फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी या रंगभरी एकादशी कहा जाता है, जिसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। आमतौर पर सभी एकादशी तिथियां भगवान विष्णु को समर्पित होती हैं, लेकिन यह एकमात्र एकादशी है जो भगवान शिव से जुड़ी होती है। इस दिन वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव माता पार्वती का गौना कराकर पहली बार काशी आए थे। उनके स्वागत में भक्तों ने रंग-गुलाल उड़ाकर आनंद उत्सव मनाया, जिससे यह पर्व ‘रंगभरी एकादशी’ कहलाया।