कहते हैं, जिस तरफ सूरज होता है, सूरजमुखी के फूल भी उसी तरफ होते हैं। इसी तर्ज पर कह सकते हैं कि इस बार के बजट को चुनावमुखी होना है। मतलब, केंद्रीय बजट में ऐसा लोक-लुभावन बहुत कुछ होना है, जिसे इस साल अप्रैल के पहले पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा के चुनावों में भुनाया जा सके।