इनसॉल्वेंसी से जूझ रही गो फर्स्ट (GoFirst) और उसके पट्टेदारों (Lessors) के बीच चल रहे विवाद के बीच एविएशन वर्किंग ग्रुप (AWG) ने भारत के एयरक्राफ्ट लीजिंग कंप्लायंस आउटलुक को "निगेटिव" कर दिया है। यह जानकारी एडब्ल्यूजी की ओर से हाल ही में जारी एक नोटिस से सामने आई है। केप टाउन कन्वेंशन (CTC) के तहत किए गए समझौतों को इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के प्रावधानों से बाहर करने के केंद्र सरकार के फैसले के बाद एडब्ल्यूजी ने करीब डेढ़ माह पहले ही भारत की रेटिंग को "पॉजिटिव" में अपग्रेड किया था।
एडब्ल्यूजी ने कहा है कि हालांकि मोरेटोरियम एक्सक्लूजन एक सकारात्मक कदम है, फिर भी गोफर्स्ट की इनसॉल्वेंसी प्रोसिडिंग्स को लेकर स्पष्टता कमी है। साथ ही जनरल सीटीसी प्राइमेसी की भी कमी है, जिससे इस बात को लेकर कम विश्वास है कि एक्सप्रेस जनरल सीटीसी प्राइमेरी लेजिस्लेशन के एडॉप्शन और इंप्लीमेंटेशन के बिना सीटीसी को इसकी शर्तों के अनुसार लागू किया जाएगा। इसलिए भारत के एयरक्राफ्ट लीजिंग कंप्लायंस आउटलुक को "निगेटिव" किया जा रहा है।
कंप्लायंस इंडेक्स पर भारत का स्कोर घटा
AWG ने सीटीसी अनुपालन सूचकांक (CTC Compliance Index) पर भारत का स्कोर 63.5 से घटाकर 50 कर दिया है। कम स्कोर के कारण, देश एडब्ल्यूजी की "निगरानी सूची" के अंतर्गत बना रहेगा। गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहे गो फर्स्ट ने इस साल 2 मई को इनसॉल्वेंसी के लिए आवेदन किया था। विमान के पट्टेदारों ने गोफर्स्ट से इनसॉल्वेंसी के लिए आवेदन करने से पहले अपने समझौते को समाप्त करने की मांग की थी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और फिर पट्टेदारों ने अपने एयरक्राफ्ट पर फिर से कब्जा पाने के लिए अदालत का रुख किया है।
एडब्ल्यूजी के अनुसार, ऐसे पट्टेदारों को इनसॉल्वेंसी याचिका स्वीकार होने के 60 दिनों के भीतर एयरक्राफ्ट वापस कर दिया जाना चाहिए था। नोटिस में कहा गया है कि विमान के री-पजेशन के लिए सीटीसी-मैनडेटेड समय सीमा 10 जुलाई को समाप्त होने के बाद पट्टेदारों को सीटीसी उपाय प्रदान करने में विफलता के कारण भारत की रेटिंग कम की जा रही है।