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Mahakumbh 2025: चंद्रमा की एक गलती से होता है महाकुंभ, रोचक कहानी सुनकर हो जाएंगे हैरान

Mahakumbh 2025: कुंभ मेला हर 12 साल में खास ग्रह स्थिति के आधार पर होता है। यह चंद्र देव की गलती से शुरू हुआ, जब अमृत की चार बूंदें प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में गिरीं। इन स्थानों को पवित्र मानकर यहां कुंभ मेला आयोजित किया जाता है, जो पाप नाश और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है

MoneyControl Newsअपडेटेड Jan 08, 2025 पर 5:46 PM
Mahakumbh 2025: चंद्रमा की एक गलती से होता है महाकुंभ, रोचक कहानी सुनकर हो जाएंगे हैरान
MahaKumbh 2025: महाकुंभ का मेला विशेष योग और ग्रह स्थितियों में लगता है।

Mahakumbh 2025: महाकुंभ मेला हर 12 साल में विशेष ग्रह स्थिति और खगोलीय योग के आधार पर होता है। यह भारत का सबसे बड़ा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है। इसमें करोड़ों श्रद्धालु स्नान, ध्यान और दान करने आते हैं। मान्यता है कि कुंभ में स्नान करने से व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं। इससे आध्यात्मिक शांति और उन्नति होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुंभ मेले की शुरुआत एक अनोखी पौराणिक कथा से हुई है? यह कथा समुद्र मंथन और चंद्र देव की एक छोटी सी गलती से जुड़ी है। कहा जाता है कि अमृत कलश को सुरक्षित स्वर्ग ले जाते समय चंद्रमा की गलती के कारण अमृत की चार बूंदें धरती पर गिर गईं। ये चार स्थान – प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक पवित्र माने जाने लगे।

माना जाता है कि इन स्थानों पर अमृत की बूंदों के गिरने से यहां स्नान करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। तब से हर 12 साल में इन स्थानों पर कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है, जो आस्था, आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक का प्रतीक है।

देवता और असुरों की लड़ाई

पुराणों के अनुसार, देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था। इस मंथन से कई दिव्य और बहुमूल्य चीजें निकलीं, जैसे लक्ष्मी, कामधेनु गाय, पारिजात वृक्ष, और सबसे महत्वपूर्ण अमृत कलश। अमृत को प्राप्त करने के लिए देवताओं और असुरों के बीच बड़ा संघर्ष हुआ। असुरों ने अमृत कलश पर कब्जा कर लिया, लेकिन देवताओं ने इंद्र के पुत्र जयंत को इसे वापस लाने की जिम्मेदारी दी।

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