पिछले कुछ दिनों से कुछ सरकारों बैंकों के विलय की चर्चा चल रही है। लोग तरह-तरह के कयास लगा रहे हैं। इससे उन सरकारी बैंकों के ग्राहक चिंतित हैं, जिनके नाम इस चर्चा में शामिल हैं। दरअसल, इस चर्चा की शुरुआत सोशल मीडिया पर शेयर किए गए एक डॉक्युमेंट से हुई थी। चर्चा यह थी कि चार बैंकों का विलय कर दो बड़े सरकारी बैंक बनाए जाएंगे। इसके तहत पहला, यूनियन बैंक (Union Bank of India) और यूको बैंक (UCO Bank) का विलय होगा। दूसरा, बैंक ऑफ इंडिया (Bank of India) में बैंक ऑफ महाराष्ट्र (Bank of Maharashtra) का विलय होगा। सरकार डॉक्युमेंट लोड करने के सोर्स को वेरिफाय नहीं किया जा सका है। इसमें यह कहा गया है कि एक संसदीय कमेटी चार सरकारी बैंकों के साथ जनवरी के पहले हफ्तों में चर्चा करेगी। यह चर्चा बैंकिंग लॉज से जुड़ी होगी। दरअसल विलय और अधिग्रहण के मामले बैंकिंग लॉज के तहत आते हैं।
सोशल मीडिया पर डॉक्युमेंट आने के बाद शुरू हुई चर्चा
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर सरकारी डॉक्युमेंट को रमेश यादव के नाम से जारी किया गया। यादव केंद्र सरकार में अंडर सेक्रेटरी हैं। यह लेटर RBI गवर्नर, LIC के चेयरमैन, नाबार्ड के चेयरमैन, IRDAI के चेयरमैन को इश्यू किया गया। साथ ही यूको बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, बैंक ऑफ इंडिया और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के एमडी और सीईओ को जारी किया गया। इस सरकारी डॉक्युमेंट (PDF) में कहा गया कि लोकसभा की सबोर्डिनेट लेजिस्लेशन पर कमेटी का स्टडी विजिट प्रोग्राम मुंबई और गोवा में 2 से 6 जनवरी, 2024 के बीच होगा।
फाइनेंस मिनिस्ट्री ने स्पष्टीकरण जारी किया
इस प्रोग्राम में 2 जनवरी को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और यूको बैंक के प्रतिनिधियों से बातचीत शामिल थी। 4 जनवरी को बैंक ऑफ महाराष्ट्र और बैंक ऑफ इंडिया के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत शामिल थी। इसमें बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट 1949 के तहत रूल्स और रेगुलेशन पर चर्चा शामिल थी। इस एक्ट का संबंध विलय के बाद के बैंकों की स्थितियों से है। फिर, फाइनेंस मिनिस्ट्री ने एक स्पष्टीकरण जारी किया। इसमें कहा गया कि उपर्युक्त प्रोग्राम का बैंकों के विलय की योजना से किसी तरह का संबंध नहीं है।
इसके बाद मिनिस्ट्री की तरफ से प्रोग्राम का एजेंडा बदल दिया गया। नए एजेंडा में 'विलय' शब्द शामिल नहीं है। इससे अब साफ हो गया है कि यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और यूको बैंक के विलय का कोई प्लान नहीं है। सरकार का बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ महाराष्ट्र के विलय की भी कोई योजना नहीं है। चार सरकारी बैंकों के विलय की चर्चा का असर 17 दिसंबर को उनके स्टॉक्स पर पड़ा था। उनमें तेजी देखने को मिली थी। लेकिन, 18 दिसंबर को सच्चाई सामने आने के बाद शेयरों की कीमतों पर दबाव देखने को मिला। पिछले कुछ सालों में सरकार का फोकस पीएसयू बैंकों के विलय पर रहा है। 2017 में देश में सरकारी बैंकों की संख्या 27 थी। अब यह घटकर 12 रह गई है।