा पर वर्षों से चले आ रहे तनाव के बाद भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने पर सहमति जताई है।

6 मुद्दों पर भारत-चीन सहमत


राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने बुधवार (18 दिसंबर) को बिजिंग में विशेष प्रतिनिधि वार्ता के दौरान 'सार्थक चर्चा' की। इस दौरान छह सूत्री आम सहमति पर पहुंचे, जिनमें सीमाओं पर शांति बनाए रखने और संबंधों के स्वस्थ एवं स्थिर विकास को बढ़ावा देने के लिए आगे भी कदम उठाना शामिल हैं। चीन के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक पांच वर्षों के अंतराल के बाद हुई पहली बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने सीमा मुद्दों पर दोनों देशों के बीच निकले समाधान का सकारात्मक मूल्यांकन किया।

विज्ञप्ति के मुताबिक, दोनों पदाधिकारियों का मानना ​​था कि सीमा मुद्दे को द्विपक्षीय संबंधों की समग्र स्थिति के परिप्रेक्ष्य में उचित तरीके से संभाला जाना चाहिए, ताकि संबंधों के विकास पर इसका असर न पड़े। बयान में कहा गया कि दोनों पक्ष सीमा क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने तथा द्विपक्षीय संबंधों के स्वस्थ और स्थिर विकास को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने पर सहमत हुए।

विज्ञप्ति के मुताबिक दोनों पक्षों ने 2005 में सीमा मुद्दे के समाधान के लिए दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों द्वारा सहमत राजनीतिक दिशानिर्देशों के अनुसार सीमा मुद्दे का निष्पक्ष, उचित और परस्पर स्वीकार्य समाधान तलाशने तथा इस प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए सकारात्मक कदम उठाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

इसमें कहा गया कि दोनों पक्षों ने सीमा की स्थिति का आकलन किया और सीमा क्षेत्र में प्रबंधन और नियंत्रण नियमों को और अधिक परिष्कृत करने, विश्वास बहाली के उपायों को मजबूत करने तथा सीमा पर स्थायी शांति और स्थिरता हासिल करने पर सहमति जताई।

इसमें कहा गया कि दोनों देश सीमा पार आदान-प्रदान और सहयोग को मजबूत करने तथा तिब्बत, चीन में भारतीय तीर्थयात्रियों की यात्रा फिर से शुरू करने, सीमा पार नदी सहयोग और नाथूला सीमा व्यापार को बढ़ावा देने पर सहमत हुए।

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पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य गतिरोध मई 2020 में शुरू हुआ और उसके बाद उसी वर्ष जून में गलवान घाटी में घातक झड़प हुई, जिसके परिणामस्वरूप दोनों पड़ोसियों के संबंधों में गंभीर तनाव पैदा हो गया। भारत-चीन के बीच 3488 किलोमीटर लंबी सीमा से जुड़े विवाद को निपटाने के लिए विशेष प्रतिनिधियों के इस तंत्र ने पिछले कुछ वर्षों में 22 बैठकें की हैं। इस तंत्र का गठन 2003 में किया गया था।

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