जयप्रकाश एसोसिएट्स 14वीं कंपनी है, जिसका अदाणी ग्रुप ने इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) के तहत अधिग्रहण किया है। पिछले करीब 10 सालों में अदाणी समूह ने दिवालिया कंपनियों को अधिग्रहण पर करीब 35,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इस समूह ने जयप्रकाश एसोसिएट्स का अधिग्रहण ऐसे वक्त किया है जब देश में इंफ्रास्ट्रक्चर पर काफी ज्यादा फोकस है। अदाणी ग्रुप ने पहले जिन कंपनियों का अधिग्रहण किया है, उनमें से ज्यादातर इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी हैं। इनमें पावर, पोर्ट्स, रियल एसेट आदि शामिल हैं।
अदाणी समूह काफी कम कीमत पर करता है अधिग्रहण
आईबीसी (IBC) के तहत अदाणी ग्रुप की तरफ से पहले किए गए अधिग्रहण को देखने से एक दिलचस्प जानकारी सामने आई है। इस ग्रुप ने कंपनियों का अधिग्रहण उनके कुल कर्ज की सिर्फ 10-30 फीसदी वैल्यू पर किया है। इसका मतलब है कि अदाणी ग्रुप को एसेट्स पर बैंकों की तरफ से बड़ा डिस्काउंट मिला है। कुछ मामलों में तो यह डिस्काउंट 98 फीसदी तक है।
सिर्फ 13,500 करोड़ रुपये में जयप्रकाश एसोसिएट्स का अधिग्रहण
जयप्रकाश एसोसिएट्स के एसेट्स सीमेंट, पावर और रियल एस्टेट से जुड़े हैं। इसका मतलब है कि इस कंपनी के पोर्टफोलियो में शामिल होने से अदाणी ग्रुप की ताकत और बढ़ जाएगी। जयप्रकाश एसोसिट्स पर करीब 57,000 करोड़ रुपये का क्लेम है, जबकि अदाणी ने इसे 13,500 करोड़ रुपये की बोली लगाकर हासिल किया है। अदाणी ग्रुप ने इससे पहले भी कंपनियों के अधिग्रहण के लिए काफी कम कीमत चुकाई है।
इन कंपनियों का अधिग्रहण भी सस्ते भाव पर
अदाणी ग्रुप ने लैंको अमरकंटक पावर का अधिग्रहण 4,101 करोड़ रुपये में किया था। इस डील में क्रेडिटर्स से 73 फीसदी डिस्काउंट मिला था। समूह ने विदर्भा इंडस्ट्रीज पावर के लिए 4,000 करोड़ रुपये की कीमत चुकाई थी, जबकि इस कंपनी पर 6,754 करोड़ रुपये के क्लेम्स थे। अदाणी पोर्ट्स ने कराइकल पोर्ट का अधिग्रहण 1,583 करोड़ रुपये में किया था, जिसमें से फाइनेंशियल क्रेडिटर्स को 1,485 करोड़ रुपये मिले थे। इस कंपनी पर 2,997 करोड़ रुपये का क्लेम था।
कंसोर्शियम का हिस्सा भी बनता है यह समूह
कोरबा वेस्ट पावर के अधिग्रहण के लिए अदाणी ग्रुप ने 1,100 करोड़ रुपये चुकाए थे। इस कंपनी पर 3,346 करोड़ रुपये का क्लेम था। कुछ मामलों में अदाणी ग्रुप ने एसेट्स के अधिग्रहण के लिए एक बड़ो कंसोर्शियम का हिस्सा बनना पसंद किया। कुछ मामलों में उसने दिवालिया कंपनी के कुछ बिजनेसेज का अधिग्रहण किया। जीएमआर छत्तीसगढ़ एनर्जी इसका उदाहरण है। इस तरह इंडिया में डूब चुकी कंपनियों के अधिग्रहण के लिहाज से अदाणी समूह सबसे ऊपर है।
2016 में शुरू हुई थी इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड की शुरुआत
आईबीसी की शुरुआत 2016 में हुई थी। इसे दिवालिया कंपनियों के रिजॉल्यूशन के लिए शुरू किया गया था। इससे ठप हो चुकी कंपनियों को नया खरीदार मिलता है। उनका बिजनेस फिर से शुरू होता है। बैंकों को कर्ज का कुछ हिस्सा वापस मिल जाता है। आईबीसी से पहले किसी कंपनी के डूबने पर बैंक का पूरा पैसा फंस जाता था।