पिछले 2 सालों के दौरान करीब 14 फीसदी भारतीय लोगों ने कर्ज लेने के लिए इंस्टेंट लोन ऐप (Instant Loan Apps) का इस्तेमाल किया है। इसमें से भी करीब 58 फीसदी लोगों से इन ऐप ने सालाना 25 फीसदी से अधिक की दर पर ब्याज वसूला है। लोकलसर्किल्स के कराए एक सर्वे में यह जानकारी सामने आई है।
सर्वे में शामिल करीब 54 फीसदी लोगों ने कहा कि लोन भुगतान के दौरान उनसे जबरदस्ती वसूली की गई या उनके आंकड़ों में छेड़छाड़ की गई। लोकलसर्किल्स के इस सर्वे में देश के 409 जिलों में रहने 27,500 से अधिक लोगों ने भाग लिया। इनमें से 68 फीसदी पुरुष और 32 फीसदी महिलाएं थीं। सर्वे में भाग लेने वालों में 47 फीसदी लोग टियर 1 शहरों, 35 फीसदी लोग टियर 2 शहरों और 18 फीसदी लोग टियर 3,4 और ग्रामीण इलाकों के रहने वाले हैं।
सर्वे में शामिल 14 फीसदी या करीब 8,555 लोगों ने कहा कि उन्होंने या उनके परिवार में किसी ने या उनके परिवार में काम करने वाले किसी शख्स ने पिछले 2 सालों के दौरान इंस्टेंट लोन ऐप के जरिए कर्ज लिया है।
यह पूछे जाने पर कि उन्हें कितने प्रतिशत के ब्याज पर यह लोन दिया गया, 26 फीसदी लोगों ने कहा कि उनसे लोन 10-25 फीसदी ब्याज दर पर वसूला गया। वहीं 16 फीसदी लोगों ने कहा कि उनसे 25-50% की ब्याज दर पर लोन वसूला गया। 26 फीसदी लोगों ने कहा कि उनसे 100-200% के बीच ब्याज दर वसूला गया, जबकि 16 फीसदी लोगों ने यहां तक दावा किया कि उनसे 200 फीसदी से भी ज्यादा ब्याज दर पर लोन वसूला गया। इस तरह कुल करीब 58 फीसदी लोग ऐसे थे, जिन्होंने कहा कि उनसे सालाना 25 फीसदी से अधिक की दर पर ब्याज वसूला गया।
ग्राहकों से मिली जानकारी के आधार पर, इंस्टेंट लोन ऐप 3,000 से 5,000 रुपये के लोन उनके सालाना 30 से 60 फीसदी ब्याज की दर पर वसूली करते थे। अधिकतर इंस्टेंट ऐप लोन, कोरोना महामारी के दौरान बने थे, जब कई लोगों को नौकरी खोने या दूसरे कारणों के जल्द तत्काल आर्थिक मदद की जरूरत थे। कई मामलों में तो ये ऐप 400 से 500 फीसदी के ब्याज पर लोगों को लोन देते थे।
इंस्टेंट लोन ऐप की बढ़ती मनमानी को देखते हुए आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने हाल ही में कहा कि इनमें से अधिक लोन ऐप अवैध और अनाधिकृत हैं और केंद्रीय बैंक इन डिजिटल लेंडिंग प्लेटफॉर्म्स को रेगुलेट करने के लिए एक नियम लाने वाला है। RBI ने जबरन वसूली के केस में इन लोन ऐप के खिलाफ लोगों से पुलिस में शिकायत करने की भी अपील की थी।