अमेरिका ने स्मार्टफोन, लैपटॉप और टैबलेट जैसी चीजों को रेसिप्रोकल टैरिफ से बाहर रखा है।अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा विभाग के नए दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि रेसिप्रोकल टैरिफ से बाहर रखे गए HSN कोड्स में स्मार्टफोन, कंप्यूटर/लैपटॉप, टेलिकॉम इक्विपमेंट, चिपमेकिंग मशीनरी, रिकॉर्डिंग डिवाइस, डेटा प्रोसेसिंग मशीन और प्रिंटेड सर्किट बोर्ड असेंबली सहित कई टेक प्रोडक्ट शामिल हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स पर टैरिफ रीकैलिब्रेशन में भारत और वियतनाम स्पष्ट लाभार्थी के रूप में उभर रहे हैं।
अमेरिका की ओर से भारत पर 26 प्रतिशत और वियतनाम पर 46 प्रतिशत का रेसिप्रोकल टैरिफ लगा है। ट्रंप ने चीन को छोड़कर अन्य देशों के लिए इस टैरिफ को 90 दिनों के लिए 10 प्रतिशत कर दिया है। चीन के सामान पर रेसिप्रोकल टैरिफ की दर 125 प्रतिशत है। नए गाइडेंस के तहत चीन में बनकर अमेरिका आने वाले स्मार्टफोन, कंप्यूटर और एक्सक्लूजन लिस्ट में शामिल अन्य कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स को भी रेसिप्रोकल टैरिफ से छूट रहेगी, यानि कि यह 125 प्रतिशत का टैरिफ नहीं देना होगा। लेकिन 20 प्रतिशत का वह टैरिफ अभी भी चीन से आने वाले सामान पर लागू होगा, जो ट्रंप ने इस साल की शुरुआत में चीन पर लगाया था और जो रेसिप्रोकल टैरिफ से अलग है।
यानि चीन में बने प्रोडक्ट अभी भी भारत से रहेंगे महंगे
इसका मतलब साफ है कि एपल जैसी कंपनियों के लिए अपने प्रोडक्ट्स की चीन में मैन्युफैक्चरिंग अभी भी भारत और वियतनाम में मैन्युफैक्चरिंग से महंगी पड़ेगी। इंडिया सेल्युलर और इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) के एनालिसिस के मुताबिक, चीन से अमेरिका आने वाले iPhone, लैपटॉप, टैबलेट, स्मार्टफोन समेत एक्सक्लूजन लिस्ट के अन्य कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स पर अभी भी 20 प्रतिशत टैरिफ का भुगतान करना होगा, वहीं भारत और वियतनाम से ऐसे इंपोर्ट पर जीरो टैरिफ होगा। ICEA में Apple, Foxconn, Xiaomi, Dixon और Lava शामिल हैं।
हालांकि, हेडफोन और AirPods जैसे ऑडियो प्रोडक्ट अभी भी रेसिप्रोकल टैरिफ के दायरे में हैं। ऐसे में चीन से इनके अमेरिका में निर्यात पर अभी भी 145% तक टैरिफ लगेगा, जबकि भारत और वियतनाम से निर्यात पर 90 दिनों के लिए केवल 10% टैरिफ लगेगा।
ICEA के चेयरमैन पंकज मोहिंद्रू ने का कहना है, "स्मार्टफोन और अन्य कई कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए रेसिप्रोकल टैरिफ से राहत। अब, कोई असाधारण व्यवधान नहीं होगा। क्षमता स्थापित करने का समय आ गया है... चीन के खिलाफ लॉन्ग टर्म ट्रेंड मजबूत रहेगा। लेकिन पिछले कुछ हफ्तों का झटका अपने आप में एक बड़ा बदलाव है।"