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रेसिप्रोकल टैरिफ से स्मार्टफोन बाहर, क्या मैन्युफैक्चरिंग में चीन का दबदबा ट्रंप के गुस्से पर पड़ा भारी?

वैसे तो ट्रंप प्रशासन ने पहले ही सेमीकंडक्टर और फार्मास्यूटिकल्स सहित कई क्षेत्रों को रेसिप्रोकल टैरिफ से छूट दे रखी है लेकिन यह भी संकेत दिया है कि ट्रंप अभी भी इन क्षेत्रों पर टैरिफ लागू करने की योजना बना रहे हैं। व्हाइट हाउस ने अभी तक नए गाइडेंस पर कोई कमेंट नहीं किया है

अपडेटेड Apr 13, 2025 पर 10:02 AM
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अब नए गाइडेंस आए हैं कि स्मार्टफोन और कंप्यूटर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ के दायरे में नहीं आएंगे।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी सामानों पर अन्य देशों की ओर से लगे टैरिफ के चलते उन देशों के अमेरिका आने वाले सामानों पर जवाबी यानि रेसिप्रोकल टैरिफ लगाए। उनका कहना है कि दूसरे देश अमेरिका से हाई टैरिफ वसूलते हैं तो अमेरिका भी उनसे हाई टैरिफ वसूलेगा। ट्रंप इस फैसले के जरिए अमेरिकी अर्थव्यवस्था को बूस्ट देना चाहते हैं। लेकिन उनका यह फैसला दूसरे देशों के एक्सपोर्टर्स के लिए तो तगड़ा झटका है ही, साथ ही अमेरिकी कंपनियों के लिए भी मुसीबत बन रहा है। इसकी वजह है कि कई चीजों की अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग या तो होती नहीं है या बे​हद कम लेवल पर होती है।

अब कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स को ही ले लीजिए। एपल जैसी टेक कंपनियों के ज्यादातर प्रोडक्ट चीन में बनते हैं। और ट्रेड को लेकर चीन पर ट्रंप के तेवर जगजाहिर हो चुके हैं। अमेरिका के नए रेसिप्रोकल टैरिफ पर जब चीन ने मुंहतोड़ जवाब देते हुए अमेरिकी सामान पर टैरिफ बढ़ा दिए तो ट्रंप का पारा और हाई हो गया और उन्होंने चीन पर रेसिप्रोकल टैरिफ की दर बढ़ाकर 125 प्रतिशत कर दी। इसके साथ और 20 प्रतिशत टैरिफ अलग से हैं, जो फेंटेनाइल ड्रग की सप्लाई चेन में चीन की कथित बड़ी भूमिका को लेकर अमेरिका ने इस साल की शुरुआत में लगाए थे। इस तरह चीन पर अमेरिका की ओर से नए टैरिफ का कुल आंकड़ा 145 प्रतिशत है।

चीन पर इतने हाई टैरिफ ने टेक कंपनियों की धड़कनें बढ़ा दीं, क्योंकि वहां से बनकर अमेरिका में प्रोडक्ट्स का आना मतलब भारी भरकम टैरिफ का भुगतान। यह चिंता एपल, एनवीडिया जैसी कंपनियों के शेयरों में बड़ी गिरावट के तौर पर दिखी। इनके शेयर गिरे तो अमेरिकी शेयर बाजार ने भी तगड़ी ​मार झेली।


इसीलिए दी है यह नई राहत...

शायद यही वजह है कि अब नए गाइडेंस आए हैं कि स्मार्टफोन और कंप्यूटर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ के दायरे में नहीं आएंगे। रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा विभाग के नए दिशा-निर्देशों में ऐसा कहा गया है। रेसिप्रोकल टैरिफ से बाहर रखे गए HSN कोड्स में स्मार्टफोन, कंप्यूटर/लैपटॉप, टेलिकॉम इक्विपमेंट, चिपमेकिंग मशीनरी, रिकॉर्डिंग डिवाइस, डेटा प्रोसेसिंग मशीन और प्रिंटेड सर्किट बोर्ड असेंबली सहित कई टेक प्रोडक्ट शामिल हैं। इन कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स का अमेरिका में प्रोडक्शन शुरू होने में कई साल लगेंगे।

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CNBC की रिपोर्ट में कहा गया कि नए टैरिफ गाइडेंस के तहत अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और कंपोनेंट्स को भी टैरिफ से बाहर रखा गया है। इनमें सेमीकंडक्टर, सोलर सेल, फ्लैट पैनल टीवी डिस्प्ले, फ्लैश ड्राइव, मेमोरी कार्ड और डेटा स्टोरेज के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सॉलिड-स्टेट ड्राइव शामिल हैं।

Apple, Nvidia जैसी बड़ी टेक कंपनियों के लिए बड़ा बूस्ट

स्मार्टफोन और अन्य कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स को रेसिप्रोकल टैरिफ से बाहर रखा जाना बिग टेक कंपनियों जैसे Apple, Nvidia और Microsoft के लिए एक बड़ा बूस्ट है, क्योंकि अभी तक यही लग रहा है कि एक्सक्लूजन के तहत चीन में बने कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स भी आएंगे। यानि इन्हें भी 125 प्रतिशत के रेसिप्रोकल टैरिफ से छूट रहेगी] बशर्ते ट्रंप इसे लेकर कुछ प्रतिकूल आदेश न जारी कर दें।हालांकि चीन से इंपोर्ट पर 20 प्रतिशत के अलग वाले टैरिफ अभी भी लागू रहेंगे।

उम्मीद है कि नए गाइडेंस का टेक कंपनियां स्वागत करेंगी और हो सकता है कि नए सप्ताह में उनके शेयर उछलें। फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसा लगता है कि यह छूट चीन की तरफ ट्रंप के नरम होने का पहला संकेत है। व्हाइट हाउस ने अभी तक नए गाइडेंस पर कोई कमेंट नहीं किया है।

Apple अभी भी चीन में बनाती है 80% iPhone

रिपोर्ट के मुताबिक, एनालिस्ट्स का अनुमान है कि Apple के लगभग 80 प्रतिशत iPhone अभी भी चीन में बनते हैं। ऐसा तब है, जब कंपनी ने हाल के वर्षों में भारत में उत्पादन के जरिए अपनी मैन्युफैक्चरिंग डेस्टिनेशन में विविधता लाने के लिए काम किया है। वैसे तो ट्रंप प्रशासन ने पहले ही सेमीकंडक्टर और फार्मास्यूटिकल्स सहित कई क्षेत्रों को रेसिप्रोकल टैरिफ से छूट दे रखी है लेकिन यह भी संकेत दिया है कि ट्रंप अभी भी इन क्षेत्रों पर टैरिफ लागू करने की योजना बना रहे हैं।

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