Ramadan Mubarak 2025 India: भारत में 2 मार्च से रमजान का पवित्र महीना शुरू हो चुका है। रमजान के महीने में खासतौर पर तरावीह की नमाज पढ़ी जाती है। वैसे तो मुसलमान दिन में पांच बार नमाज पढ़ते हैं। इनमें फज्र, जुहर, असर, मगरिब और ईशा की नमाज शामिल हैं। लेकिन पांच वक्त की नमाजों के अलावा रमजान के पाक महीने में तरावीह नमाज भी पढ़ी जाती है। तरावीह एक रात की नमाज है जो रोजाना की आखिरी नमाज ईशा के बाद पढ़ी जाती है।
'तरावीह (Taraweeh)' शब्द का मतलब है आराम करना। यह नमाज अनिवार्य नहीं है लेकिन रमजान के दौरान इबादत का एक अहम हिस्सा है। मुसलमान मस्जिदों में तरावीह की नमाज पढ़ने के लिए इकट्ठा होते हैं और कुरान की तिलावत सुनते हैं। तरावीह नमाज रमजान का चांद दिखने के बाद से शुरू होती है। जबकि ईद का चांद दिखने तक इसे पढ़ी जाती है।
तरावीह का इतिहास पैगंबर मोहम्मद के समय में नमाज की शुरुआत हुई थी। शुरुआत में उन्होंने इसे सामूहिक रूप से पढ़ा। लेकिन बाद में उन्होंने इसे घर पर ही पढ़ना शुरू कर दिया ताकि यह अनिवार्य न हो जाए। खलीफा उमर इब्न खत्ताब के शासन के दौरान तरावीह को मस्जिदों में एक इमाम द्वारा पढ़ाया जाता था।
इससे यह अधिक संगठित हो गया। पहले यह आठ रकात थी। लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 20 कर दिया गया। खलीफा उमर बिन अब्दुलअजीज के शासन में मदीना जैसी कुछ जगहों पर 36 रकात का पालन किया जाता था।
ईशा की नमाज में 17 रकाअत होती हैं। इनमें 4 फर्ज, 6 सुन्नत, 4 नफिल और तीन वित्र होते हैं। इसके साथ रमजान में रोज तरावीह की नमाज पढ़ी जाती है। जानकारों के मुताबिक, तरावीह ईशा की नमाज के साथ ही पढ़ी जाती है। ईशा की 12 रकात पढ़ने के बाद 5 रकात (तीन वित्र और 2 नफिल) से पहले तरावीह नमाज पढ़ी जाती है।
तरावीह में दो-दो रकात होती हैं। कई मस्जिदों में इस महीने के दौरान पूरे कुरान का पाठ किया जाता है। हालांकि यह अनिवार्य नहीं है। लेकिन कई मुसलमान इसे रमजान में अपनी दिनचर्या का हिस्सा मानते हैं। जैसे ही रमजान 2025 शुरू होता है। दुनिया भर के मुसलमान इस विशेष प्रार्थना की तैयारी करते हैं।
यह आध्यात्मिक विकास, क्षमा मांगने और अल्लाह के करीब आने में मदद करता है। तरावीह नमाज के 20 रकातों के लिए दो-दो सुन्नत रकात की नियत बांधी जाती है। 10 सूरह में एक सूरह को दो बार पढ़ा जाता है। इस नमाज को पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब रात में पढ़ा करते थे। तरावीह की नमाज सुन्नत होती है।