कॉग्निजेंट ने अमेरिकी फेडरल कोर्ट से इंफोसिस के संशोधित काउंटरक्लेम्स को खारिज करने की मांग की है। कॉग्निजेंट ने कहा है कि उसने (इंफोसिस) ट्राइजेटो के बारे में जो आरोप लगाए थे उसमें बुनियादी कानूनी कमी है, जिसे वह ठीक नहीं कर पाई है। कॉग्निजेंट ने कहा है कि इंफोसिस कई बाजारों में उसे नुकसान पहुंचने के सबूत अब तक पेश नहीं कर पाई है, जो दावे के मामले को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी है। कॉग्निजेंट अमेरिका में लिस्टेड है, जबकि इंफोसिस का हेडक्वार्टर बेंगलुरु है।
ट्राइजेटो इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी पर दोनों कंपनियों के बीच विवाद
अमेरिकी फेडरल कोर्ट में Cognizant के इस अपील के बाद Infosys के साथ उसका विवाद और गहराने का अनुमान है। ट्राइजेटो इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी के इस्तेमाल को लेकर दोनों कंपनियों के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है। 20 नवंबर, 2025 को कॉग्निजेंट ने फेडरल कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में तब तक एंटीट्रस्ट से संबंधित मामलों पर सुनवाई रोक देने की मांग की जब तक मामले को खारिज करने की उसकी याचिका पर फैसला नहीं हो जाता।
इंफोसिस पर कॉन्फिडेंशियल इंफॉर्मेशन हासिल करने का आरोप
कॉग्निजेंट की दलील है कि इंफोसिस रूटीन इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी (आईपी) प्रोटेक्शन को एंटीट्रस्ट नियमों के उल्लंघन का रूप देने की कोशिश कर रही है। वह इंफोसिस पर कई बार अपने हेल्थकेयर प्लेटफॉर्म TriZetto की कॉन्फिडेंशियल इंफॉर्मेशन हासिल करने का आरोप लगाया है। कॉग्निजेंट के रेवेन्यू में हेल्थकेयर वर्टिकल की हिस्सेदारी करीब एक-चौथाई है, जबकि इंफोसिस के रेवेन्यू में इस वर्टिकल की हिस्सेदारी करीब 7 फीसदी है।
कोर्ट दोनों कंपनियों को विवाद खत्म करने को कह चुका है
इससे पहले डलास के एक कोर्ट ने दोनों कंपनियों को ट्रेड सीक्रेट से जुड़े इस विवाद को खत्म करने को कहा था। कॉग्निजेंट ने नए घटनाक्रम में कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में कहा है कि इंफोसिस के संशोधित काउंटरक्लेम में कानूनी कमियां हैं, क्योंकि वह विरोधाभासी मार्केट डेफिनिशंस पर निर्भर है, जिसमें सब्सटिट्यूट प्रोडक्ट्स शामिल नहीं हैं। फाइलिंग में कहा गया है, "इंफोसिस की तरफ से 10 जनवरी को फाइल काउंटरक्लेम में गेरीमांडर्ड (Grrymandered) मार्केट डेफिनिशन दिया गया है, जो विरोधाभासी और अनिश्चित आरोप पर निर्भर है।" गेरीमांडर्ड का मतलब किसी चीज को कृत्रिम रूप से बनाया या डिजाइन करना है, जिससे दूसरे को अनुचित फायदा मिले।
अगले साल जुलाई में शुरू होगी मामले की सुनवाई
काग्निजेंट का कहना है कि इंफोसिस ने अपने काउंटरक्लेम में तोड़मरोड़कर और सेलेक्टिव मार्केट डेफिनिशन तैयार किया। उसने सिर्फ उन प्रोडक्ट्स को सेलेक्ट किया, जो कॉग्निजेंट को दमदार बनाते हैं, जबकि उनसे सब्सिट्यूट्स को इससे बाहर रखा। उसने कोर्ट से यह भी कहा कि इंफोसिस के काउंटरक्लेम्स इस आधार पर पहले ही खारिज हो चुके हैं। इस मामले से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि इस मामले में जुलाई 2026 में सुनवाई शुरू होगी। इसकी वजह यह है कि दोनों पक्ष इस बात पर राजी हैं कि इस मामले के बढ़ते दायरे को देखते हुए ज्यादा समय लगेगा।