ऑटोमोबाइल कंपनी Volkswagen की 1.4 अरब डॉलर के टैक्स बिल को रद्द करने की मांग पर सहमत होने से नतीजे बेहद नुकसानदायक होंगे। साथ ही इससे कंपनियों को जानकारी छिपाने और जांच में देरी करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। यह बात केंद्र सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट को कही है। रॉयटर्स के मुताबिक, अदालत के डॉक्युमेंट्स से यह जानकारी सामने आई है। इंपोर्ट ड्यूटी से जुड़े पिछले टैक्सेज को लेकर भारत की अब तक की सबसे अधिक मांग Volkswagen शिपमेंट के 12 वर्षों की जांच के बाद आई है। इसने लंबी जांच को लेकर विदेशी निवेशकों के डर को फिर से जगा दिया है।
ऑटोमेकर ने इस मामले को अपने भारत के कारोबार के लिए जिंदगी और मौत का मामला बताया है। कंपनी बॉम्बे हाई कोर्ट में टैक्स अथॉरिटी के खिलाफ केस लड़ रही है। Volkswagen की यूनिट, स्कोडा ऑटो फॉक्सवैगन इंडिया पर आरोप है कि उसने हाई टैरिफ से बचने के लिए कुछ ऑडी, फॉक्सवैगन और स्कोडा कारों के कंपोनेंट इंपोर्ट को गलत तरीके से क्लासिफाई किया। टैक्स अथॉरिटी का कहना है कि कंपनी ने कई वर्षों तक भारत में रीअसेंबलिंग के लिए आइटम्स को "कंप्लीटली नॉक्ड डाउन" (CKD) यूनिट्स के रूप में घोषित करने के बजाय, अलग-अलग शिपमेंट में ऑटो पार्ट्स इंपोर्ट किए ताकि टैक्स में कटौती हो सके। CKD यूनिट्स पर 30%-35% की दर से टैक्स लगाया जाता है, जबकि ऑटो पार्ट्स के लिए लगभग 5%-15% टैक्स है।
Volkswagen किस तर्क पर लड़ रही केस
टैक्स मांग को रद्द करने के लिए कंपनी का मुख्य तर्क शिपमेंट के रिव्यू में देरी करने में टैक्स अधिकारियों की निष्क्रियता और ढिलाई है। टैक्स अथॉरिटी ने 78-पेज के खंडन में हाई कोर्ट को बताया कि Volkswagen ने अपने इंपोर्ट के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी और डेटा को रोककर देरी की। Volkswagen ने कहा है कि अगर भारत ने रिव्यू पहले ही पूरा कर लिया होता तो वह नतीजों को चुनौती दे सकती थी या अपनी इंपोर्ट स्ट्रैटेजी को रीइवैल्यूएट कर सकती थी। सितंबर 2024 में भेजा गया टैक्स नोटिस विदेशी निवेशकों के भरोसे की नींव को खतरे में डालता है।
टैक्स अथॉरिटी का क्या है मानना
अथॉरिटी ने 10 मार्च को अपनी फाइलिंग में कहा कि कंपनी के तर्क को स्वीकार करने से इंपोर्टर्स को महत्वपूर्ण जानकारी को दबाने और फिर यह दावा करने की इजाजत मिल जाएगी कि टैक्स अथॉरिटी की ओर से जांच करने की टाइम लिमिट बीत चुकी है। आगे कहा कि इसके नतीजे बेहद ज्यादा नुकसानदायक होंगे।मामले की सुनवाई सोमवार को होगी। नई फाइलिंग में टैक्स अथॉरिटी ने तर्क दिया कि शिपमेंट रिव्यू को पूरा करने के लिए कंपनी किस्तों में जरूरी जानकारी और डॉक्युमेंट प्रस्तुत कर रही थी। केंद्र सरकार चाहती है कि कोर्ट Volkswagen को प्रक्रियाओं का पालन करने और अथॉरिटी के साथ बातचीत करके अपने टैक्स नोटिस का जवाब देने का निर्देश दे।
Volkswagen भारत के कार बाजार में एक छोटी सी कंपनी है। अगर यह दोषी पाई जाती है तो उसे जुर्माना और डिलेड इंट्रेस्ट समेत 2.8 अरब डॉलर का टैक्स बिल भुगतना पड़ सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकल रेगुलेशंस और कम नौकरशाही बाधाओं के वादों के साथ विदेशी निवेशकों को आकर्षित कर रहे हैं। लेकिन लंबी टैक्स जांच वर्षों तक चलने वाले मुकदमों को ट्रिगर कर सकती है।