सरकारी कंपनियों के बोर्ड में राजनीति से जुड़े लोगों की नियुक्ति नहीं चाहते म्यूचुअल फंड्स

एक्सिस म्यूचुअल फंड, यूटीआई, डीएसपी, सुंदरम म्यूचुअल फंड और यूनियन म्यूचुअल फंड ने पिछले कुछ महीनों में कई पीएसयू के बोर्ड में राजनीति से जुड़े लोगों की नियुक्तियों का विरोध किया है। इन फंडों का मानना है कि ऐसे लोगों की बोर्ड में नियुक्ति से कंपनियों के अहम फैसले पर असर पड़ता है

अपडेटेड Nov 07, 2025 पर 6:03 PM
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30 सितंबर को खत्म तिमाही के दौरान पीएसयू में डायरेक्टर के लेवल पर होने वाली एक दर्जन से ज्यादा नियुक्तियों का इन म्यूचुअल फंडों ने विरोध किया।

कई म्यूचुअल फंडों ने सरकारी कंपनियों के बोर्ड में पॉलिटिकली एक्सपोज्ड पर्संस (राजनीति से जुड़े लोग) की नियुक्ति का विरोध किया है। वोटिंग डिसक्लोजर्स के मनीकंट्रोल की एनालिसिस से यह जानकारी मिली है। इनमें एक्सिस म्यूचुअल फंड, यूटीआई, डीएसपी, सुंदरम म्यूचुअल फंड और यूनियन म्यूचुअल फंड शामिल हैं। इन म्यूचुअल फंडों ने पिछले कुछ महीनों में कई पीएसयू के बोर्ड में ऐसी नियुक्तियों का विरोध किया है। इन फंडों का मानना है कि राजनीति से जुड़े लोगों की बोर्ड में नियुक्ति से कंपनियों के अहम फैसले पर असर पड़ता है। इससे मैनेजमेंट का फोकस टारगेट से भटक सकता है।

कई बड़े फंड हाउस ऐसी नियुक्तियों के समर्थन में

इन म्यूचुअल फंडों का यह भी कहना है कि पीएसयू अक्सर बोर्ड में आने वाले मसलों के दौरान ऐसे नॉमिनी की राजनीतिक पृष्टभूमि के बारे में बताने में नाकाम रहते हैं। लेकिन, देश के कई बड़े म्यूचुअल फंडों ने पीएसयू के बोर्ड में राजनीति से जुड़े लोगों की नियुक्ति से जुड़े प्रस्ताव का समर्थन किया है। इनमें HDFC, SBI, ICICI Prudential, Kotak Mahindra और Nippon India जैसे बड़े म्यूचुअल फंड्स शामिल हैं।


पीएसयू के बोर्ड में कई नियुक्तियों का विरोध 

30 सितंबर को खत्म तिमाही के दौरान पीएसयू में डायरेक्टर के लेवल पर होने वाली एक दर्जन से ज्यादा नियुक्तियों का इन म्यूचुअल फंडों ने विरोध किया। इन कंपनियों में ONGC, Coal India, NTPC और भारत पेट्रोलियम जैसी कंपनियां शामिल थीं। रेलटेल, चेन्नई पेट्रोलियम एंड मैंगलोर रिफाइनरी जैसी छोटी सरकारी कंपनियों के मामले में भी यह ट्रेंड देखने को मिला था। अगस्त में भारत पेट्रोलियम ने गोपाल कृशन अग्रवाल की इंडिपेंडेंट डायरेक्टर के रूप में दोबारा नियुक्ति के लिए शेयरहोल्डर्स की मंजूरी मांगी थी।

म्यूचुअल फंडों को कंपनी के फैसलों पर असर पड़ने का डर 

गोपाल कृशन अग्रवाल पॉलिसी और गवर्नेंस के मामले में कई बड़ी बड़ी भूमिका निभा चुके हैं। वह इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स के बोर्ड में भी रहे हैं। उनकी वेबसाइट के मुताबिक, वह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं। यूनियन म्यूचुअल फंड सहित कुछ फंड हाउसेज ने दोबारा उनकी उनकी नियुक्ति का विरोध किया। इसी तरह से सुंदरम म्यूचुअल फंड ने BHEL के बोर्ड में आशीष चतुर्वेदी की नियुक्ति का विरोध किया। चतुर्वेदी एक पूर्व कॉलमनिस्ट और BJP के प्रवक्ता हैं।

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सुंदरम म्यूचुअल फंड ने बताई एक नियुक्ति के विरोध की वजह

सुंदरम म्यूचुअल फंड ने चतुर्वेदी की नियुक्ति के खिलाफ अपनी वोटिंग की वजह बताते हुए कहा, "47 साल के आशीश चतुर्वेदी एक न्यूजपेपर कंपनी में कॉलमनिस्ट हैं। उन्हें कॉर्पोरेट सेक्टर का एक साल से ज्यादा का अनुभव है। एजुकेशन सेक्टर का उन्हें 16 साल से ज्यादा का अनुभव है। पब्लिक सोर्सेज उनके राजनीति से जुड़े होने का संकेत देते हैं। हमारा मानना है कि वे बगैर किसी जरूरत के कंपनी के फैसलों का राजनीतिकरण कर सकते हैं।"

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