ज्यादातर एक्सपर्ट्स की इस बारे में आम राय है कि इंडिया इकोनॉमी के लिहाज से बड़े छलांग लगाने को तैयार है। देश की आबादी में युवाओं की ज्यादा हिस्सेदारी है, टेक्नोलॉजी में बढ़त और आंत्रप्रेन्योरशिप में लोगों की दिलचस्पी भारत को वैश्विक मंच पर बड़ी ताकत बनाते हैं। 2013 में मॉर्गन स्टेनली के एक फाइनेंशियल एनालिस्ट ने उन उभरते देशों को एक नया नाम दिया था, जो अपनी ग्रोथ के लिए विदेशी निवेश पर काफी ज्यादा निर्भर रहे हैं। उन्होंने इन देशों को 'फ्रैजल फाइव' कहा था। इनमें तुर्किए, ब्राजील, भारत, साऊथ अफ्रीक और इंडोनेशिया शामिल थे।
10 साल बाद इंडिया दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी बन गया है। यह सैकड़ों सालों तक भारत पर राज करने वाले इंग्लैंड से आगे निकल चुका है। इस साल 30 जुलाई को अमेरिकी राष्ट्रपति Donald Trump ने भारत पर 25 फीसदी टैरिफ लगाया। बाद में इसे और 25 फीसदी बढ़ा दिया। उन्होंने इंडिया को 'डेड इकोनॉमी' तक कहा। 25 दिन पहले 15 जून, 2025 को इंडिया दुनिया की चौथी सबसे बड़ी इकोनॉमी बनी थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल 15 अगस्त को ग्रोथ के लिए नए रास्ते पर जोर दिया, जो आत्मनिर्भरता पर आधारित है। इसमें ग्रोथ बढ़ाने, टैक्स के नियमों को आसान बनाने, आंत्रप्रेन्योरशिप को बढ़ावा देने और बाधाओं को तोड़ इंडिया का एक ऐसा बड़ा मार्केट बनाने का प्लान है, जो बाहरी मदद और स्थितियों पर काफी कम निर्भर होगा। 2028 तक अमेरिका अपने नए राष्ट्रपति के चुनाव की तैयारी शुरू कर देगा। तब ट्रंप को अपना पद छोड़ने के लिए तैयार हो रहे होंगे और इंडिया दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बनेगा।
एक दशक पहले जिन बाजारों में खरीदने और बेचने का माध्यम रुपया होता था आज उनमें स्मार्टफोन के जरिए पेमेंट हो रहा है। आज यूपीआई भारतीयों के लिए पेमेंट का सबसे बड़ा जरिया बन गया है। इस बदलाव के पीछे 'डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर' (DPI) का बड़ा हाथ है। आधार, डिजीलॉकर और eKYC (इलेक्ट्रॉनिक नो योर कस्टमर) की बदौलत यह मुमकिन हुआ है। दूसरे देशों से अलग जहां डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर बंटा हुआ है या इसमें प्राइवेट सेक्टर की ज्यादा हिस्सेदारी है, इंडिया में यह सब सरकार की पहल का नतीजा है। अगस्त 2025 में यूपीआई के जरिए कुल 24.85 लाख करोड़ रुपये के ट्रांजेक्शन हुए। मंथली वॉल्यूम 20 अरब पार कर गया है।
11 साल पहले रेस्टॉरेंट के बिल में कई कंपोनेंट्स होते थे। इनमें फूड बिल, सर्विस चार्ज, वैट और सर्विस टैक्स होता था। जीएसटी के सिस्टम ने इसे पूरी तरह बदल दिया। पूरे देश में 1 जुलाई, 2017 को सिंगल टैक्स की व्यवस्था लागू हुई। इस महीने की शुरुआत में जीएसटी काउंसिल ने जीएसटी के स्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव का फैसला लिया। नया स्ट्रक्चर 22 सितंबर से लागू होगा। इससे ज्यादातर चीजें सिर्फ दो स्लैब- 5 फीसदी और 18 फीसदी के तहत आ जाएंगी। एक कैटेगरी डिमेरिट गुड्स की होगी, जिसका टैक्स रेट 40 फीसदी होगा।
आज शहरों में ज्यादातर घर लोन लेकर खरीदे जाते हैं। घर खरीदने का मतलब है कि परिवार अगले 10-15 सालों में लोन चुकाने की अपनी क्षमता को लेकर आश्वस्त है। होम लोन के डेटा से इसे समझा जा सकता है। 2014 और 2024 के बीच हाउसिंग लोन छह गुना हो गया है। इस दौरान यह 5.4 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 30.10 लाख करोड़ हो गया है। इससे लोगों के खर्च करने की मौजूदा क्षमता और भविष्य में अपनी इनकम को लेकर भरोसे का पता चलता है।
इंडिया की जीडीपी इस दौरान साढ़े तीन गुनी हो गई है। 2014 के 1,12,36,635 करोड़ रुपये से बढ़कर यह 2024-25 में 3,30,68,145 करोड़ रुपये हो गई। यह 194 फीसदी का इजाफा है। इस दौरान एक भारतीय की औसत इनकम दोगुना से ज्यादा या 161 फीसदी बढ़ी है। सालाना प्रति व्यक्ति आय 2013-14 के 89,821 रुपये से बढ़कर 2024-25 में 2,34,859 रुपये हो गई है। इंडिया की रियल प्रति व्यक्ति आय उतनी अच्छी नहीं रही है। यह 47 फीसदी की ग्रोथ के साथ 2014 के 78,480 रुपये से बढ़कर 2024-25 में 1,33,501 रुपये हो गई है। यह सच है कि लोगों की औसत इनकम दोगुनी से ज्यादा हुई है। इनफ्लेशन को बढ़ाने में रुपये में कमजोरी का भी हाथ रहा है।