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Mahakumbh 2025: माघी पूर्णिमा पर होगा महाशाही स्नान, जानें क्यों है यह खास

Mahakumbh 2025: माघी पूर्णिमा, 12 फरवरी 2025 को महाकुंभ मेले का चौथा शाही स्नान है, जो लाखों श्रद्धालुओं को प्रयागराज के संगम पर आकर्षित करेगा। मान्यता है कि इस दिन स्नान से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। भक्त पूजा, दान और धार्मिक अनुष्ठान कर आत्मिक शुद्धि प्राप्त करते हैं

अपडेटेड Feb 08, 2025 पर 5:44 AM
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प्रयागराज के महाकुंभ में शुक्रवार एक बार फिर आग लग गई है।

महाकुंभ मेला 2025 के शुभ अवसर पर प्रयागराज में भक्तों और संतों का महासंगम जारी है। श्रद्धालु त्रिवेणी संगम के पवित्र जल में आस्था की डुबकी लगाकर आत्मिक शुद्धि और मोक्ष की कामना कर रहे हैं। इस महापर्व का चौथा शाही स्नान माघी पूर्णिमा, 12 फरवरी 2025 को होगा, जिसे हिंदू धर्म में अत्यंत धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व प्राप्त है।मान्यता है कि इस दिन गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और आत्मा शुद्ध होती है। कहा जाता है कि इस दिन गंधर्व देवता संगम में आकर जल को दिव्य आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

इस दिन श्रद्धालु विशेष पूजा, दान और भजन-कीर्तन करते हैं। मान्यता है कि संगम में स्नान से पापों से मुक्ति मिलती है।माघी पूर्णिमा आस्था, भक्ति और आत्मिक शुद्धि का पवित्र दिन माना जाता है।

गुरु बृहस्पति और देव आशीर्वाद


माघी पूर्णिमा विशेष रूप से गुरु बृहस्पति (बृहस्पति ग्रह) की पूजा के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। भक्तों का मानना है कि इस दिन गंधर्व देवता संगम पर आते हैं, जिससे पवित्र जल में दिव्य आशीर्वाद की वर्षा होती है। इस जल में स्नान करने से आत्मा शुद्ध होती है, पापों से मुक्ति मिलती है और भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

संगम में पवित्र स्नान

संगम, गंगा, यमुन और काल्पनिक सरस्वती नदियों का संगम है, जहां माघी पूर्णिमा के दिन भक्तों का भारी जमावड़ा होता है। यहां स्नान करने से भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति और जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है। इस दिन स्नान करने को अत्यधिक पुण्यकारी माना जाता है, जो भक्तों को स्वर्गीय लोकों से जोड़ता है।

पूजा और धार्मिक अनुष्ठान

पवित्र स्नान के अलावा, कई अन्य धार्मिक अनुष्ठान भी इस दिन होते हैं। भक्त सूर्योदय के समय सूर्य देवता की पूजा करते हैं, वे वेदिक मंत्रों का उच्चारण करते हैं और जरूरतमंदों को दान देते हैं। गुरु बृहस्पति के लिए विशेष पूजा की जाती है ताकि वे ज्ञान और समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करें। कई भक्त अन्नदान और वस्त्र दान भी करते हैं, क्योंकि इस दिन दान को बहुत लाभकारी माना जाता है।

महाकुंभ मेला का शाही स्नान

महाकुंभ मेला के दौरान चौथा शाही स्नान संतों, महात्माओं और भक्तों का एक भव्य संगम होता है। विशेष रूप से साधु-संतों की शाही यात्रा होती है, जो केसरिया वस्त्र पहनकर "हर हर महादेव" के जयकारे के साथ संगम में स्नान करते हैं। यह एक अद्भुत दृश्य होता है, जो भक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर होता है।

आध्यात्मिक श्रद्धा का पर्व

माघी पूर्णिमा केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह विश्वास, एकता और आध्यात्मिक जागरण का प्रतीक है। चाहे आप संगम पर जाएं या दूर से ही इसका उल्लास मनाएं, यह दिन हमें मानवता और दिव्यता के बीच के शाश्वत संबंध की याद दिलाता है।

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