उदय कोटक ने 30 लाख रुपये से की थी शुरुआत, आज कोटक महिंद्रा बैंक देश का चौथा सबसे बड़ा प्राइवेट बैंक है

उदय कोटक को पहली बार बैंक का आइडिया कुछ सप्लायर्स के संघर्ष को देखने के बाद आया। उन्होंने देखा कि छोटे सप्लायर्स को पूंजी जुटाने में बड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि तब काफी ज्यादा इंटरेस्ट रेट पर बैंकों से लोन मिलता था। आनंद महिंद्रा से संयोग से हुई उनकी मुलाकात ने उनके लिए आगे का रास्ता साफ कर दिया

अपडेटेड Nov 22, 2025 पर 4:53 PM
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उदय कोटक ने 2023 में कोटक महिंद्रा बैंक के एमडी और सीईओ का पद छोड़ दिया।

मुंबई में 1980 के दशक की शुरुआत में एक गुजराती परिवार रहता था। 60 सदस्यों वाला यह परिवार एक ही घर में रहता था। परिवार का कॉटन ट्रेडिंग का बिजनेस था। इस परिवार के एक युवा ने लीक से हटकर कुछ अलग करने के बारे में सोचा। यह युवा कोई और नहीं बल्कि उदय कोटक थे, जिनकी उम्र तब सिर्फ 26 साल थी। परिवार और दोस्तों से लिए गए 30 लाख रुपये के लोन से उन्होंने बिल डिस्काउंटिंट का धंधा शुरू किया। इस छोटी सी शुरुआत ने आज एक वटवृक्ष का रूप ले लिया है। आज कोटक महिंद्रा बैंक भारत का चौथा सबसे बड़ा प्राइवेट बैंक है।

कोटक महिंद्रा बैंक ने तब शुरुआत की थी जब सिर्फ सरकारी बैंक थे

2003 से Kotak Mahindra Bank के बाद किसी दूसरे एनबीएफसी को एक पूर्ण बैंक का लाइसेंस नहीं मिला है। उदय कोटक उन दिनों को याद करते हुए कहते हैं, "1980 के दशक में पूंजी जुटाना आसान काम नहीं था। तब इंडिया का 97 फीसदी फाइनेंशियल सेक्टर सरकार के कंट्रोल में था। लेकिन, देश बदलाव के रास्ते पर चलने को तैयार था। "


पूंजी हासिल करने के लिए चुकाना पड़ता था ज्यादा इंटरेस्ट

कोटक को पहली बार बैंक का आइडिया कुछ सप्लायर्स के संघर्ष को देखने के बाद आया। उन्होंने देखा कि छोटे सप्लायर्स को पूंजी जुटाने में बड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि तब काफी ज्यादा इंटरेस्ट रेट पर बैंकों से लोन मिलता था। आनंद महिंद्रा से संयोग से हुई उनकी मुलाकात ने उनके लिए आगे का रास्ता साफ कर दिया। महिंद्रा को बैंक शुरू करने का कोटक का आइडिया पसंद आया। उन्होंने इसमें पैसे लगाने के लिए हामी भर दी। दोनों परिवार को नामों पर बैंक का नाम कोटक महिंद्रा बैंक रखा गया।

कोटक ने प्रोफेशनल आंत्रप्रेन्योर के रास्ते पर चलने का फैसला किया

कोटक कहते हैं, "मैंन कई किताबें पढ़ी। गोल्डमैन सैक्स, जेपी मॉर्गन, मेरिल लिंच जैसे लोगों के बारे में पढ़ा। ये ऐसा नाम थे, जिन पर लोग भरोसा करते थे। " उन्होंने प्रोफेशनल आंत्रप्रेन्योर के रास्ते पर चलने का फैसला किया। उनका जोर एक ऐसा बैंकर बनने पर था, जिसमें मानवीयता, सरलता और समझदारी जैसे मूल्य हों। साथ ही रिस्क के साथ रिटर्न हासिल करने की चाहत हो। 1990 के दशक को याद करते हुए वे कहते हैं कि वह कोठारी और कंपानी से छोटे थे। उनके लिए यह बड़े बाजार में अपनी छोटी पहचान बनाने की कोशिश की तरह था।

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फाइनेंशियल सेक्टर की ग्रोथ में सरकारों का बड़ा हाथ

आज वह इंडिया को सेविंग्स करने वाले लोगों की जगह इनवेस्टमेंट करने वाले लोगों का देश बनाने का श्रेय सरकारों को देते हैं। एक के बाद एक आई सरकारों ने देश को बदलने का काम किया। 2023 में कोटक महिंद्रा बैंक के एमडी और सीईओ का पद छोड़ने वाले कोटक ने कहा, "आज वह खाली समय का आनंद उठा रहे हैं।"

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