अमेरिका की ओर से रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा के बाद से टेक कंपनी Apple काफी चर्चा में है। इसकी वजह है कि यह चीन और उसके बाद भारत में अपने iPhone की मैन्युफैक्चरिंग करती है। रेसिप्रोकल टैरिफ लागू होने के बाद एपल के शेयरों में जबरदस्त गिरावट देखी गई। हालांकि अब खबर है कि स्मार्टफोन और कंप्यूटर सहित कई कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स रेसिप्रोकल टैरिफ के दायरे में नहीं आएंगे। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा विभाग के नए दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि रेसिप्रोकल टैरिफ से बाहर रखे गए HSN कोड्स में स्मार्टफोन, कंप्यूटर/लैपटॉप, टेलिकॉम इक्विपमेंट, चिपमेकिंग मशीनरी, रिकॉर्डिंग डिवाइस, डेटा प्रोसेसिंग मशीन और प्रिंटेड सर्किट बोर्ड असेंबली सहित कई टेक प्रोडक्ट शामिल हैं।
यह Apple और Nvidia Corp. जैसी कंपनियों के लिए अच्छी खबर है। लेकिन इसके बावजूद अमेरिकी टेक कंपनियों को चीन में मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स, भारत में बने प्रोडक्ट्स के मुकाबले 20 प्रतिशत महंगे पड़ेंगे। इसकी वजह है कि नए गाइडेंस के तहत चीन में बनकर अमेरिका आने वाले स्मार्टफोन, कंप्यूटर और एक्सक्लूजन लिस्ट में शामिल अन्य कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स को 125 प्रतिशत के रेसिप्रोकल टैरिफ से तो छूट रहेगी, लेकिन 20 प्रतिशत का वह टैरिफ अभी भी चीन से आने वाले सामान पर लागू होगा, जो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस साल की शुरुआत में चीन पर लगाया था। यह रेसिप्रोकल टैरिफ से अलग है। वहीं भारत में बने iPhone पर जीरो रेसिप्रोकल टैरिफ रहेगा।
भारत में बन रहे हैं 20% iPhone
वित्त वर्ष 2024-25 में Apple Inc. ने भारत में 22 अरब डॉलर के iPhone बनाए। यह पिछले वित्त वर्ष की तुलना में लगभग 60% ज्यादा है। यह डॉलर फिगर डिवाइस की अनुमानित फैक्ट्री गेट वैल्यू को दर्शाती है, न कि मार्क्ड अप रिटेल प्राइस को। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में मामले की जानकारी रखने वालों के हवाले से कहा गया है कि कंपनी अब भारत में अपने iPhones का 20% बनाती है। या यूं कह सकते हैं कि एपल का हर 5 में से 1 iPhone भारत में बन रहा है।
यह ग्रोथ बताती है कि एपल और उसके सप्लायर मैन्युफैक्चरिंग के लिए चीन से भारत की ओर रुख कर रहे हैं। कंपनी ने चीन के बाहर मैन्युफैक्चरिंग को लेकर प्रोसेस तब शुरू की, जब कड़े कोविड लॉकडाउन ने Apple के सबसे बड़े प्लांट में उत्पादन को नुकसान पहुंचाया। भारत में ज्यादातर iPhones दक्षिण भारत में Foxconn Technology Group के कारखाने में बनाए जाते हैं। इसके अलावा टाटा समूह की टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स भी एपल की डिवाइस के लिए एक प्रमुख सप्लायर है।
टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड (TEPL) ने जनवरी 2025 में पेगाट्रॉन टेक्नोलॉजी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (PTI) में 60% कंट्रोलिंग स्टेक खरीदा था। पेगाट्रॉन इंडिया, ताइवानी कंपनी पेगाट्रॉन कॉरपोरेशन की सहायक कंपनी है और एप्पल जैसी कंपनियों को इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग सर्विसेज उपलब्ध कराती है। इससे पहले टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स ने मार्च 2024 में विस्ट्रॉन के भारतीय कारोबार को खरीद लिया था।
भारत से FY25 में 1.5 लाख करोड़ के iPhone का निर्यात
भारत के कुल उत्पादन में से Apple ने वित्त वर्ष 2025 में 1.5 लाख करोड़ रुपये (17.4 अरब डॉलर) के iPhone निर्यात किए। ब्लूमबर्ग के मुताबिक, सोर्सेज का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा फरवरी में रेसिप्रोकल टैरिफ की अपनी योजनाओं की घोषणा के बाद भारत से अमेरिका को iPhone के शिपमेंट में तेजी आई। Apple का भारत में एवरेज प्रोडक्शन और निर्यात पूरे वित्त वर्ष 2025 के दौरान बढ़ा। इससे पहले खबर आई थी कि Apple अपने अमेरिकी ग्राहकों के लिए भारत की सप्लाई चेन से iPhone को प्राथमिकता देगी।
चीन में बने हेडफोन और AirPods पर अभी भी 145 प्रतिशत टैरिफ
हेडफोन और AirPods जैसे ऑडियो प्रोडक्ट अभी भी रेसिप्रोकल टैरिफ के दायरे में हैं। ऐसे में चीन से इनके अमेरिका में निर्यात पर अभी भी 125 प्लस 20 प्रतिशत यानि 145% टैरिफ लगेगा। वहीं भारत और वियतनाम से निर्यात पर फिलहाल केवल 10% टैरिफ लगेगा क्योंकि ट्रंप ने चीन को छोड़कर अन्य देशों के लिए 90 दिन के लिए रेसिप्रोकल टैरिफ की दर 10% कर दी है।