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Budget 2022-23: अरविंद पनगढ़िया ने इंडियन इकोनॉमी के 'अच्छे दिन' लौटने की उम्मीद जताई, जानिए और क्या-क्या कहा

कोलंबिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अरविंद पनगढ़िया का मानना है कि सरकार को क्रिप्टोकरेंसी पर रोक लगाने की बजाय इसके रेगुलेशन के लिए ठोस नियम और कानून बनाने चाहिए

अपडेटेड Jan 25, 2022 पर 4:29 PM
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पनगढ़िया ने खर्च को कंट्रोल में रखने की सलाह देते हुए कहा कि हमें चादर से ज्यादा अपने पैर नहीं पसारने चाहिए। क्योंकि इससे अगली पीढ़ी पर कर्ज का बोझ बढ़ जाएगा। तेजी से बढ़ती मुद्रास्फीति के बारे में उन्होंने कहा कि अमेरिका में यह चिंता की वजह है।

नीति आयोग के वाइस-चेयरमैन अरविंद पनगढ़िया (Arvind Panagariya) ने देश की अर्थव्यवस्था (Indian Economy) के बारे में अच्छी बातें कही हैं। बजट (Budget 2022) से ठीक एक हफ्ते पहले उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था कोरोना की मार से काफी हद तक उबर चुकी है। उन्होंने इकोनॉमिक रिकवरी के जारी रहने की भी उम्मीद जताई। उन्होंने कहा कि फिर से हम 7 से 8 फीसदी ग्रोथ के रास्ते पर लौट आएंगे।

पनगढ़िया अभी अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी में इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर हैं। उन्होंने मंगलवार को कहा कि इंडियन इकोनॉमी कोरोना-पूर्व के स्तर पर लौट रही है। अभी सिर्फ प्राइवेट कंज्म्पशन कोरोना-पूर्व स्तर से कम है। पनगढ़िया मशहूर अर्थशास्त्री भी हैं। उन्होंने कहा कि इकोनॉमी के हर क्षेत्र में रिकवरी दिख रही है।

उन्होंने राजकोषीय घाटे में कमी लाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार को राजकोषीय घाटे में कमी लाने का संकेत देना चाहिए। अगले वित्त वर्ष के बजट में सरकार इसमें आधे से एक फीसदी कटौती करने का लक्ष्य तय कर सकती है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को बजट पेश करेंगी। यह उनका चौथा बजट होगा।


कोरोना की महामारी के चलते वित्त वर्ष 2020-21 में राजकोषीय घाटा बढ़कर 9.5 फीसदी पहुंच गया था। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में इसे जीडीपी के 6.8 फीसदी पर लाने का लक्ष्य तय किया था। कोरोना की महामारी के चलते एक तरफ सरकार को खर्च बढ़ाना पड़ा। दूसरी तरफ आर्थिक गतिविधियां बंद होने से उनका रेवेन्यू घट गया। इससे राजकोषीय घाटा बहुत ज्यादा बढ़ गया।

पनगढ़िया ने कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले ज्यादा रहने की उम्मीद है। मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिस्टिक्स एंड प्रोग्राम इंप्लीमेंटेशन (MoSPI) ने अपने अग्रिम अनुमान में भारत की आर्थिक वृद्धि दर वित्त वर्ष 2021-22 में 9.2 फीसदी रहने की उम्मीद जताई है। पिछले वित्त वर्ष में जीडीपी में 7.3 फीसदी कमी आई थी। इसकी वजह अर्थव्यवस्था पर कोराना की मार थी।

कोरोना की महामारी के बारे में पनगढ़िया ने कहा कि एक्सपर्ट्स का मानना है कि आबादी के बड़े हिस्से में कोरोना वायरस के संक्रमण या वैक्सीनेशन के चलते एंटीबॉडी में बन चुका है। इससे इस महामारी के धीरे-धीरे खत्म हो जाने की ज्यादा उम्मीद है। उन्होंने कहा कि अगर यह महामारी खत्म हो जाती है तो हम फिर से 7 से 8 फीसदी ग्रोथ जारी रहने की उम्मीद कर सकते हैं।

पनगढ़िया ने खर्च को कंट्रोल में रखने की सलाह देते हुए कहा कि हमें चादर से ज्यादा अपने पैर नहीं पसारने चाहिए। क्योंकि इससे अगली पीढ़ी पर कर्ज का बोझ बढ़ जाएगा। तेजी से बढ़ती मुद्रास्फीति के बारे में उन्होंने कहा कि अमेरिका में यह चिंता की वजह है। वहां यह 7 फीसदी पर पहुंच गई है, जो बीते 40 साल में सबसे ज्यादा है। उन्होंने कहा कि भारत में इनफ्लेशन को लेकर चिंता की कोई बात नहीं है। यह 2 से 6 फीसदी के टार्गेट रेंज में बनी हुी है।

दिसंबर 2021 में भारत में रिटेल इनफ्लेशन बढ़कर 5.59 फीसदी पर पहुंच गया। इसकी वजह फूड की कीमतों में इजाफा था। हालांकि, होलसेल इनफ्लेशन लगातार 4 महीने बढ़ने के बाद नरमी के संकेत दे रही है। दिसंबर में यह 13.56 फीसदी थी। पनगढ़िया ने कहा कि अगर अमेरिका में ब्याज दर बढ़ती है तो भारत जैसे उभरते देशों से कुछ पूंजी निकल सकती है। लेकिन, यह साल 2013 की तरह नहीं होगा। साल 2023 में अमेरिका के केंद्रीय बैंक ने सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ाने के उपायों पर ब्रेक लगाना शुरू किया तो उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों से पूंजी का पलायन होने लगा। इस स्थिति को टैपर टैंटरम (Taper Tantrum) कहा जाता है।

क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े एक सवाल के जवाब में पनगढ़िया ने कहा कि सरकार हवाला ट्रांजेक्शन रोकने में कभी सफल नहीं हुई। अगर हम क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाते हैं तो ऐसा ही होगा। उन्होंने कहा कि इसलिए इस पर रोक लगाने की जगह हमें इसके नियंत्रण के लिए ठोस पॉलिसी बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इसके लिए व्यापक नियम और कानून बनाने की जरूरत है ताकि इसकी खरीद-फरोख्त को छुपाने की बजाय उसकी सही रिपोर्टिंग हो।

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