फाइनेंस बिल 2026 में GST रिफॉर्म्स के बड़े प्रस्ताव शामिल हो सकते हैं, जानिए क्या है सरकार का पूरा प्लान

सरकार का फोकस फेसलेस और टेक्नोलॉजी आधारित प्रोसेसेज पर है। इससे मैनुअल इंटरवेशन यानी इनसानी हस्तक्षेप में कमी आएगी। फाइनेंस बिल में इनपुट टैक्स क्रेडिट के लिए ऑटोमैटिक 90 फीसदी ऑटोमैटिक रिफंड का कानून शामिल हो सकता है

अपडेटेड Nov 07, 2025 पर 3:49 PM
Story continues below Advertisement
सरकार का मानना है कि अपफ्रंट रिफंड्स शुरू होने से मैन्युफैक्चरर्स और एक्सपोर्टर्स के लिए लिक्विडिटी बढ़ेगी।

सरकार फाइनेंस बिल 2026 में जीएसटी के नियमों में कई संशोधन पेश कर सकती है। इसका मकसद जीएसटी के कंप्लायंस को आसान बनाना और बिजनेसेज के लिए लिक्विडिटी बढ़ाना है। सरकार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि फास्ट-ट्रैक रजिस्ट्रेशन, इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर (आईडीएस) के तहत ऑटोमैटिक 90 फीसदी रिफंड और कुछ दूसरे नियमों को आसान बनाने के प्रस्ताव फाइनेंस बिल 2026 में शामिल हो सकते हैं।

कानूनों में बदलाव के प्रस्ताव अगले बजट में शामिल होंगे

सरकार के सीनियर अफसर ने कहा, "सरकार इनसे जुड़े कानून में बदलाव का प्रस्ताव आने वाले बजट में पेश करेगी।" उन्होंने कहा कि अभी संशोधन को अंतिम रूप दिया जा रहा है। सरकार का फोकस जल्द रजिस्ट्रेशन और रिफंड के सेटलमेंट पर है। इवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर के तहत 90 फीसदी प्रोविजनल रिफंड के प्रस्ताव को भी शामिल किया जा रहा है।


जीएसटी के फास्ट-ट्रैक रजिस्ट्रेशन सिस्टम पर फोकस

लो-रिस्क टैक्सपेयर्स के लिए रिस्क आधारित फास्ट-ट्रैक रजिस्ट्रेशन सिस्टम काम कर रहा है। इससे आधार और पैन के वेरिफिकेशन के तीन दिन के अंदर नया जीएसटी रजिस्ट्रेशन एप्रूव्ड हो जाता है। इसका मकसद जीएसटी रजिस्ट्रेशन में होने वाली देरी खत्म करना है। हालांकि, हाई-रिस्क टैक्सपेयर्स के मामले में पूरी स्क्रूटनी हो रही है, जिसके लिए डेटा एनालिटिक्स का इस्तेमाल हो रहा है। यह व्यवस्था 1 नवंबर से लाग हो गी है। लेकिन, इसके लिए कानून में अभी जरूरी संसोधन नहीं हुआ है।

ऑटोमैटिक 90 फीसदी रिफंड से होगा फायदा

अधिकारियों ने बताया कि सरकार का फोकस फेसलेस और टेक्नोलॉजी आधारित प्रोसेसेज पर है। इससे मैनुअल इंटरवेशन यानी इनसानी हस्तक्षेप में कमी आएगी। फाइनेंस बिल में इनपुट टैक्स क्रेडिट के लिए ऑटोमैटिक 90 फीसदी रिफंड का कानून शामिल हो सकता है। अगर यह सिस्टम लागू होता है तो टैक्सपेयर को सिस्टम आधारित चेक के बाद अपने आप 90 फीसदी रिफंड क्लेम का पेमेंट हो जाएगा। बाकी 10 फीसदी पेमेंट कुछ जरूरी वेरिफिकेशन के बाद होगा।

यह भी पढ़ें: SEBI शॉर्ट सेलिंग के नियमों की समीक्षा करेगा, चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने दी जानकारी

मैन्युफैक्चरर्स और एक्सपोर्ट्स के लिए बढ़ेगी लिक्विडिटी

इंडस्ट्री की तरफ से सरकार को आईडीएस के तहत रिफंड की प्रोसेसिंग में देरी की शिकायतें मिलती रही हैं। सरकार का मानना है कि अपफ्रंट रिफंड्स शुरू होने से मैन्युफैक्चरर्स और एक्सपोर्टर्स के लिए लिक्विडिटी बढ़ेगी। इसके लिए कानून में जरूरी संशोधन के प्रस्ताव फाइनेंस बिल में शामिल होंगे, जिसे संसद में मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा।

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।